अरविन्द केजरीवाल ने
एक बार फिर से माफी माँगी है कि हमने जनता के मिज़ाज को ठीक से नहीं समझा। आम आदमी
पार्टी जितनी तेजी से उभरी थी, उससे भी ज्यादा तेजी के साथ उसका ह्रास होने लगा
है। पिछले डेढ़-दो महीनों में उसे जिस तरह से सिलसिलेवार हार का सामना करना पड़
रहा है, वह आश्चर्यजनक है। राजनीतिक दलों की चुनाव में हार कोई अनहोनी नहीं है।
ऐसा होता रहता है, पर जिस पार्टी का आधार ही नहीं बन पाया हो, उसका तेज पराभव
ध्यान खींचता है। सम्भव है पार्टी इस झटके को बर्दाश्त कर ले और फिर से मैदान में
आ जाए। पर इस वक्त उसपर संकट भारी है। दो साल पहले दिल्ली के जिस मध्यवर्ग ने उसे
अभूतपूर्व जनादेश दिया था, उसने हाथ खींच लिया और ऐसी पटखनी दी है कि उसे
बिलबिलाने तक का मौका नहीं मिल रहा है।
एमसीडी के चुनाव परिणामों को दो तरीके से देख सकते हैं. यह मोदी की जीत है और दूसरे अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की हार.
आंशिक रूप से दोनों बातें सही हैं. फिर भी देखना होगा कि दोनों में से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण क्या है.
कई विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी को काम की वजह से नहीं, 'मोदी के जादू' की वजह से जीत मिली.
पर इस जादू ने साल 2015 के विधानसभा चुनाव में काम नहीं किया, जबकि मोदी की अपील उस वक्त आज से कम नहीं थी.
उस वक्त अरविंद केजरीवाल की 'नई राजनीति' मोदी के जादू पर भारी पड़ी थी. आज मोदी का जादू भारी पड़ा है.
वोटर का मोहभंग
इसका मतलब है कि केजरीवाल का जादू दो साल में रफा-दफा हो गया और मोदी का जादू कायम है.
आज केजरीवाल की 'नई राजनीति' हारी हुई दिखाई पड़ रही है. साल 2015 में उसे सिर पर बिठाने वाली दिल्ली ने इस बार उसे धूल चटा दी.
जैसी ऐतिहासिक वो जीत थी वैसी ही ऐतिहासिक ये हार भी है. दरअसल 'आप' से वोटर का मोहभंग हुआ है.
'आप' इसके लिए ईवीएम को दोष दे रही है, पर यह बात गले नहीं उतरती. आखिर 2015 के चुनाव में भी तो ईवीएम मशीनें थीं.
लगता है कि पार्टी इसे मुद्दा बनाएगी. देखना होगा कि उसकी यह कोशिश उसे कहीं और ज्यादा अलोकप्रिय न बना दे.
'ईवीएम में गड़बड़ी'
मतदान के दो-तीन दिन पहले अखबारों में प्रकाशित इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा था, "ईवीएम में गड़बड़ी नहीं हुई तो हमें 272 में 200 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी."
केजरीवाल की बातों में यकीन नहीं बोल रहा है. पंजाब और गोवा में मिली हार से उनका मनोबल पहले से ही टूटा हुआ है.
एमसीडी की हार अब पार्टी के भीतर की कसमसाहट को बढ़ाएगी.
परिणाम आने के एक दिन पहले सोशल मीडिया पर केजरीवाल का एक वीडियो वायरल हुआ था.
इसमें उन्होंने कहा, "अब अगर हम बुधवार को हारते हैं... नतीजे वैसे ही रहते हैं जैसे कि बीती रात बताए गए हैं, तो हम ईंट से ईंट बजा देंगे... आम आदमी पार्टी आंदोलन की उपज है, इसलिए पार्टी वापस अपनी जड़ों की ओर लौटने से हिचकिचाएगी नहीं."