बंगाल
में ममता बनर्जी की सरकार दुर्गापूजा और मुहर्रम साथ-साथ होने के कारण राजनीतिक
विवाद में फँस गई है। सरकार ने फैसला किया था कि साम्प्रदायिक टकराव रोकने के लिए
30 सितम्बर और 1 अक्तूबर को दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं होगा। इस फैसले का
विरोध होना ही था। यह विरोध केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी ने नहीं किया,
वाममोर्चा ने भी किया। आम मुसलमान की समझ से भी मुहर्रम और दुर्गा प्रतिमा विसर्जन
साथ-साथ होने में कोई दिक्कत नहीं थी। यह ममता बनर्जी का अति उत्साह था।
ममता
बनर्जी नहीं मानीं और मामला अदालत तक गया। कोलकाता हाईकोर्ट ने अब आदेश दिया है कि
सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि मुहर्रम के जुलूस भी निकलें और दुर्गा
प्रतिमाओं का विसर्जन भी हो। इस आदेश पर उत्तेजित होकर ममता बनर्जी ने कहा, मेरी
गर्दन काट सकते हैं, पर मुझे आदेश नहीं दे सकते। शुरू में लगता था कि वे हाईकोर्ट
के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगी। अंततः उन्हें बात समझ में आई और संकेत
मिल रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा उन्होंने छोड़ दिया है।