Sunday, May 30, 2021

दूसरी लहर की वापसी के बाद क्या?

 


अब लग रहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर उतार पर है। शुक्रवार की रात के 12 बजे तक दर्ज नए संक्रमणों की संख्या 1.73 लाख और कुल एक्टिव केसों की संख्या 22 लाख के आसपास आ गई है, जो 10 मई को 37 लाख के ऊपर थी। अभी कुछ समय लगेगा, पर उम्मीद है कि भयावहता कम होगी। अब ऑक्सीजन और अस्पतालों में खाली बिस्तरे उपलब्ध हैं। बहरहाल दुनिया के सामने बड़ा सवाल है कि इस महामारी को क्या हम पूरी तरह परास्त कर पाएंगे? या तीसरी लहर भी आएगी?

संख्या में गिरावट कई राज्यों में लगाए गए लॉकडाउनों की वजह से है। अब अनलॉक होगा। हालांकि केंद्र ने पाबंदियों को 30 जून तक जारी रखने के दिशा-निर्देश दिए हैं, पर यह राज्यों पर निर्भर है कि वे कितनी छूट देंगे। दिल्ली में 31 मई के बाद कुछ गतिविधियाँ फिर से शुरू होंगी। अन्य राज्यों में इस हफ्ते या अगले हफ्तों में ऐसा ही कुछ होगा। इनमें महाराष्ट्र भी शामिल है, जहाँ कुछ समय पहले तक भयावह स्थिति थी। शायद तमिलनाडु, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में लॉकडाउन जारी रहेगा।

दूसरी लहर क्यों आई?

लॉकडाउन खुलने के बाद क्या हम एहतियात बरतेंगे? पहली लहर के बाद हम बेफिक्र हो गए थे। अब क्या होगा? तीसरी लहर का भी अंदेशा है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरी लहर के पीछे केवल अनलॉक ही कारण नहीं है। पहली लहर के बाद अनलॉक पिछले साल जून-जुलाई में शुरू हुआ था। सितम्बर में गिरावट शुरू हुई, तबतक काफी अनलॉक हो चुका था। अनलॉक के बावजूद गिरावट जारी रही।

Friday, May 28, 2021

टीकों को लेकर 'भ्रम' और नीति आयोग का स्पष्टीकरण

 


भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर कई तरह के भ्रम कुछ समय से हवा में हैं। नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के लिए वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ विनोद पॉल ने इन भ्रमों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने कहा है कि जो गलतफहमियाँ हैं, उनकी वास्तविकता इस प्रकार है:-

1: विदेशों से टीके खरीदने के लिए केंद्र पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है

तथ्य: केंद्र सरकार 2020 के मध्य से ही सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है। फायज़र, जेएंडजे और मॉडर्ना के साथ कई दौर का वार्तालाप हो चुका है। सरकार ने उन्हें भारत में उनके टीकों की आपूर्ति और/अथवा इन्हें बनाने के लिए सभी प्रकार की सहायता की पेशकश की है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि उनके टीके निःशुल्क रूप से आपूर्ति के लिए उपलब्ध हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीके खरीदना 'ऑफ द शैल्फ' वस्तु खरीदने के समान नहीं है। विश्व स्तर पर टीके सीमित आपूर्ति में हैं, और सीमित स्टॉक को आवंटित करने में कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं और मजबूरियां हैं। वे अपने मूल देशों को भी प्राथमिकता देती हैं जैसे हमारे अपने वैक्सीन निर्माताओं ने हमारे लिए बिना किसी संकोच के किया है। फायज़र ने जैसे ही वैक्सीन की उपलब्धता का संकेत दिया, इसके बाद से ही केंद्र सरकार और कंपनी वैक्सीन के जल्द से जल्द आयात के लिए मिलकर कार्य कर रही हैं। भारत सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप, स्पूतनिक वैक्सीन परीक्षणों में तेजी आई और समय पर अनुमोदन के साथ, रूस ने हमारी कंपनियों को टीके की दो किस्तें भेजते हुए निपुण तकनीक-हस्तांतरण पहले ही कर दी हैं और अब बहुत जल्द ही ये कंपनियां इसका निर्माण भी शुरू कर देंगी। हम सभी अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं से भारत में आने और भारत और दुनिया के लिए वैक्सीन बनाने के अपने अनुरोध को दोहराते हैं।

2:  विश्व स्तर पर उपलब्ध टीकों को केंद्र ने मंजूरी नहीं दी है

 तथ्य: केंद्र सरकार ने अप्रैल में ही भारत में यूएस एफडीए, ईएमए, यूके की एमएचआरए और जापान की पीएमडीए और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची द्वारा अनुमोदित टीकों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इन टीकों को पूर्व ब्रिजिंग परीक्षणों से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। अन्य देशों में निर्मित बेहतर तरीके से परीक्षित और जाँचे गए टीकों के लिए परीक्षण आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रावधान में अब और संशोधन किया गया है। औषधि नियंत्रक के पास अनुमोदन के लिए किसी विदेशी विनिर्माता का कोई आवेदन लंबित नहीं है।

Thursday, May 27, 2021

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के साथ सरकारी टकराव निर्णायक दौर में


भारत सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के बीच टकराव अब निर्णायक मोड़ की तरफ बढ़ रहा है। एक तरफ अभिव्यक्ति और प्राइवेसी के अधिकारों की रक्षा का सवाल है, तो दूसरी तरफ सामाजिक जिम्मेदारियों, राष्ट्रीय हितों और पारदर्शिता से जुड़े नियमों का सवाल है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें नए नियमों पर रोक लगाने की मांग की गई है। सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को नई गाइडलाइन बनाने के लिए 90 दिन का वक्त दिया था, जिसकी मियाद मंगलवार को खत्म हो चुकी है।

दूसरी तरफ कल भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने एक विज्ञप्ति जारी करके एक लम्बी सफाई दी है कि हम निजता का सम्मान करते हैं, पर किसी एक संदेश लेखक के बारे में जानकारी पाने के पीछे सार्वजनिक हित की कामना है। ऐसी जरूरत सिर्फ उसी मामले में है जब भारत की सम्प्रभुता, अखंडता, राज्य की सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंधों या सार्वजनिक आदेश या उक्त अपराधों को उकसाने से संबंधित बहुत गंभीर अपराधों या बलात्कार, यौन सामग्री या बाल यौन उत्पीड़न सामग्री से संबंधित अपराधों की रोकथाम, जांच या सजा के लिए संदेश की जरूरत होती है

सरकार ने टेक कंपनियों से कोरोना से जुड़ी भ्रामक जानकारियों को भी हटाने को कहा है जिसके बाद आरोप लगाया गया कि सरकार अपनी आलोचना से जुड़ी जानकारी को छुपा रही है। सोशल मीडिया कंपनियों के नई गाइडलाइन बनाने के लिए 90 दिन का वक्त दिया गया था, जिसकी मियाद मंगलवार को खत्म हो चुकी है।

गत 25 मई को दाखिल इस याचिका में कंपनी ने कोर्ट में दलील दी है कि भारत सरकार के नए आईटी नियमों से प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे मैसेज एनक्रिप्ट किए गए हैं। ऐसे में लोगों की चैट को इस तरह ट्रेस करना वॉट्सऐप पर भेजे गए सभी मैसेज पर नजर रखने के बराबर है जो कि इस प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करने वालों की प्राइवेसी को खत्म कर देगा। कंपनी सिर्फ उन लोगों के लिए नियमन चाहती है, जो प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहा कि हम प्राइवेसी के हनन को लेकर दुनियाभर के सिविल सोसाइटी और विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। इसके साथ ही लगातार भारत सरकार से चर्चा के जरिए इसका समाधान खोजने में लगे हैं। प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि हमारा मकसद लोगों की सुरक्षा और जरूरी कानूनी समस्याओं का हल खोजना है।

Wednesday, May 26, 2021

सवाल है वायरस कहाँ से आया?


कोविड-19 वायरस के वैश्विक-प्रसार का डेढ़ साल पूरा होने के बाद यह चर्चा फिर से शुरू हो गई है कि कहीं यह वायरस चीन के वुहान की किसी प्रयोगशाला से तो सायास या अनायास लीक नहीं हुआ था? हाल में अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जरनल की एक रिपोर्ट ने इस चर्चा को तेज कर दिया है और अब वहाँ का मुख्यधारा का मीडिया भी इस सवाल को उठा रहा है. जबकि पिछले साल यही मीडिया इन खबरों में दिलचस्पी नहीं ले रहा था।

अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री ने डब्लूएचओ से कहा है कि इस मामले की जाँच पारदर्शिता के साथ करें। अखबार ने अमेरिकी इंटेलिजेंस के सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि सन 2019 के नवंबर में संक्रमण की शुरूआत होने के पहले वुहान प्रयोगशाला के तीन शोधकर्ताओं की अस्पताल में चिकित्सा की गई थी। यह खबर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक महत्वपूर्ण बैठक के ठीक पहले आई है। इस बैठक में वायरस के स्रोत की जाँच के अगले कदम के बारे में फैसला किया जाएगा।

चीन का कहना है सब झूठ है

दूसरी तरफ चीन ने कोरोना संक्रमण की शुरुआत से पहले अपने वुहान शहर में तीन शोधकर्ताओं के बीमार होकर अस्पताल जाने की ख़बर को चीन ने 'पूरी तरह झूठ' क़रार दिया है। इसके पहले रविवार को 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा था कि वुहान लैब के तीन शोधकर्ता साल 2019 के नवंबर महीने में किसी ऐसी बीमारी से जूझ रहे थे जिसके "लक्षण कोविड-19 और आम सर्दी-जुकाम दोनों से मेल खाते थे।" अब दुनिया के संजीदा विशेषज्ञों ने कहा है कि कोई अनुमान लगाने से बेहतर होगा कि इस मामले की ठीक से जाँच की जाए। अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य सलाहकार एंटनी फाउची का भी यह सुझाव है।

Tuesday, May 25, 2021

भारत-अमेरिका रिश्तों में मजबूती का दौर


विदेशमंत्री एस जयशंकर रविवार को अमेरिका के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान वे संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेश से आज सुबह (भारतीय समय से शाम) मुलाकात करेंगे और उसके बाद वॉशिंगटन डीजी जाएंगे जहां अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से उनकी भेंट होगी। इस साल जनवरी में राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यभार संभालने के बाद भारत के किसी वरिष्ठ मंत्री का अमेरिका का यह पहला दौरा है। 1 जनवरी 2021 को भारत के संरा सुरक्षा का सदस्य बनने के बाद जयशंकर का पहला दौरा है। दौरे का समापन 28 मई को होगा।

भारत-चीन सम्बन्धों में आती गिरावट, पश्चिम एशिया में पैदा हुई गर्मी, अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और भारत-पाकिस्तान रिश्तों को लेकर कई तरह के कयासों के मद्देनज़र यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है। इन बातों के अलावा वैश्विक महामारी और खासतौर से वैक्सीन वितरण भी इस यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण विषय होगा। शायद सबसे महत्वपूर्ण कारोबारी मसले होंगे, जिनपर आमतौर पर सबसे कम चर्चा होती है।

कुल मिलाकर भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक रिश्तों का यह सबसे महत्वपूर्ण दौर है। चतुष्कोणीय सुरक्षा-व्यवस्था यानी क्वॉड ने एकसाथ तीनों आयामों पर रोशनी डाली है। दोनों देशों के बीच जो नई ऊर्जा पैदा हुई है, उसके व्यावहारिक अर्थ अब स्पष्ट होंगे। विदेशी मामलों के विशेषज्ञ सी राजा मोहन ने आज के इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है कि अभी तक उपरोक्त तीन विषयों को अलग-अलग देखा जाता था।

भारत की वैश्विक अभिलाषाओं के खुलने और राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा ट्रंप प्रशासन के एकतरफा नजरिए को दरकिनार करने के कारण ये तीनों मसले करीब आ गए हैं। दूसरी तरफ वैश्विक मामलों में पश्चिम के विरोध की भारतीय नीति अब अतीत की बात हो गई है। अब हम यूरोपियन गठबंधन और अमेरिका के साथ हैं।