उत्तर प्रदेश की 80 में से 55 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित करके क्या मुलायम सिंह ने चुनाव का बिगुल बजा दिया है? हालांकि यह बात उनकी राजनीति से असंगत नहीं है और इस साल विधानसभा चुनाव में विजय पाने के बाद उन्होंने कहा था कि जल्द ही लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहें। ऐसा माना जाता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, अन्ना द्रमुक, अकाली दल जैसे क्षेत्रीय दलों को फायदा मिलेगा। पर जल्द चुनाव के माने क्या हैं? क्या लोकसभा के इसी सत्र में यह फैसला होगा? या सरकार बजट पेश करने के बाद चुनाव की घोषणा करेगी? करेगी भी तो क्यों करेगी? क्या जल्दी चुनाव कराने से कांग्रेस का कुछ भला होने वाला है?
Saturday, November 17, 2012
Friday, November 16, 2012
चीन एक वैकल्पिक मॉडल भी है
चीनी व्यवस्था को लेकर
हम कितनी भी आलोचना करें, दो बातों की अनदेखी नहीं कर सकते। एक 1949 से, जब से नव-चीन
का उदय हुआ है, उसकी नीतियों में निरंतरता है। यह भी सही है कि लम्बी छलांग और सांस्कृतिक
क्रांति के कारण साठ के दशक में चीन ने भयानक संकटों का सामना किया। इस दौरान देश ने
कुछ जबर्दस्त दुर्भिक्षों का सामना भी किया। सत्तर के दशक में पार्टी के भीतर वैचारिक
मतभेद भी उभरे। देश के वैचारिक दृष्टिकोण में बुनियादी बदलाव आया। माओ के समवर्ती नेताओं
में चाऊ एन लाई अपेक्षाकृत व्यावहारिक थे, पर माओ के साथ उनका स्वास्थ्य भी खराब होता
गया। माओ के निधन के कुछ महीने पहले उनका निधन भी हो गया। उनके पहले ल्यू शाओ ची ने
पार्टी की सैद्धांतिक दिशा में बदलाव का प्रयास किया, पर उन्हें कैपिटलिस्ट रोडर कह
कर अलग-थलग कर दिया गया और अंततः उनकी 1969 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
उसके बाद 1971 में लिन बियाओ माओ के खिलाफ बगावत की कोशिश में मारे गए। 1976 में माओ
जेदुंग के निधन के बाद आए हुआ ग्वो फंग और देंग श्याओ फंग पर ल्यू शाओ ची की छाप थी।
कम से कम देंग देश को उसी रास्ते पर ले गए, जिस पर ल्यू शाओ ची जाना चाहते थे। चीन
का यह रास्ता है आधुनिकीकरण और समृद्धि का रास्ता। कुछ लोग मानते हैं कि चीन पूँजीवादी
देश हो गया है। वे पूँजीवाद का मतलब निजी पूँजी,
निजी कारखाने और बाजार व्यवस्था को ही मानते हैं। पूँजी सरकारी हो या निजी इससे क्या
फर्क पड़ता है? यह बात सोवियत संघ में दिखाई पड़ी जहाँ
व्यवस्था का ढक्कन खुलते ही अनेक पूँजीपति घराने सामने आ गए। इनमें से ज्यादातर या
तो पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हैं या कम्युनिस्ट शासन से अनुग्रहीत लोग। चीनी
निरंतरता का दूसरा पहलू यह है कि 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बावजूद चीन की शासन-व्यवस्था
ने खुद को कम्युनिस्ट कहना बंद नहीं किया। वहाँ का नेतृत्व लगातार शांतिपूर्ण तरीके
से बदलता जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि वहाँ पार्टी का बड़ा तबका प्रभावशाली है,
केवल कुछ व्यक्तियों की व्यवस्था नहीं है।
Thursday, November 15, 2012
चीन में नया नेतृत्व
The Constitution of the Communist Party of China (CPC) has enshrined the "Scientific Outlook on Development," a political guideline that puts people first and calls for balanced and sustainable development, the 18th CPC National Congress announced as the week-long event concluded on Wednesday.
Some 2,270 Party delegates cast votes Wednesday, electing the new CPC Central Committee and the new Central Commission for Discipline Inspection.
Nearly 50 percent of the new Central Committee are newcomers, indicating that the CPC, with 91 years of history and more than 82 million members, has again completed its leadership transition.
Other members of 17th Party leadership, Hu Jintao, Wu Bangguo, Wen Jiabao, Jia Qinglin, Li Changchun, He Guoqiang and Zhou Yongkang, are not in the new Central Committee.
Wednesday, November 14, 2012
चीन में राजनीतिक बदलाव
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की एक हफ्ते से चल रही कांग्रेस खत्म हो गई है और नए नेताओं की घोषणा भी हो गई है। इसके निहितार्थ क्या हैं, इसके बारे में अब कुछ समय तक अटकलें लगेंगी। पहला चुनाव पार्टी की नई केंद्रीय समिति का हुआ है, जिसमें में देश की सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था पोलित ब्यूरो और उसकी स्थायी समिति का गठन किया गया है। अगले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरे नीति निर्धारकों के नाम भी स्पष्ट हो गए हैं।
चीन में हर दस साल में नेतृत्व परिवर्तन होता है। अठारहवीं कांग्रेस केवल नेतृत्व परिवर्तन के कारण महत्वपूर्ण नहीं है। महत्व है राजनीतिक, आर्थिक और संवैधानिक सुधारों का। पार्टी कांग्रेस के उदघाटन भाषण में राष्ट्रपति हू ने भ्रष्टाचार को बड़ी चुनौती बताया था, जिससे अगर नहीं निपटा गया तो उसके घातक परिणाम हो सकते हैं। कांग्रेस के समापन भाषण में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पुराने नेताओं की जगह नए युवा नेताओं को चुन लिया है और ऐतिहासिक महत्व के फैसले किए हैं। अनुमान है कि पार्टी की केन्द्रीय समिति में चीन के सबसे अमीर लियांग वेनजेन इस संस्था में शामिल होने वाले पहले प्राइवेट बिजनेसमैन होंगे।
Monday, November 12, 2012
डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता
चंडीगढ़ के छात्र अरुण कुमार यादव ने इस साल बाल दिवस का Doodle4Google पुरस्कार जीता है। इसके पहले भी मैने डूडल फॉर गूगल के बारे में लिखा है। गूगल ने अपने लोगो के सहारे रचनात्मक आंदोलन खड़ा कर दिया है। एक और गूगल अपने तईं दुनियाभर के देशों में अलग-अलग मौकों पर लोगो ज़ारी करता है। इन लोगो के माध्यम से जीवन के विविध क्षेत्रों की जानकारी हमें मिलती है। साथ ही गूगल को दुनिया भार से जुड़ने का मौका मिलता है। इस साल भारत के गूगल अभियान का विषय था 'विविधता में एकता'। इसके लिए 1000 से ज्यादा स्कूलों से 2,00,000 से ज्यादा प्रविष्टियाँ आईं थीं। प्रतियोगिता के निर्णायकों में अभिनेता बोमन ईरानी और कार्टूनिस्ट अजित नायनन थे।
National Winner
Arun Kumar Yadav, Kendriya Vidyalaya, ChandigarhIndia : A prism of multiplicity
India has diverse cultures, religions, languages, customs and traditions. This diversity can be witnessed in enthusiasm for sports; unique folk culture; extraordinary remarkable handicrafts; wide range of flora and fauna; agricultural practices with worldwide farming output; unparalleled spices and cuisines... Such colossal diversities represent Indias oneness.
Category Winners
Class 1-3
Vasudevan Deepak, Devgiri CMI Public School, Calicut
The Great Banyan
India is like a large banyan tree that shelters and protects everyone who comes to it. It brings different kinds of living things together under the same roof.
Class 4-7
Shravya Manjunath, Mitra Academy, Bangalore
Unity in dance disperses vibrant colours
The Google Doodle portrayed by me represents the different dance forms of India. Dance, being the common topic in my doodle has many sub-divisions. Hence the different dances performed by Indians come under a united category dance. So my doodle represents the topic, "Unity in Diversity"
Class 8-10
S. Preetham Paul, Sri Prakash Vidyaniketan, T.P.T. Branch, Vishakhapatnam
Striding Forward the Unity
India is the home to a wide variety of languages, crops, religions, architectural masonry, music and dance forms, and so on, with blurred boundaries between them. Despite such immense diversity of culture across the country, Indians tend to be together, and take the nation forward, towards progress.
गूगल लोगो पर मेरी पिछली पोस्ट
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