व्यक्ति की निजता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हम ज्यादा
से ज्यादा ‘आधार कार्ड’ से जोड़कर देख पाते हैं. बहुत बड़ी तादाद
ऐसे लोगों की है, जो समझ नहीं पा रहे हैं कि हमारी जिंदगी में इस फैसले का क्या असर
होगा. इस फैसले का मतलब यह है कि अब हमारे जीवन में सरकार का निरंकुश हस्तक्षेप
नहीं हो पाएगा. सिद्धांत रूप में यह अच्छी बात है, पर इसका व्यावहारिक रूप तभी
सामने आएगा, जब जनता का व्यावहारिक सशक्तिकरण होगा.
यह मामला केवल व्यक्तिगत जानकारियाँ हासिल करने तक सीमित
नहीं है. इसका आशय है कि व्यक्ति को खाने, पीने, पहनने, घूमने, रहने, प्रेम करने, शादी करने या
जीवन शैली अपनाने जैसी और बहुत सी बातों में अपने फैसले अपनी मर्जी से करने का
अधिकार है. यह जीवन के किन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साबित होगा, इसका पता भविष्य
में लगेगा, इसलिए इसे भविष्य का अधिकार कहना भी गलत नहीं होगा.