आजादी के सपने-06
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया है. अब वह धीरे-धीरे निकटतम कक्षा में उतरता जा रहा है और सब ठीक रहा, तो 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करेगा. यह अभियान अपने विज्ञान-सम्मत कार्यों के अलावा दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने का काम करेगा.
चंद्रयान-3 के अलावा भारत इस साल सूर्य के
अध्ययन के लिए अंतरिक्ष अभियान भेजने जा रहा है. आदित्य-एल1 भारत का पहला सौर
अभियान है. यह यान सूरज पर नहीं जाएगा, बल्कि धरती से
15 लाख किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करेगा. एल1 या लॉन्ग रेंज पॉइंट धरती
और सूर्य के बीच वह जगह है जहां से सूरज को बग़ैर किसी ग्रहण के अवरोध के देखा जा
सकता है. इसके कुछ समय बाद ही हम गगनयान मिशन के परीक्षणों की खबरें सुनेंगे. पहले
‘मानव रहित’ परीक्षण होंगे और
उसके बाद तीन अंतरिक्ष-यात्रियों के साथ वास्तविक उड़ान होगी.
एटमी शक्ति से चलने वाली भारतीय पनडुब्बी
अरिहंत नौसेना के बेड़े में शामिल हो चुकी है. नए राजमार्गों का दौर शुरू हो चुका
है. दिल्ली-मेरठ हाईस्पीड ट्रेन के साथ एक नया दौर शुरू होगा, जिसका समापन बुलेट
ट्रेनों के साथ होगा. तबतक प्रायः सभी बड़े शहरों में मेट्रो ट्रेन चलने लगेंगी. देश
की ज्ञान-आधारित संस्थाओं को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए हाईस्पीड नेशनल नॉलेज
नेटवर्क काम करने लगा है. इसके साथ सफलताओं की एक लंबी सूची है.
‘टॉप तीन’
जनवरी 2017 में तिरुपति में 104वीं भारतीय
साइंस कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत
2030 तकनीकी विकास के मामले में दुनिया के ‘टॉप तीन’ देशों में शामिल होगा. देश के
अंतरिक्ष कार्यक्रम को ही केंद्र बनाकर चलें, तो ‘टॉप तीन’ तो ‘टॉप चार’ या ‘टॉप पाँच’
में अपने आपको शामिल कर सकते हैं, पर विज्ञान और तकनीक का विकास केवल
अंतरिक्ष-कार्यक्रम तक सीमित नहीं होता.
व्यावहारिक नजरिए से अभी हम शिखर देशों में
शामिल नहीं हैं. विश्व क्या एशिया में जापान, चीन,
दक्षिण कोरिया, ताइवान, इसरायल
और सिंगापुर के विज्ञान का स्तर हमसे बेहतर नहीं तो, कमतर
भी नहीं है. वैज्ञानिक अनुसंधान पर हमारे कुल खर्च से चार गुना ज्यादा चीन करता है
और अमेरिका 75 गुना. फिर भी इसरो के वैज्ञानिकों को इस बात का श्रेय जाता है कि
उन्होंने मंगलयान और चंद्रयान जैसे कार्यक्रम बहुत कम लागत पर तैयार करके दिखाया
है.
नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह कही कि कल के विशेषज्ञ पैदा करने के लिए हमें आज अपने लोगों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश करना होगा. आज हमारे पास 23 आईआईटी और 31 एनआईटी हैं. तीन हजार से ज्यादा दूसरे इंजीनियरी कॉलेज, पॉलीटेक्नीक और स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग हैं. इनसे पढ़कर करीब पाँच लाख इंजीनियर हर साल बाहर निकल रहे हैं.