जयललिता के आश्वासन के बाद तमिलनाडु के कूडानकुलम एटमी बिजलीघर के विरोध में चल रहा आमरण अनशन स्थगित हो गया है, पर मामला कुछ और जटिल हो गया है। जयललिता ने कहा है कि प्रदेश विधानसभा प्रस्ताव पास करके केन्द्र से अनुरोध करेगी कि बिजलीघर हटा ले। जापान के फुकुशीमा हादसे के बाद नाभिकीय ऊर्जा विवाद का विषय बन गई है, पर अभी दुनिया भर में एटमी बिजलीघर चल रहे हैं और लग भी रहे हैं। चीन ने नए रिएक्टर स्थापित करने पर रोक लगाई थी, पर अब 25 नए रिएक्टर लगाने की घोषणा की है। केवल विरोध के आधार पर बिजलीघरों के मामले में फैसला नहीं होना चाहिए। हाँ सरकार को यह बताना चाहिए कि ये बिजलीघर किस तरह सुरक्षित हैं।
इस साल मार्च में जापानी सुनामी के बाद जब फुकुशीमा एटमी बिजलीघर में विस्फोट होने लगे तभी समझ में आ गया था कि आने वाले दिनों में नए एटमी बिजलीघर लगाना आसान नहीं होगा। एटमी बिजलीघरों की सुरक्षा को लेकर बहस खत्म होने वाली नहीं। रेडिएशन के खतरों को लेकर दुनिया भर में शोर है। पर सच यह भी है कि आने वाले लम्बे समय तक एटमी बिजली के बराबर साफ और सुरक्षित ऊर्जा का साधन कहीं विकसित नहीं हो पा रहा है। सौर, पवन और हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ऊर्जा विकल्प या तो बेहद छोटे हैं या बेहद महंगे।