तीन हिंदी भाषी राज्यों में जीत के बाद बीजेपी ने बड़ी तेजी से लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर काम शुरू कर दिया है। तीन राज्यों के नए मुख्यमंत्रियों के चयन से यह बात साफ हो गई है कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव ही नहीं, उसके बाद की राजनीति पर भी विचार शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों के कयासों को ग़लत साबित करते हुए बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में न सिर्फ जीत हासिल की, बल्कि नए मुख्यमंत्रियों के रूप में तीन नए चेहरों को आगे बढ़ाकर चौंकाया है। संभवतः पार्टी का आशय है कि हमारे यहाँ व्यक्ति से ज्यादा संगठन का महत्व है। हम नेता बना सकते हैं।
तीनों राज्यों में बीजेपी की सफलता के पीछे अनेक कारण हैं। मजबूत नेतृत्व,
संगठन-क्षमता, संसाधन, सांस्कृतिक-आधार और कल्याणकारी योजनाएं वगैरह-वगैरह। इनमें ‘शुक्रिया मोदीजी’ को भी जोड़
लीजिए। यानी मुसलमान वोटरों को खींचने के प्रयासों में भी उसे आंशिक सफलता मिलती
नज़र आ रही है।
राजस्थान में पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश में मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नामों की दूर तक चर्चा नहीं थी। इनका नाम नहीं था, पर पार्टी अब इनके सहारे नएपन का आभास देगी। उसे कितनी सफलता मिलेगी, यह तो मई 2024 में ही पता लगेगा, पर इतना साफ है कि पार्टी ‘पुरानेपन’ को भुलाना और ‘नएपन’ को अपनाना चाहती है। पुराने नेताओं का कोई ‘हैंगओवर’ अब नहीं है। दूसरी तरफ पार्टी को इस बात का भरोसा भी है कि वह लोकसभा चुनाव आसानी से जीत जाएगी। उसने ‘इंडी’ गठबंधन या ‘इंडिया’ को चुनौती के रूप में लिया ही नहीं।