Friday, December 18, 2020

पुराने अंदाज में केजरीवाल

हिन्दू में सुरेन्द्र का कार्टून

आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल करीब दो साल की खामोशी के बाद फिर से अपनी पुरानी शैली में वापस आते नजर आ रहे हैं। इन दिनों दिल्ली में पंजाब से आए किसानों के समर्थन में दिए गए वक्तव्यों के अलावा गत गुरुवार 17 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा में उनके बयानों में उनकी पुरानी राजनीति की अनुगूँज थी।

उन्होंने केंद्र सरकार को संबोधित करते हुए कहा, कोरोना काल में क्यों ऑर्डिनेंस पास किया? पहली बार राज्यसभा में बिना वोटिंग के 3 बिल को कैसे पास कर दिया गया? सीएम ने कहा कि दिल्ली विधानसभा केंद्र के कृषि कानूनों को खारिज कर रही है। केंद्र सरकार कानून वापिस ले।

कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था। सत्र की शुरुआत होने पर मंत्री कैलाश गहलोत ने एक संकल्प पत्र पेश किया, जिसमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की बात कही गई। इसके बाद हर वक्ता को बोलने के लिए पांच मिनट का वक्त दिया गया। बाद में विधानसभा ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का एक संकल्प स्वीकार कर लिया।

सोनिया गांधी अब असंतुष्टों से मुलाकात करेंगी

 इस साल अगस्त में कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठी लिखने वाले 23 वरिष्ठ नेताओं में से कुछ के साथ सोनिया गांधी की मुलाकात शनिवार 19 दिसंबर को तय हुई है। यह खबर इंडियन एक्सप्रेस ने दी है। अखबार की वैबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार सोनिया गांधी के पास इस बैठक में शामिल होने वाले संभावित नेताओं के नाम की सूची भेजी गई है। उनमें से चुनींदा लोगों को बुलाया जाएगा।

इस बैठक में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के रहने की संभावना भी है। उनके अलावा मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम, एके एंटनी और केसी वेणुगोपाल भी बैठक में उपस्थित हो सकते हैं।

Thursday, December 17, 2020

चीन से कर्जा लेकर पाकिस्तान ने सऊदी पैसा लौटाया


पाकिस्तान ऐसे मुकाम पर है, जहाँ पहले कभी नहीं था। पाकिस्तानी साप्ताहिक अखबरा फ्रायडे टाइम्स में कार्टून

आर्थिक रूप से तंगी में आए पाकिस्तान ने चीन से कर्जा लेकर सऊदी अरब को एक अरब डॉलर वापस लौटा दिए हैं। सऊदी अरब कुछ समय पहले तक पाकिस्तान का संरक्षक था और दो साल पहले जब पाकिस्तान के ऊपर विदेशी देनदारी का संकट आया था, तब सऊदी अरब ने उसे तीन अरब डॉलर का कर्ज दिया था। हाल में दोनों देशों को रिश्ते में खलिश आ जाने के कारण पाकिस्तान पर यह धनराशि जल्द वापस करने का दबाव है। ऐसे में चीन ने सहायता करके पाकिस्तान की इज्जत बचाई है। बाहरी कर्जों को चुकाने के लिए वह चीन से लगातार कर्ज ले रहा है।

जानकारी मिली है कि चीन ने पाकिस्तान को डेढ़ अरब डॉलर (करीब 11 हजार करोड़ भारतीय रुपये) की सहायता स्वीकृत की है। इस धनराशि से पाकिस्तान सऊदी अरब के दो अरब डॉलर (करीब 14,500 करोड़ रुपये) का कर्ज चुकाएगा। पाकिस्तान ने सऊदी अरब के बकाया एक अरब डॉलर लौटा दिए हैं और बाकी एक अरब डॉलर जनवरी में चुकाने का वायदा किया है। यह जानकारी पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने वहाँ के अखबार ट्रिब्यून को दी है।

सोनू सूद और लंगर-संस्कृति


तमाम नकारात्मक बातों के बीच बहुत सी अच्छी बातें हो रही हैं। वे ध्यान खींचती हैं। मार्च के महीने में देश-व्यापी लॉकडाउन के बाद लाखों प्रवासी मजदूरों के सामने घर जाने की समस्या पैदा हो गई। उस दौरान फिल्म अभिनेता सोनू सूद गरीबों के मसीहा के रूप में सामने आए। उनके ‘घर भेजो अभियान’ ने देखते ही देखते उन्हें करोड़ों लोगों के बीच पहचान दिला दी। दूसरों की मदद करने का उनका यह कार्यक्रम रुका नहीं है, बल्कि कई नई शक्लों में सामने आ रहा है। हाल में उन्होंने एक नई पहल की शुरुआत की, जिसका नाम 'खुद कमाओ घर चलाओ' है। इसके तहत वे उन लोगों को ई-रिक्शे दिलवा रहे हैं, जो इस दौरान बेरोजगार हो गए हैं।

लॉकडाउन के दौरान जहाँ सड़कों पर पुलिस के डंडे खाते प्रवासी मजदूरों की खबरें थीं, वहीं कुछ खबरें ऐसी भी थीं कि लोगों ने दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों के भोजन की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली। पुलिस की छवि एक तरफ इस डंडेबाजी से खराब हुई वहीं ऐसी खबरें भी थीं कि पुलिस ने गरीबों के भोजन का इंतजाम किया। बहुत से लोगों ने व्यक्तिगत रूप से और कुछ लोगों ने आपस में मिलकर संगठित रूप से  इस काम को किया। फिर भी यह पर्याप्त नहीं था। इसे जितने बड़े स्हातर पर जिस तरीके से संचालित होना चाहिए, उसपर विचार करने की जरूरत है। गुरुद्वारों के लंगर एक बेहतरीन उदाहरण हैं।  पंजाब के किसानों के दिल्ली आंदोलन के दौरान लगे लंगरों में उन गरीबों को भी देखा गया है, जो आसपास रहते हैं। इन बातों ने देश की अंतरात्मा को झकझोरा है। क्यों नहीं ऐसी कोई स्थायी व्यवस्था बने, जो गरीबों को भोजन देने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले। 

पीपुल्स आर्काइव्स ऑफ रूरल इंडिया की वैबसाइट की हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इन लंगरों में आसपास के फुटपाथों और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले कई परिवार शामिल हैं, जो विरोध प्रदर्शन वाली जगह पर मुख्य रूप से लंगर—मुफ़्त भोजन—के लिए आते हैं जो दिन भर चलता है। यहाँ भोजन के अलावा कई तरह की उपयोगी वस्तुएं जैसे दवा, कंबल, साबुन, चप्पल, कपड़े आदि मुफ़्त में मिलते हैं।

डाउन टु अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण पैदा हुआ आर्थिक संकट गरीब व कमजोर तबके के लिए मुसीबतों के पहाड़ लेकर आया। सर्वे में शामिल आबादी के एक बड़े हिस्से को भूखा भी रहना पड़ा। सितंबर और अक्टूबर में जब हंगर वाच को लेकर सर्वे किया गया था, तो पता चला कि हर 20 में से एक परिवार को अक्सर रात का खाना खाए बगैर सोना पड़ा। नकारात्मक माहौल में ऐसी सकारात्मक बातें, हमारी चेतना को चुनौती देती हैं और बदहाल लोगों के लिए कुछ करने का आह्वान करती हैं। 



Wednesday, December 16, 2020

प्रणब मुखर्जी की किताब को लेकर भाई-बहन में असहमति क्यों?


प्रणब मुखर्जी की आने वाली किताब को लेकर उनके बेटे और बेटी के बीच असहमति का कारण समझ में नहीं आता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह असहमति ट्विटर पर व्यक्त की गई है, जबकि यह बात आसानी से एक फोन कॉल पर व्यक्त हो सकती थी। इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति के पुत्र ने किताब को लेकर प्रकाशक से अपनी भावनाएं भी ट्विटर पर शेयर की हैं, जबकि वे चाहते तो यह बात फोन करके भी कह सकते थे। इस बात को भाई-बहन की असहमति के रूप में देखा जा रहा है। यह किताब को प्रमोट करने की कोशिश है या पारिवारिक विवाद? मेरे मन में कुछ संशय हैं। लगता यह है कि पुस्तक में जो बातें हैं, वे शर्मिष्ठा की जानकारी में हैं और प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन के अनुभवों को बेटी के साथ साझा किया है। 

प्रणब मुखर्जी की किताब 'The Presidential Years' के प्रकाशन पर उनके बेटे अभिजित मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा, चूंकि मैं प्रणब मुखर्जी का पुत्र हूं, ऐसे में इसे प्रकाशित किए जाने से पहले मैं एक बार किताब की सामग्री को देखना चाहता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि किताब को प्रकाशित करने के लिए उनकी लिखित अनुमति ली जाए। उन्होंने इस ट्वीट में रूपा बुक्स के मालिक कपीश मेहता और पुस्तक के प्रकाशक रूपा बुक्स को टैग किया है।