Wednesday, May 28, 2025

बांग्लादेश में अराजकता और संशयों की लहरें

बीएनपी राष्ट्रीय स्थायी समिति की प्रेस कॉन्फ्रेंस

हाल के घटनाक्रम से लग रहा है कि बांग्लादेश फिर से अराजकता की गिरफ्त में आ रहा है. उसकी पेशबंदी में ही शायद अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने धमकी दी है कि मैं इस्तीफा देने पर विचार कर रहा हूँ.

इतना साफ है कि यूनुस ने हटने का प्रचार किया, वे हटना नहीं चाहते, बल्कि उनके कुछ समर्थक चाहते हैं कि वे अगले पाँच साल तक इस पद पर बने रहें, जो संभव नहीं.

दूसरी तरफ देश की सेना का रुख कुछ मामलों में सरकारी रुख से अलग नज़र आ रहा है. सेना के एक प्रवक्ता ने सोमवार 26 मई को कहा कि बांग्लादेश की सशस्त्र सेनाएँ ऐसे निर्णयों में शामिल नहीं होंगी जो राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुँचा सकती हैं.

ढाका में एक प्रेस वार्ता में लेफ्टिनेंट कर्नल शफ़ीकुल इस्लाम ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में मानवीय गलियारा शुरू करने की अंतरिम सरकार की पहल से मतभेद का संकेत दिया और कहा कि बांग्लादेश की सेना इस मामले पर समझौता नहीं करेगी’.

इसके पहले यूनुस के प्रेस सचिव शफ़ीकुल आलम ने रविवार को कहा कि यूनुस अगले साल 30 जून के बाद एक दिन भी सत्ता में नहीं रहेंगे और संसदीय चुनाव इसी अवधि के भीतर होंगे. ऐसा है, तो फिर चुनाव की तारीखें घोषित करने में दिक्कत क्या है?

Friday, May 23, 2025

आईएमएफ की सदाशयता या पाखंड?


पहलगाम हत्याकांड के बाद जिस समय भारत ऑपरेशन सिंदूर चला रहा था, उसी समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पाकिस्तान को एक अरब डॉलर के कर्ज क स्वीकृति दे रहा था. भारत के विरोध के बावज़ूद आईएमएफ के एक्ज़िक्यूटिव बोर्ड ने इसे मंज़ूरी दे दी.

आईएमएफ़ के नियम किसी प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट करने का अधिकार नहीं देते इसलिए बोर्ड के सदस्य या तो पक्ष में वोट दे सकते हैं या अनुपस्थित रह सकते हैं. जो भी फ़ैसले हैं वे बोर्ड में आम सहमति के आधार पर किए जाते हैं.

जब पाकिस्तान को, जिसके आंगन में कभी कुख्यात ओसामा बिन लादेन रहता था, अपने विशाल पड़ोसी भारत के साथ तनाव के चरम पर एक अरब डॉलर का पैकेज दिया जाता है, तो इसके पीछे के कारणों पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है.

भारत के विरोध को देखते हुए मुद्राकोष ने अगली किस्त जारी करने के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें भी लगाई हैं. आईएमएफ ने पाकिस्तान को चेताया है कि भारत के साथ तनाव से योजना के राजकोषीय, वाह्य और सुधार लक्ष्यों के लिए जोखिम बढ़ सकते हैं.

पाकिस्तान पर लगाई गई नई शर्तों में 17,600 अरब रुपये के नए बजट को संसद की मंजूरी, बिजली बिलों पर ऋण भुगतान अधिभार में वृद्धि और तीन साल से अधिक पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध को हटाना शामिल है.

सवाल है कि वैश्विक-व्यवस्था ने पाकिस्तान की आतंकी-गतिविधियों की अनदेखी क्यों की और आईएमएफ के फैसले के पीछे कोई संज़ीदा दृष्टि है या शुद्ध-पाखंड? इस सवाल का जवाब देने के पहले हमें वर्तमान स्थितियों पर नज़र डालनी होगी.  

Thursday, May 15, 2025

अमेरिकी कोशिशों का स्वागत है, मध्यस्थता का नहीं


दक्षिण एशिया का दुर्भाग्य है कि जिस समय दुनिया के देश, जिनमें भारत भी शामिल है, डॉनल्ड ट्रंप की आक्रामक आर्थिक-नीतियों के बरक्स अपनी नीतियों के निर्धारण में लगे हैं, हमें लड़ाई में जूझना पड़ रहा है. 

इस लड़ाई की पृष्ठभूमि को हमें दो परिघटनाओं से साथ जोड़कर देखना और समझना चाहिए. एक, शनिवार के युद्धविराम की घोषणा भारत या पाकिस्तान के किसी नेता ने नहीं की, बल्कि डॉनल्ड ट्रंप ने की. दूसरे हाल में भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त-व्यापार समझौता हुआ है, जिसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया.  

इसके अलावा हाल के दिनों की भू-राजनीति में महत्वपूर्ण नए मोड़ आए हैं, जिनका भारत पर भी असर पड़ेगा. खबरों के मुताबिक तुर्की और चीन ने पाकिस्तान का एकतरफा समर्थन किया है. 

पाकिस्तान ने आतंकवाद को एक अघोषित नीति के रूप में इस्तेमाल किया है. दूसरी तरफ यह साबित करते हुए कि आतंकवादी हमले की स्थिति में हम पाकिस्तान में घुसकर कार्रवाई कर सकते हैं, मोदी सरकार ने प्रभावी रूप से एक नए सुरक्षा सिद्धांत की घोषणा की है. पाकिस्तान को निर्दोष लोगों की हत्या करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी. 

ट्रंप की घोषणा

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान ‘पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम’ पर सहमत हो गए हैं. ट्रंप ने अपनी आदत के अनुरूप या शायद जल्दबाज़ी में ऐसा किया. वे साबित करना चाहते हैं कि लड़ाइयों को रोकना उन्हें आता है. 

Wednesday, May 14, 2025

ऑफेंसिव डिफेंस यानी ‘गोली की जवाब गोला’


'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत तीन दिन चली लड़ाई के पहले दिन ही भारतीय सेना का लक्ष्य पूरा हो गया था, जब 21 में से नौ ठिकानों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करके सौ से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया. 

भारतीय सफलताओं की कहानियाँ सामने आती जाएँगी, पर रविवार की शाम हमारे डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस) और तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने सप्रमाण जो विवरण पेश किए हैं, उन्हें देखते हुए हम आश्वस्त हो सकते हैं कि भविष्य में कोई भी गलत हरकत करने के पहले दस बार सोचेगा. 

ऑपरेशन जारी है

भारत की दिलचस्पी लंबी लड़ाई में थी ही नहीं और पाकिस्तान में लड़ने की कुव्वत नहीं थी. ऐसे में लड़ाई का रुकना सकारात्मक गतिविधि है, पर इसका मतलब यह नहीं है कि अब हम कोई कार्रवाई करेंगे ही नहीं. रविवार को भारतीय वायुसेना ने स्पष्ट कर दिया कि हमारा ऑपरेशन खत्म नहीं हुआ है. 

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि युद्धविराम के बाद पाकिस्तानी सेना ने कुछ ही घंटों में उसका उल्लंघन शुरू कर दिया था. इसके बाद शनिवार रात और रविवार सुबह तक पश्चिमी सीमा के विस्तार में ड्रोन घुसपैठ हुई. 

Monday, May 12, 2025

आतंकवाद की ‘नाभि’ पर प्रहार का प्रारंभ


'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत तीन दिन चली लड़ाई के दीर्घकालीन निहितार्थ बाद में समझे जाएँगे, पहली बात यह है कि लंबे अरसे बाद दोनों देशों में आज 12 मई को बात होगी। भले ही यह बात डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस के लेवल पर है, इसलिए वह फौजी-गतिविधियों पर केंद्रित होगी। हो सकता है कि इसके भीतर से कोई महत्वपूर्ण सूत्र निकल आए। 

भारत ने अपनी सैनिक-कार्रवाई के जिन उद्देश्यों को शुरू में घोषित किया था, वे काफी हद तक हासिल हो चुके हैं। पाकिस्तान के रक्षा-इंफ्रास्ट्रक्चर का जो नुकसान हुआ है, उसकी जानकारी रविवार को सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी ब्रीफिंग में दी है। फिलहाल हमें पहलगाम के उन छह या आठ हत्यारों को पाताल से भी खोजकर लाना चाहिए, जो ‘आतंकवाद की नाभि’ में बैठे हैं। उस नाभि पर यह पहला वार है।

10 मई की शाम युद्धविराम की घोषणा होने के बाद देर रात तक संशय बना रहा कि लड़ाई रुकी भी है या नहीं। आखिरकार रुकी। इससे पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान के भीतर की दरारें दिखाई पड़ रही हैं। यकीनन पाकिस्तान के साथ रिश्तों में बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत है और हम सावधान हैं। 

Saturday, May 10, 2025

लड़ाई रुक गई, पर इससे पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति पर गहरा असर होगा


भारत ने 7 मई को नौ स्थानों पर हमले करने के बाद स्पष्ट कर दिया था कि हमारा इरादा और किसी जगह पर हमला करने का नहीं है। हमारा उद्देश्य केवल आतंकी गतिविधियों का संचालन करने वालों को सजा देना है। आज भारत ने उन पाँच बड़े आतंकवादियों की सूची जारी की, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने इस बात को स्वीकार नहीं किया और जवाबी हमले शुरू कर दिए। भारतीय सेना लगातार कह रही थी कि हम अब पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई का उसी जगह और उसी गति से जवाब देंगे। आज भारत ने यह बात भी सिद्धांततः घोषित कर दी कि भविष्य में किसी भी आतंकी कार्रवाई को हम  भारत के खिलाफ युद्ध की घोषणा मानेंगे। पाकिस्तानी सेना को लगता था कि जवाब नहीं देंगे, तो नाक कटेगी। अंततः उन्होंने नाक कटवा कर युद्धविराम को स्वीकार कर लिया। 

भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब केवल युद्धविराम की प्रक्रिया से जुड़े मसलों पर ही बात होगी। शेष किसी भी विषय पर वार्ता नहीं होगी। सबसे बड़ा सवाल सिंधु जल-संधि से जुड़ा है। मुझे लगता है कि भारत अब भारत इस संधि की शर्तों में बदलाव पर जो़र देगा। बहरहाल देखना होगा कि 'ऑपरेशन सिंदूर'  के तहत तीन दिन चली लड़ाई का पाकिस्तानी राजनीति पर क्या असर होगा। उससे भी बड़ा सवाल जनरल आसिम मुनीर के भविष्य का है। लगता है कि पाकिस्तान की सेना के भीतर उनका विरोध हो रहा है।  

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार शाम को पुष्टि की कि पाकिस्तान द्वारा भारत से संपर्क करने के बाद भारत अमेरिका की मध्यस्थता में युद्ध विराम पर सहमत हो गया है। इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति  डॉनल्ड ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर एक पोस्ट में कहा, अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए ख़ुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीज़फ़ायर पर सहमति जताई है। 

इसके कुछ ही देर बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर संघर्ष-विराम पर सहमति की जानकारी दी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा कि भारत और पाकिस्तान व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर राज़ी हो गए हैं। उन्होंने लिखा, “मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान तत्काल सीज़फ़ायर करने और एक निष्पक्ष स्थान पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत करने के लिए सहमत हो गए हैं। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी। इस ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया कुरैशी ने इस दौरान पाकिस्तान के दुष्प्रचार को गलत बताया। 

Friday, May 9, 2025

पकिस्तान ने नागरिक उड़ानों को ढाल बनाया


भारत ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान ने 36 स्थानों पर ड्रोन से घुसपैठ की कोशिश की है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सरकारी ब्रीफिंग के दौरान कहा, "300-400 ड्रोन के झुंड ने लेह से सर क्रीक तक भारतीय ठिकानों को निशाना बनाया।" विदेश सचिव मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के एक दिन बाद मीडिया को संबोधित किया, जिसमें पाकिस्तान ने गुरुवार को तड़के उत्तरी और पश्चिमी सेक्टरों में 15 भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला किया।

भारत ने पाकिस्तान के हमले के प्रयास को कैसे विफल किया, इस पर विस्तार से बताते हुए सेना ने कहा: "हमारे सशस्त्र बलों ने गतिज (काइनेटिक) और गैर-गतिज (नॉन-काइनेटिक) साधनों का उपयोग करके कई पाकिस्तानी ड्रोनों को मार गिराया... एक पाकिस्तानी सशस्त्र मानव रहित हवाई वाहन को बठिंडा सैन्य स्टेशन को निशाना बनाने के लिए भेजा गया। इस प्रयास को विफल कर दिया गया।

कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि प्रारंभिक जांच में पाकिस्तान सेना द्वारा किए गए हमलों में तुर्की के ड्रोन का मलबा मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान नागरिक उड़ानों का इस्तेमाल ढाल की तरह कर रहा है। यह ब्रीफिंग गुरुवार रात को भारत द्वारा पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को फिर से विफल करने के बाद आई। उन्होंने  बताया, पाकिस्तान ने 7 मई को रात 8.30 बजे बिना उकसावे के ड्रोन और मिसाइल हमला करने के बावजूद अपना नागरिक हवाई क्षेत्र बंद नहीं किया। पाकिस्तान नागरिक विमानों को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि भारत पर उसके हमले से भारत को त्वरित हवाई रक्षा प्रतिक्रिया मिलेगी। यह भारत और पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास उड़ान भरने वाले अंतरराष्ट्रीय विमानों सहित नागरिक विमानों के लिए सुरक्षित नहीं है।"

Thursday, May 8, 2025

भारत ने लाहौर की एयर-डिफेंस प्रणाली को ध्वस्त किया


ऐसा समझा जा रहा था कि 6-7 मई की रात में भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकी केंद्रों पर जो कार्रवाई की थी, उससे सबक लेकर पाकिस्तान ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिससे झगड़ा बढ़े, पर ऐसा हुआ नहीं और उसने 7-8 मई की रात भारत के कुछ शहरों पर मिसाइलों से हमले किए। भारतीय सेनाएँ इसका सामना करने के लिए भी तैयार थीं और उन्होंने इन हमलों को न सिर्फ नाकाम किया, बल्कि 8 मई को सुबह से लेकर शाम तक जवाबी हमले किए। इससे दोनों देशों के बीच लड़ाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। भारत ने  आज उसी तरह उसी क्षेत्र में और उसी तेजी से जवाब दिया है। इसमें सबसे उल्लेखनीय है लाहौर में चीनी वायु रक्षा प्रणाली एचक्यू-9 को निष्प्रभावी बनाना। 

आज सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में कई स्थानों पर एयर डिफेंस रेडार और सिस्टम को निशाना बनाया। माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना के पास मौजूद इसराइल के नवीनतम हैरॉप लॉइटरिंग म्यूनिशंस का इस्तेमाल भारत ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए किया गया है। ये यूएवी निर्धारित लक्ष्य के करीब हवा में मंडराते रहते हैं और निर्देशित किए जाने पर खुद को नष्ट करके हमला कर सकते हैं। पाकिस्तान के आईएसपीआर ने भी दावा किया है कि भारत ने हैरॉप का इस्तेमाल किया गया है।

ऑपरेशन सिंदूर पर 7 मई को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, भारत ने अपनी प्रतिक्रिया को केंद्रित, संयत और गैर भड़काऊ बताया था। इसमें पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाने का खासतौर से उल्लेख किया गया था। साथ में यह भी कह दिया था कि भारत में सैन्य ठिकानों पर हमले करने की कोशिश की गई, तो फिर उसका उचित उत्तर दिया जाएगा।

ऑपरेशन सिंदूर पर एक विशेष ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज कहा, पहलगाम हमला पहला एस्केलेशन था। उन्होंने पाकिस्तान के इस सुझाव की भी असलियत को सबके सामने रखा कि पहलगाम मामले की निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जाँच  कराई जाए। उन्होंने कहा कि 26/11 और 2016 के पठानकोट हमलों के मामलों में हमने  पाकिस्तान के साथ सहयोग करने का सुझाव दिया था, पर पाकिस्तान ने कोई सहयोग नहीं दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने उस दिन फिर से मीडिया को संबोधित किया, जिस दिन भारत ने लाहौर में एक वायु रक्षा प्रणाली को बेअसर कर दिया। 

ये जानकारियाँ तेजी से हो रहे घटनाक्रमों के बाद आई हैं, जब भारत ने ओटीटी प्लेटफार्मों, मीडिया स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों और भारत में संचालित बिचौलियों से पाकिस्तान से आने वाली वेब-सीरीज, फिल्म, गाने, पॉडकास्ट और अन्य स्ट्रीमिंग मीडिया सामग्री को बंद करने के लिए कहा था। इससे पहले दिन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेतावनी दी थी कि जो लोग भारत के धैर्य की परीक्षा लेने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में कल की तरह 'गुणवत्तापूर्ण कार्रवाई' का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात ड्रोन और मिसाइलों द्वारा अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज सहित उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। भारतीय मीडिया में दिनभर अमृतसर के पास के एक गाँव में खेत से मिले एक मिसाइल के अवशेषों की खबर छाई रही। बहरहाल इन हमलों को भारत के एकीकृत काउंटर यूएएस ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने बेअसर कर दिया। इन हमलों के बाद कई स्थानों से बरामद मिसाइलों के मलबे पाकिस्तानी हमलों की पुष्टि करते हैं।

Wednesday, May 7, 2025

पाकिस्तान ने अब भी समझदारी नहीं दिखाई, तो तबाह हो जाएगा


भारत के इस तीसरे ‘सर्जिकल-स्ट्राइक’ का सबूत कोई नहीं माँगेगा, क्योंकि इसे पाकिस्तान ने खुद स्वीकार किया है. इसबार की स्ट्राइक का लेवल 2016 और 2019 के मुकाबले ज्यादा बड़ा है, जिसकी उम्मीद थी. अब ज्यादा बड़ा सवाल है कि बात कितनी बढ़ेगी? 

कार्रवाई क्या यहीं तक सीमित रहेगी, या आगे बढ़ेगी? बहुत कुछ पाकिस्तानी प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा. सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की एक बात तैर रही है कि भारत यदि और हमले न करे, तो हम भी जवाबी हमला न करने पर विचार कर सकते हैं, पर इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है. 

प्रेस ब्रीफिंग

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की ओर से स्क्वॉड्रन लीडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन की जानकारी दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले एयर स्ट्राइक का दो मिनट का वीडियो प्ले किया गया. इसके साथ ही आज के ऑपरेशन से जुड़े वीडियो प्रमाण भी दिखाए गे. 

विक्रम मिस्री ने इसे आतंक के खिलाफ नपी-तुली कार्रवाई बताया. उन्होंने कहा, पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है. इस संगठन के बारे में हमने पहले भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को जानकारी दी थी. सुरक्षा परिषद के वक्तव्य से इस संगठन के नाम को हटाए जाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि हमलावरों की पहचान भी हुई है. हमारी इंटेलिजेंस ने हमले में शामिल लोगों से जुड़ी जानकारी जुटा ली है. इस हमले का कनेक्शन पाकिस्तान से है.

ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर के लक्ष्यों के बारे में केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, निम्नलिखित स्थानों पर हमला किया गया: 

सियालकोट में सरजाल कैंप-मार्च 2025 में चार जम्मू-कश्मीर पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले आतंकवादियों ने इसी कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। सियालकोट-पठानकोट वायुसेना बेस कैंप पर हमले की योजना इसी आतंकवादी शिविर में बनाई गई थी और उसे अंजाम दिया गया था।

मुरीद्के में मरकज तैयबा कैंप-2008 के मुंबई आतंकी हमलों में भाग लेने वाले आतंकवादियों को यहीं प्रशिक्षण दिया गया था। अजमल कसाब और डेविड हेडली ने यहीं प्रशिक्षण प्राप्त किया था। 

बहावलपुर में मरकज़ सुभानअल्लाह-यह जैश-ए-मुहम्मद का मुख्यालय है। यहाँ भर्ती, प्रशिक्षण और विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया जाता था।

ज़ीरो टॉलरेंस

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, दुनिया को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लगातार नज़र रखी. 

भारत ने इसके माध्यम से संदेश दिया है कि आतंकवादी गतिविधियाँ जारी रहीं, तो हमारी ओर से कार्रवाइयों की कठोरता बढ़ती जाएगी. भारत ने इसबार जो भी कार्रवाई की है, उसे काफी होमवर्क के साथ तैयार किया है, जिसमें प्लान ‘बी’ और ‘सी’ जैसे विचार शामिल हैं. 

पाकिस्तान को समझना चाहिए कि उसका खेल खत्म हो रहा है. भारत की कार्रवाइयाँ तब तक जारी रहेंगी, जब तक हालात किसी निर्णायक मुकाम तक नहीं पहुँचेंगे. खूंरेज़ी और पड़ोस के रिश्ते साथ-साथ नहीं चलेंगे. 

भारत को उकसाया

इसबार की कार्रवाई की तीव्रता बहुत कठोर होने के बजाय कम भी हो सकती थी, पर पाकिस्तानी नेतृत्व ने भड़काऊ बातें करके भारत को उकसाया और एटम बम का इस्तेमाल करने की धमकी तक दे डाली. 

पाकिस्तान के नेतृत्व ने समझदारी का परिचय दिया होता, तो सिंधु जल-संधि के स्थगित होने की नौबत नहीं आती. पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर को प्रवासी पाकिस्तानियों की सभा में ज़हरीली बातें करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. 

ऑपरेशन का नाम रखने और सर्जिकल स्ट्राइक के ठिकानों को तय करने में भारत ने बहुत सावधानी बरती है और उसे पहलगाम हमले पर केंद्रित रखा है. सेना ने पाकिस्तान के किसी भी आधिकारिक सैनिक ठिकाने पर हमला नहीं बोला है, बल्कि जैशे मुहम्मद, लश्करे तैयबा और हिज़्बुल मुज़ाहिदीन के कैंपों को निशाना बनाया है, जो दहशतगर्दी के अड्डे हैं. 

यह अभियान ‘फोकस्ड और सटीक’ था. हमारे पास पहलगाम हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले विश्वसनीय सुराग और सबूत हैं. सटीक हमलों के बाद, भारत ने विश्व के कई देशों से संपर्क किया और वरिष्ठ अधिकारियों को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के बारे में जानकारी दी. 

इन हमलों में नागरिकों को या दूसरे प्रतिष्ठानों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा है. अभी तक सेना ने सीमा पार नहीं की है, बल्कि अपनी सीमा के भीतर रहते हुए गाइडेड मिसाइलों, प्रिसीशन बमों और लॉइटरिंग म्यूनिशंस की मदद से हमला किया है. इसका उद्देश्य कार्रवाई को सीमित दायरे में रखना है.   

पाकिस्तान इस समय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है, जिससे उसकी जिम्मेदारी बढ़ती है. वह जुलाई में एक महीने के लिए परिषद की अध्यक्षता भी उसे मिलेगी. इसका मतलब यह नहीं है कि वह जो चाहे कर लेगा. 

सबूत चाहिए

पाकिस्तान ने भारत से पहलगाम से जुड़े सबूत पेश करने को और इस प्रकरण की निष्पक्ष जाँच करने को कहा है. वस्तुतः सबूत उसे पेश करने हैं कि जिस टीआरएफ ने पहलगाम हिंसा की जिम्मेदारी ली है, उसका लश्करे तैयबा के साथ कोई रिश्ता नहीं है. और यह भी साबित करना है कि लश्कर के अलावा जैशे मुहम्मद और हिज़्बुल मुज़ाहिदीन के कैंप नहीं हैं. 

पहलगाम की हिंसा के फौरन बाद लश्करे तैयबा के पिट्ठू संगठन रेज़िस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने उसकी ज़िम्मेदारी खुद ली थी. पाकिस्तानी नेतृत्व को जब इस बात की गंभीरता का पता लगा, तो उन्होंने कहना शुरू किया कि यह भारत का ‘फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन’ है. 

पाकिस्तान की ओर से इस किस्म का बयान आने के अगले ही दिन टीआरएफ ने अपनी बात वापस ले ली और कहा कि हमारे सोशल मीडिया हैंडल को किसी ने हैक कर लिया था. 

राजनयिक खेल

इसके बाद पाकिस्तान ने चीन की सहायता से 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद का बयान जारी करवाया, जिसमें पहलगाम के आतंकवादी हमले की ‘कड़े शब्दों में’ निंदा ज़रूर थी, पर (टीआरएफ) का नाम नहीं लिया, जिसने हमले की जिम्मेदारी ली थी. 

सुरक्षा परिषद ने इस संगठन का नाम नहीं लिया, तो लश्कर-ए-तैयबा के साथ उसके संबंधों का उल्लेख भी नहीं हुआ, जो संरा द्वारा नामित आतंकवादी संगठन है. उसने भारत सरकार के साथ सहयोग की बात भी नहीं की, जैसा कि अतीत में होता रहा है. गैर-मुसलमानों को निशाना बनाए जाने का उल्लेख भी नहीं. 

सुरक्षा परिषद ने पहलगाम के बाद की परिस्थिति पर सोमवार 5 मई को बंद कमरे में विचार-विमर्श किया, जिसमें बढ़ते तनाव पर चर्चा की गई. इस बैठक का आग्रह पाकिस्तान ने ही किया था, पर इसका कोई लाभ उसे नहीं नहीं मिला. 

कठोर सवाल

प्रेस ट्रस्ट की रिपोर्ट के अनुसार बैठक में राजदूतों ने दोनों देशों से तनाव कम करने का आह्वान किया और पाकिस्तान के सामने कुछ ‘कठोर सवाल’ रखे. क्या थे ‘कठोर सवाल’? पहला सवाल यही है कि पहलगाम की हिंसा के पीछे कौन है? 

इस बैठक का अनुरोध पाकिस्तान ने किया था. सुरक्षा परिषद ने बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया, लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके अपने उद्देश्य ‘काफी हद तक पूरे हो गए’.

बंद कमरे में हुई यूएनएससी की बैठक उनके सामान्य बैठने के कमरे में नहीं हुई, बल्कि उसके बगल में बने परामर्श कक्ष में हुई. इससे इस बैठक की अनौपचारिकता ही साबित होती है. कहा जा सकता है कि स्थिति का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तान की कोशिशें सफल नहीं हुईं. 

अगस्त 2019 में जब भारत ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था, तब भी पाकिस्तान ने चीन की सहायता से सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का प्रयास किया था. तब भी इसी किस्म की अनौपचारिक बैठक हुई थी और परिषद ने तब भी कोई बयान जारी नहीं किया था.

आर्थिक-दबाव

यह मामला केवल सैनिक (काइनेटिक) कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राजनयिक और राजनीतिक-कार्रवाइयाँ भी इसमें शामिल हैं. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने कहा है कि लड़ाई से पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों पर जैसा विपरीत प्रभाव पड़ेगा, वैसा भारत की अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा. 

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पहले से डगमगा रही है, जिसे थामना अब और मुश्किल होगा. उसे चीन का समर्थन हासिल है, पर उसे आर्थिक सहायता के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ के पास ही जाना होता है, जिनकी चाभी अमेरिका के पास है.  

आवाज़ द वॉयस में प्रकाशित




वैश्विक-मंच पर होगी कश्मीर की लड़ाई


पहलगाम-हमले ने एक तरफ कश्मीर की मूल समस्या की ओर हमारा ध्यान खींचा है, वहीं वैश्विक-दृष्टिकोण को भी समझने का मौका दिया है. कौन हमारा साथ देगा, अमेरिका या ब्रिटेन? यूरोप क्या सोचता है या रूसी नज़रिया क्या है वगैरह.  

आतंकवादियों के हमले का जवाब देने के अलावा वैश्विक राजनीति को अपने पक्ष में लाने का प्रयास भी भारत को करना है. साथ ही कश्मीर को लेकर अपने दृष्टिकोण को वैश्विक-मंच पर ज्यादा दृढ़ता से उठाना होगा. 

सवाल केवल प्रतिशोध का नहीं है, बल्कि दीर्घकालीन रणनीति पर चलने का है. एक बड़ा सवाल चीन की भूमिका को लेकर भी है. लड़ाई हुई, तो शायद चीन सीधे उसमें शामिल नहीं होगा, पर परोक्षतः वह पाकिस्तान का साथ देगा. खासतौर से सुरक्षा परिषद की गतिविधियों में. 

वैश्विक-उलझाव

भारत के विभाजन की सबसे बड़ी अनसुलझी समस्या है, कश्मीर. शीतयुद्ध और राजनीतिक गणित के कारण यह मसला उलझा रहा. भारत का नेतृत्व इस समय संज़ीदगी से बर्ताव कर रहा है, वहीं पाकिस्तानी नेतृत्व बदहवास है और एटमी धमकी दे रहा है. 

हमारा विदेश मंत्रालय सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्यों सहित दुनिया के सभी प्रमुख देशों से संपर्क कर रहा है. सुरक्षा परिषद ने सोमवार 5 मई को बंद कमरे में विचार-विमर्श किया, जिसमें बढ़ते तनाव पर चर्चा की गई. 

प्रेस ट्रस्ट की रिपोर्ट के अनुसार बैठक में राजदूतों ने दोनों देशों से तनाव कम करने का आह्वान किया और पाकिस्तान के सामने ‘कठोर सवाल’ रखे. इस बैठक का अनुरोध पाकिस्तान ने किया था. सुरक्षा परिषद ने बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया, लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके अपने उद्देश्य ‘काफी हद तक पूरे हो गए’.

Monday, May 5, 2025

अमेरिका और ब्रिटेन ने उलझाया कश्मीर का सवाल

पहलगाम पर हुए आतंकी हमले ने कश्मीर की मूल समस्या की ओर हमारा ध्यान फिर से खींचा है। भारत के विभाजन की यह सबसे बड़ी देन है, जिसके कारण दक्षिण एशिया अशांत है और आज दुनिया के सबसे पिछड़े इलाकों में उसका शुमार होता है। प्रश्न है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस समस्या का समाधान करने में विफल क्यों रही? 

समस्या का जन्म

अविभाजित भारत में 562 देशी रजवाड़े थे। कश्मीर भी अंग्रेजी राज के अधीन था, पर उसकी स्थिति एक प्रत्यक्ष उपनिवेश जैसी थी और 15 अगस्त 1947 को वह भी स्वतंत्र हो गया। जम्मू-कश्मीर महाराजा हरिसिंह के नेतृत्व में देशी रियासत थी। देशी रजवाड़ों के सामने विकल्प था कि वे भारत को चुनें या पाकिस्तान को। देश को जिस भारत अधिनियम के तहत स्वतंत्रता मिली थी, उसकी मंशा थी कि कोई भी रियासत स्वतंत्र देश के रूप में न रहे। बहरहाल कश्मीर राज के मन में असमंजस था।

इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत 15 अगस्त 1947 को जम्मू कश्मीर पर भी अंग्रेज सरकार का आधिपत्य (सुज़रेंटी) समाप्त हो गया। महाराजा के मन में संशय था कि भारत में शामिल हुए, तो राज्य की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को यह बात पसंद नहीं आएगी और पाकिस्तान में विलय करेंगे, तो हिंदू और सिख नागरिकों को दिक्कत होगी। 

स्टैंडस्टिल समझौता

पाकिस्तान ने कश्मीर के महाराजा को कई तरह से मनाने का प्रयास किया कि वे पकिस्तान में विलय को स्वीकार कर लें। स्वतंत्रता के ठीक पहले जुलाई 1947 में मोहम्मद अली जिन्ना ने महाराजा को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें हर तरह की सुविधा दी जाएगी। महाराजा ने भारत और पाकिस्तान के साथ ‘स्टैंडस्टिल समझौते’ की पेशकश की। यानी यथास्थिति बनी रहे। भारत ने इस पेशकश पर कोई फैसला नहीं किया, पर पाकिस्तान ने ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ कर लिया। 

Saturday, May 3, 2025

वक़्फ़ कानून का राजनीतिक-माइलेज और अदालती सुनवाई

भारत सरकार की ओर से जवाब मिल जाने के बाद अब 5 मई को सुप्रीम कोर्ट में वक़्फ़ कानून से जुड़ी याचिकाओं पर फिर से सुनवाई होगी। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने लगातार वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ 5 मई को पाँच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। 

इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि 70 से ज्यादा याचिकाओं में से केवल पाँच पर सुनवाई होगी। गत 2 मई को फिर कहा कि इस मुद्दे पर कोई और नई याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता मोहम्मद सुल्तान के वकील से कहा, 'यदि आपके पास कुछ अतिरिक्त आधार हैं, तो आप हस्तक्षेप आवेदन दायर कर सकते हैं।' इससे पहले 29 अप्रैल को पीठ ने अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 13 याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने कहा, 'हम अब याचिकाओं की संख्या नहीं बढ़ाने जा रहे हैं। यह बढ़ती रहेंगी और इन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा।' 17 अप्रैल को पीठ ने अपने समक्ष प्रस्तुत याचिकाओं में से केवल पाँच पर सुनवाई करने का फैसला किया और मामले का टाइटल रखा 'वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संबंध में।'

तब केंद्र ने पीठ को आश्वासन दिया कि वह 5 मई तक 'वक्फ के यूजर्स सहित वक्फ संपत्तियों को न तो गैर-अधिसूचित करेगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति करेगा। कानून के खिलाफ 72 याचिकाएँ दायर की गईं। इनमें एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद की याचिकाएं शामिल थीं। तीन वकीलों को नोडल वकील नियुक्त करते हुए पीठ ने वकीलों से कहा कि वे आपस में तय करें कि कौन बहस करने जा रहा है। पीठ ने कहा, 'हम स्पष्ट करते हैं कि अगली सुनवाई (5 मई) प्रारंभिक आपत्तियों और अंतरिम आदेश के लिए होगी।'

Friday, May 2, 2025

मानसिक-युद्धों के दौर में खामोशी भी हथियार है



पुलवामा हमला 14 फरवरी को हुआ था और भारत ने बालाकोट पर हमला उसके 12 दिन बाद 26 फरवरी को किया। इसबार कार्रवाई क्या और कब होगी, इसे लेकर अटकलें हैं। ऐसी कार्रवाई किसी भी वक्त हो सकती है, पर ज़रूरी नहीं कि बहुत जल्दी हो। रक्षा-प्रतिष्ठान समय और उसके तरीके पर काफी सोच-विचारकर ही फैसला करेगा। कार्रवाई के संभावित परिणामों पर भी विचार करने की जरूरत होती है। 

हमारा सत्ता-प्रतिष्ठान किसी किस्म की बदहवासी व्यक्त नहीं कर रहा है, जैसी पाकिस्तान से दिखाई और सुनाई पड़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में युद्ध के दो नए पक्ष और जुड़े हैं। एक है साइबर-युद्ध और दूसरा हाइब्रिड-युद्ध। दोनों एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। 12 नवंबर, 2021 को हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 'नागरिक समाज को युद्ध का नया मोर्चा' कहा था। उनके इस बयान पर काफी हंगामा हुआ। 

वस्तुतः अजित डोभाल ने चेतावनी दी थी कि युद्ध की अवधारणा बदल रही है। ‘राष्ट्रहित को नुकसान पहुँचाने के लिए सिविल सोसाइटी को भ्रष्ट किया जा सकता है, अधीन बनाया जा सकता है, बाँटा जा सकता है, उसे अपने फायदे में इस्तेमाल किया जा सकता है।’ इस बयान से यह अर्थ नहीं निकलता कि समूची सिविल-सोसायटी दुश्मन है। ‘सिविल-सोसायटी मोर्चा है’ कहने का तात्पर्य है कि उसकी आड़ ली जा सकती है। युद्ध के नए हथियार के रूप में सिविल-सोसायटी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।  

जम्मू-कश्मीर को ‘पूर्ण-राज्य’ बनाने में देरी


जम्मू-कश्मीर में हालात काफी हद तक सामान्य हो रहे थे कि पहलगाम पर हमला हो गया, जिसके पीछे इरादा यह भी रहा होगा कि राज्य में स्थितियाँ सामान्य होती नज़र नहीं आएँ। हालांकि इस हमले से राज्य के नागरिकों का मनोबल टूटा नहीं है, पर लगता है कि इससे पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने में कुछ विलंब होगा। 

हमले से कुछ हफ़्ते पहले ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल होने को लेकर उम्मीद जताई थी। उस समय उन्होंने कहा था, हमें लगता है कि सही समय आ गया है, विधानसभा चुनाव हुए छह महीने बीत चुके हैं। शाह यहाँ आए थे, मैंने उनसे अलग से मुलाक़ात की, जो अच्छी रही... मुझे अब भी उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही अपना राज्य का दर्जा वापस मिल जाएगा।