Tuesday, May 25, 2010

यूपीए-2 का एक साल

आज के अखबारों में लीड खबर है कि मनमोहन सिंह अभी रहेंगे। ज़रूरी हुआ तो राहुल गांधी के लिए गद्दी छोड़ देंगे वगैरह। वास्तव में क्या इस प्रेस कांफ्रेंस का विषय यही था। जब से मनमोहन सिंह इस पद पर आए हैं, यह सवाल रोज़ पूछा जा रहा है। सच यह है कि राहुल जिस दिन चाहेंगे, प्रधानमंत्री बन जाएंगे। न तो राहुल गांधी ने न सोनिया गांधी ने कभी ऐसा संकेत किया, पर मीडिया के सवाल वही हैं।

ऐसा लगता है कि मीडिया ने होमवर्क करना बंद कर दिया है। बड़े-बड़े पत्रकार भी गॉसिप छापना चाहते हैं। यूपीए के एक साल के काम का लेखा-जोखा क्या इसी सवाल से ज़ाहिर होता है। महंगाई अगर आज का बड़ा मुद्दा है, तो किसी ने प्रधानमंत्री से क्यों नहीं जानना चाहा कि यह क्यों है और अगर उन्हें उम्मीद है कि यह दिसम्बर तक कम होगी, तो किस तरह से कम होगी। राइट टु फूड बिल क्यों नहीं लाया जा सका। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बारे में वे क्या करने वाले हैं। आर्थिक विकास दर इस साल के आखिर में 8.5 प्रतिशत की आशा है, पर मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है।

रजनीति से जुड़े़ सवाल भी बेहद बचकाने थे। सरकार के पास लोकसभा में झीना सा बहुमत है। राज्यसभा में वह भी नहीं है। पार्टी सपा, राजद, बसपा और तृणमूल के साथ आँख-मिचौली खेल रही है। झारखंड में शिबू सोरेन के सम्पर्क में है, जबकि यह साफ है कि वहाँ अब किसी किस्म का गठबंधन चलने वाला नहीं। हो सकता है ये सवाल बड़े न लगते हों, पर यह सवाल क्या हुआ कि वे दो महिलाओं की सलाह कितनी मानते हैं। ऐसे चिरकुट सवाल लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सितारे शाम को गम्भीर मुखमुद्रा के साथ विचार-विमर्श करते हैं तो हँसी आती है।

2 comments:

  1. भाई साहब, चिरकुट सवाल क्यों न हो? हिंदुस्तान टाइम्स के बारे में हाल ही में एक बात सुनकर तबियत दुखी हो गई। नए स्थानीय संपादक ने कहा कि हम टाइम्स आफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस जैसे राष्ट्रीय अखबार नहीं निकालते, पेज १ पर दिल्ली की खबरें होनी चाहिए। जब संपादक को ही दिल्ली की समझ नहीं है कि दिल्ली में देश के हर इलाके के लोग रहते हैं औऱ गली कूचे की खबरें लोग अंदर ही पढ़ना चाहते हैं तो इलेक्ट्रानिक मीडिया वालों को ही दोष क्यों दिया जाए, जब वे मनमोहन से पूछते हैं कि आप अपनी बीबी और सोनिया में से किस महिला की बात ज्यादा मानते हैं?

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  2. एक बात और... कारोबार के इस दौर में पता नहीं किस सवाल पर पीएमओ नाराज हो जाए और उस बेचारे रिपोर्टर की नौकरी चली जाए, यह भी खतरा है।

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