Wednesday, August 11, 2021

कुंदूज हवाई अड्डे और वहाँ खड़े एमआई-35 हेलीकॉप्टर पर तालिबान का कब्जा



तालिबान के बढ़ते हमलों को रोकने में नाकाम रहे अफ़ग़ानिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल वली मोहम्मद अहमदज़ई को अब्दुल ग़नी सरकार ने बर्खास्‍त कर दिया है। उनकी जगह पर जनरल हैबतुल्‍ला अलीज़ई को अगला सेना प्रमुख नियुक्‍त किया गया है। जनरल वली को ऐसे समय पर बर्खास्‍त किया गया है जब तालिबान आतंकी देश के 65 फीसदी इलाके पर कब्जा कर चुके हैं। अफ़ग़ानिस्तान की एरियाना न्यूज़ ने सेना प्रमुख की बर्खास्तगी की पुष्टि की है। देश के वित्तमंत्री खालिद पायेंदा पहले ही इस्तीफा देकर देश छोड़ चुके हैं। तालिबान ने कुंदूज के हवाई अड्डे पर भी कब्जा कर लिया है, जहाँ खड़ा एक एमआई-35 अटैक हेलीकॉप्टर भी उनके कब्जे में चला गया है। यह हेलीकॉप्टर भारत ने अफगानिस्तान को उपहार में दिया था।  

 उधर दोहा में आज से तीन दिन की एक बैठक शुरू हुई है, जिसमें संरा, कतर, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान भाग ले रहे हैं। इसके अलावा आज ट्रॉयका की बैठक हो रही है, जिसमें रूस, चीन, अमेरिका सदस्य हैं। उनके अलावा इस बैठक में पाकिस्तान भी शामिल है।

इन तनावपूर्ण हालात में राष्‍ट्रपति अशरफ गनी मजार-ए-शरीफ के दौरे पर पहुंचे हैं जहां उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के बूढ़े शेर कहे जाने वाले अब्दुल रशीद दोस्तम से मुलाकात की है। तालिबान ने पहले ही देश के ग्रामीण इलाकों पर कब्जा कर लिया है और अब उसने शहरों पर कब्जा तेज कर दिया है। सुरक्षा बल तालिबानी हमलों के सामने बेबस नजर आ रहे हैं।

एक स्‍थानीय सांसद ने बताया कि कुंदूज शहर में सैकड़ों अफगान सैनिकों ने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए हैं। तालिबान ने कुंदूज के एयरपोर्ट पर भी कब्जा कर लिया है। वे अब मजार-ए-शरीफ की दिशा में बढ़ रहे हैं। बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार एक जमाने में नॉर्दर्न एलायंस के कमांडर अहमद शाह मसूद के भाई अहमद वली मसूद ब्रिटेन में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत रहे हैं। उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा है कि भ्रष्ट नेताओं और सरकार की खातिर लड़ने के लिए सैनिकों के मन में कोई उत्साह नहीं है। वे अशरफ ग़नी के लिए नहीं लड़ रहे हैं। उन्हें लगता है कि उनकी तालिबान के साथ बेहतर गुजर होगी, इसीलिए वे अपना पक्ष बदल रहे हैं।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हाल के हफ़्तों में सरकारी नियंत्रण बुरी तरह से ध्वस्त हुआ है लेकिन राष्ट्रपति ग़नी बेतहाशा आशावादी बयान दे रहे हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तालिबान ने शनिवार को प्रांतीय राजधानियों पर कब्ज़ा करना शुरू किया तो ग़नी सरकारी बैठकों में व्यस्त रहे। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, सोमवार को पूर्व सीनेटर और ताजिक जमीयत-ए-इस्लामी पार्टी के प्रमुख आसिफ़ आज़मी पाला बदलकर तालिबान के साथ चले गए। अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में जमीयत-ए-इस्लामी 2001 में अमेरिका के हमले से पहले तालिबान के ख़िलाफ़ एक अहम गठबंधन था। कहा जा रहा है कि आज़मी के पाला बदलने का असर शेष राजनेताओं पर भी पड़ेगा।

अफगान मीडिया हाउस टोलो न्यूज़ के अनुसार तालिबान ने फराह शहर के ज़्यादातर हिस्सों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। हेरात में अफ़ग़ान बलों के एक कमांडर अब्दुल रज़ाक अहमदी ने कहा है कि यहाँ युद्ध जैसी स्थिति है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने अपने लड़ाकों को बड़ी संख्या में जुटा लिया है। इन लड़ाकों में विदेशी भी शामिल हैं। अफ़ग़ानिस्तान में काग़ज़ पर 350,000 सैनिक हैं। इतनी बड़ी संख्या तालिबान को हराने के लिए काफ़ी है लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। कहा जा रहा है कि तालिबान के साथ संघर्ष शुरू होने के बाद 250,000 अफ़ग़ान सैनिक ही सेवा में हैं। कई खबरों के मुताबिक़ सैनिक महीनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं।

 

 

 

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