Wednesday, June 5, 2024

'अपराजेय' बीजेपी को अमृतकाल का पहला धक्का

 
लोकसभा चुनाव के परिणामों से देश की राजनीति के अंतर्विरोधों को एकबार फिर से खोलने जा रहे हैं। इन परिणामों के साथ अनेक अनिश्चय जन्म ले रहे हैं, जो धीरे-धीरे सामने आएंगे। लगता है कि इसबार पूरे परिणाम देर से घोषित हो पाएंगे, पर उनके रुझान से स्थिति काफी सीमा तक स्पष्ट हो चुकी है। परिणामों का पहला संकेत हैं भारतीय जनता पार्टी की अपराजेयता एक झटके में ध्वस्त होना।

यह भी साफ है कि जनादेश एनडीए के नाम है। केंद्र में उसकी ही सरकार बननी चाहिए और बनेगी। पर यह सरकार पिछली दो सरकारों जैसी शक्तिमान नहीं होगी। उसमें गठबंधन सहयोगियों की शर्तें शामिल होंगी। ऐसे में अर्थव्यवस्था और राजनीति से जुड़े उसके कार्यक्रमों को लेकर सवाल खड़े होंगे। फिलहाल अमृतकाल का यह कड़वा अनुभव है। चुनाव-प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी की रैलियों और बयानों से यह संकेत मिल भी रहा था कि पार्टी को नेपथ्य की आवाजें सुनाई पड़ गई थीं।

एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला है, बावजूद इसके खबरें हवा में हैं कि 2004 की तरह इंडिया गठबंधन की सरकार बनाने के प्रयास भी हो सकते हैं। खबरें हैं कि सोनिया गांधी और शरद पवार ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से संपर्क किया है। राजनीति में हर तरह की संभावनाओं को टटोलने में जाता कुछ नहीं है. पर सवाल है कि एनडीए के गठबंधन सहयोगी क्या आसानी से उसका साथ छोड़ देंगे?  इसकी उम्मीद तो नहीं है, पर राजनीति में किसी भी वक्त, कुछ भी हो सकता है।

आंध्र प्रदेश में तेलुगु देसम पार्टी को भारी विजय मिली है। तेलुगु देसम एनडीए का घटक दल है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक लगता है कि तेदेपा के 16 और जेडीयू के 15 सांसद जीतकर आएंगे। इन दो घटक दलों से इंडिया गठबंधन ने संपर्क किया है। चूंकि बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, इसलिए उसे अब अपने गठबंधन को बनाए रखने के लिए प्रयत्न भी करने होंगे। उसके सहयोगी टूटेंगे या नहीं टूटेंगे, यह अलग बात है, पर अंदेशा बना रहेगा।

Monday, June 3, 2024

एग्ज़िट पोल तो हो गया, अब 4 को होगी ‘इंडिया’ की परीक्षा


2024 के लोकसभा चुनाव से जुड़े सभी एग्ज़िट पोल में कमोबेश अनुमान है कि नरेंद्र मोदी सरकार सफलता की तिकड़ी लगाने जा रही है। कुछ नतीजों में 400 पारकी बात भी है। पर यह अपने आप में उतनी बड़ी बात नहीं है, जितनी दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में एनडीए की सफलता है। यह सफलता वास्तव में 4 जून को साबित हो गई, तो बड़ी बात होगी। केरल में पहली बार बीजेपी को सीट मिलने की संभावना है। तमिलनाडु में भी सफलता की संभावना है। ज्यादा बड़ी सफलता कर्नाटक, आंध्र और तेलंगाना में दिखाई पड़ रही है। इन सफलताओं को जोड़कर देखें, तो भारतीय जनता पार्टी, दक्षिण भारत में सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभरेगी। पिछले दिनों जब तेलंगाना विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी, तब कहा जा रहा था कि उत्तर और दक्षिण भारत अलग-अलग नज़रियों से सोचते हैं।  

इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी का नारा था, बीजेपी दक्षिण में साफ, उत्तर में हाफ। पर व्यावहारिक रूप से देखें तो इस बात को कांग्रेस पर लागू किया जा सकता है, उत्तर में साफ, अब दक्षिण में हाफ। उनकी रणनीति अपनी जीत को सुनिश्चित करने की नहीं, बल्कि मोदी को हराने की है। बहरहाल इंडिया गठबंधन ने एग्ज़िट पोल के इन निष्कर्षों को स्वीकार ही किया है। शनिवार को दिल्ली में हुई गठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमें 295 से ज्यादा सीटें मिलने वाली हैं। उनका कहना था कि यह संख्या हमारे सहयोगी दलों के ज़मीनी कार्यकर्ताओं की सूचना पर आधारित है। केवल एक संख्या उन्होंने बताई 295+। इसका विस्तार उन्होंने नहीं किया। मसलन यह नहीं बताया कि किस राज्य में किसे कितनी सीटें मिल सकती हैं। उनकी बात की परीक्षा भी 4 जून को हो जाएगी।

Saturday, June 1, 2024

एग्ज़िट पोल ने हवा का रुख बता दिया, अब 4 जून के फैसले का इंतजार करें

2024 के लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण का मतदान पूरा होने के बाद एग्ज़िट पोल के नतीजे आ गए हैं। इन पंक्तियों के प्रकाशित होने तक हालांकि ज्यादातर पोल अपने निष्कर्षों को पेश कर ही रहे हैं, पर कमोबेश सभी की नजर में नरेंद्र मोदी सरकार सफलता की तिकड़ी लगाने जा रही है। इनके नतीजों में किसी भी पोल ने एनडीए को 400 पार नहीं दिखाया है। दूसरे ज्यादातर ने दक्षिण भारत में बीजेपी के प्रवेश के दरवाजे खुलते दिखाए हैं। केरल में पहली बार और तमिलनाडु में भी बीजेपी को सीट मिलने की संभावनाएं देखी जा रही हैं। कर्नाटक में बीजेपी की स्थिति कमोबेश सुरक्षित है और आंध्र तथा तेलंगाना में उसकी स्थिति बेहतर होती दिखाई पड़ रही है। सबसे बड़ी बात, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का दुर्ग ध्वस्त होता दिखाई पड़ रहा है। 

कांग्रेस पार्टी ने पहले घोषित किया था कि उनके प्रतिनिधि इन एग्ज़िट पोल पर हो रही चर्चा में शामिल नहीं होंगे। अलबत्ता कई चैनलों पर कांग्रेस के प्रतिनिधि देखे गए। इनमें सुप्रिया श्रीनेत भी हैं। इसका मतलब है कि कांग्रेस ने अपने उस फैसले को वापस ले लिया। उधर समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे एग्ज़िट पोल के झाँसे में न आएं। पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं, प्रत्याशियों और पदाधिकारियों को दिए एक संदेश में भाजपा के झूठ और उसके एग्जिट पोल के खिलाफ सतर्क रहने को कहा है।

Wednesday, May 29, 2024

राफा पर इसराइली हमले और बढ़ती वैश्विक-हताशा


संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने शुक्रवार 24 मई को इसराइल को आदेश दिया है कि वह दक्षिणी गज़ा के राफा शहर पर चल रही कार्रवाई को फौरन रोक दे और वहाँ से अपनी सेना को वापस बुलाए.

यह आदेश दक्षिण अफ्रीका की उस अपील के आधार पर दिया गया है, जिसमें इसराइल पर फलस्तीनियों के नरसंहार का आरोप लगाया गया था. बावजूद इस आदेश के, लगता नहीं कि इसराइली कार्रवाई रुकेगी. इस आदेश के बाद 48 घंटों में इसराइली विमानों ने राफा पर 60 से ज्यादा हमले किए हैं.

उधर पिछले रविवार को फलस्तीनी संगठन हमास ने तेल अवीव पर एक बड़ा रॉकेट हमला करके यह बताया है कि साढ़े सात महीने की इसराइली कार्रवाई के बावजूद उसके हौसले पस्त नहीं हुए हैं. दोनों पक्षों को समझौते की मेज पर लाने में किसी किस्म की कामयाबी नहीं मिल पा रही है.

आईसीजे के प्रति इसराइली हुक्म-उदूली की वजह उसकी फौजी ताकत ही नहीं है, बल्कि उसके पीछे खड़ा अमेरिका भी है, जो उसे रोक नहीं रहा है. दूसरी तरफ मसले के समाधान से जुड़ी जटिलताएं भी आड़े आ रही हैं.

इसराइल के वॉर कैबिनेट मिनिस्टर बेनी गैंट्ज़ ने कहा है कि फैसला सुनाने के बाद आईसीजे के जज तो अपने घर जाकर चैन की नींद सोएंगे, जबकि हमास द्वारा बंधक बनाए गए 125 इसराइली अब भी यातना झेलने को मजबूर हैं. राफा में जारी हमले को तत्काल रोकने का सवाल ही नहीं उठता. जब तक हम बंधकों को छुड़ा कर वापस नहीं ले आते तब तक यह युद्ध जारी रहेगा.

Wednesday, May 22, 2024

‘पीओके’ का जनांदोलन और लोकसभा-चुनाव


आप चाहें, तो दोनों बातों में कॉन्ट्रास्ट या विसंगति देख सकते हैं. दोनों में कोई सीधा रिश्ता नहीं है, पर प्रकारांतर से है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके’ में चल रहे जनांदोलन को लेकर हमारे यहाँ कुछ लोगों को लगता है कि शायद वहाँ कोई बड़ी बात हो जाए. फिलहाल ऐसा लगता नहीं है, पर कश्मीर को लेकर जब भी विचार करें, तब मुज़फ़्फ़राबाद और मीरपुर पर भी बात करनी होगी.

दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर में चल रहे लोकसभा चुनाव को लेकर सकारात्मक खबरें हैं, जिसके निहितार्थ अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग निकाले हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले फरवरी में पुलवामा प्रकरण हुआ था और माना जाता है कि उस परिघटना का सायास या अनायास असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ा.

उस चुनाव के कुछ महीनों बाद ही भारत सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाने का फैसला किया था. उसके बाद से ही ‘पीओके’ को वापस लेने की बातें देश में हो रही हैं. हाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि केंद्र में नई सरकार बनने के बाद छह महीने के भीतर ‘पीओके’ हमारा होगा.

चुनाव-सभा की इस बात का बहुत ज्यादा राजनीतिक महत्व नहीं है, पर इस बात को मान लीजिए कि जैसे पाकिस्तान के नेता कश्मीर को अपनी शह-रगयानी जुग्युलर-वेन मानते हैं, वैसे ही कश्मीर भी बड़ी संख्या में भारतीयों के दिल में रहता है.

‘पीओके’ को लेकर विदेशमंत्री एस जयशंकर ने हाल में कहा है कि 370 हटा कर जम्मू-कश्मीर को एकीकृत करना पहला पार्ट था, जो पूरा कर लिया गया है. अब हमें दूसरे पार्ट का इंतज़ार करना चाहिए. कुछ इसी आशय की बातें गृहमंत्री अमित शाह ने भी कही हैं. दूसरे पार्ट से आशय है, उसकी भारत में वापसी.

विभाजन का बचा हुआ काम

नब्बे के दशक में जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो बार-बार कह रहीं थीं कि कश्मीर का मसला विभाजन के बाद बचा अधूरा काम है. इस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की भारत में वापसी ही अधूरा रह गया काम है. वह समय था जब कश्मीर में हिंसा चरमोत्कर्ष पर थी.

बढ़ती हुई आतंकवादी हिंसा के मद्देनज़र भारतीय संसद के दोनों सदनों ने 22 फरवरी 1994 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया और इस बात पर जोर दिया कि सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसलिए पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले राज्य के हिस्सों को खाली करना होगा. पाकिस्तान बल पूर्वक कब्जाए हुए भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों को खाली करे.