Wednesday, March 13, 2024

कांग्रेस के सीने पर अमेठी का जख़्म


लोकसभा क्षेत्र: अमेठी

रायबरेली से सोनिया गांधी के हट जाने के बाद दूसरा बड़ा सवाल है कि क्या राहुल गांधी भी अमेठी को छोड़ेंगे?  2019 के चुनाव से इतना स्पष्ट जरूर हो गया था कि पार्टी को अब अमेठी पर पूरा भरोसा नहीं है, इसीलिए राहुल के लिए केरल की वायनाड सीट खोजी गई. स्मृति ईरानी के हाथों अमेठी में मिली हार ने पार्टी का मनोबल तोड़कर रख दिया है.

सोमवार 19 फरवरी को राहुल गांधी और स्मृति ईरानी दोनों अमेठी में थे. उस मौके पर स्मृति ईरानी ने कहा कि 2019 में राहुल ने अमेठी को छोड़ा था, आज अमेठी ने उन्हें छोड़ दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं तो वायनाड जाए बिना अमेठी से (चुनाव) लड़कर दिखाएं.

संभव है कि राहुल गांधी सामना करने को तैयार भी हो जाएं, पर वे वायनाड या किसी दूसरी सेफ सीट के बगैर ऐसा नहीं करेंगे. संभव है परिवार का कोई सदस्य यहाँ से चुनाव लड़े. राहुल गांधी की भारत-जोड़ो न्याय-यात्रा अमेठी से भी होकर गुज़री है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि यहाँ के लोग रायबरेली और अमेठी से केवल परिवार के ही किसी सदस्य को देखना चाहते हैं. वे 2019 की गलती को सुधारना चाहते हैं.

दूसरी ओर स्मृति ईरानी दुगने उत्साह के साथ मैदान में हैं. जिस दिन राहुल गांधी की यात्रा अमेठी पहुँची, उसी रोज उन्होंने भी अपना कार्यक्रम यहाँ रखा. वे चार दिन अमेठी में रहीं. यहाँ से चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी अपने नए संसदीय क्षेत्र वायनाड तो कई बार गए हैं, लेकिन उन्होंने अमेठी आना छोड़ दिया. दूसरी तरफ भाजपा ने तेजी से अपने संगठन का विस्तार किया है. स्मृति ईरानी अपने कार्यकर्ताओं के संपर्क में लगातार बनी रहती हैं.

Tuesday, March 12, 2024

नेहरू-गांधी परिवार के ‘गढ़’ में दरार


 लोकसभा क्षेत्र: रायबरेली

1977 के लोकसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था. एक शाम हमारे रायबरेली संवाददाता ने खबर दी कि आज एक चुनाव सभा में राजनारायण ने कांग्रेस के चुनाव चिह्न गाय-बछड़ा को इंदिरा गांधी और संजय गांधी की निशानी बताया है. खबर बताने वाले ने राजनारायण के अंदाज़े बयां का पूरी नाटकीयता से विवरण दिया था. बावजूद इसके कि इमर्जेंसी उस समय तक हटी नहीं थी और पत्रकारों के मन का भय भी कायम था. बताने वाले को पता था कि जरूरी नहीं कि वह खबर छपे.

उस समय मीडिया भी क्या था, सिर्फ अखबार, जिनपर संयम की तलवार थी. सवाल था कि इस खबर को हम किस तरह से छापें. बहरहाल वह खबर बीबीसी रेडियो ने सुनाई, तो बड़ी तेजी से चर्चित हुई. मुझे याद नहीं कि अखबार में छपी या नहीं. वह दौर था, जब खबरें अफवाहें बनकर चर्चित होती थीं. मुख्यधारा के मीडिया में उनका प्रवेश मुश्किल होता था. चुनाव जरूर हो रहे थे, पर बहुत कम लोगों को भरोसा था कि कांग्रेस हारेगी.

इंदिरा गांधी का चुनाव

रायबरेली पर पूरे देश की निगाहें थीं. चुनाव परिणाम की रात लखनऊ के विधानसभा मार्ग पर स्थित पायनियर लिमिटेड के दफ्तर के गेट पर हजारों की भीड़ जमा थी. दफ्तर के बाहर बड़े से बोर्ड पर एक ताज़ा सूचनाएं लिखी जा रही थीं. गेट के भीतर उस ऐतिहासिक बिल्डिंग के दाएं छोर पर पहली मंजिल में हमारे संपादकीय विभाग में सुबह की शिफ्ट से आए लोग भी देर रात तक रुके हुए थे.

बाहर की भीड़ जानना चाहती थी कि रायबरेली में क्या हुआ. शुरू में खबरें आईं कि इंदिरा गांधी पिछड़ रही हैं, फिर लंबा सन्नाटा खिंच गया. कोई खबर नहीं. उस रात की कहानी बाद में पता लगी कि किस तरह से रायबरेली के तत्कालीन ज़िला मजिस्ट्रेट विनोद मल्होत्रा ने अपने ऊपर पड़ते दबाव को झटकते हुए इंदिरा गांधी की पराजय की घोषणा की. बहरहाल रायबरेली और वहाँ के डीएम का नाम इतिहास में दर्ज हो गया.

मोदी का निशाना

इंदिरा गांधी की उस ऐतिहासिक पराजय के 47 साल बाद सत्रहवीं लोकसभा के अंतिम सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदा की भांति परिवार-केंद्रित कांग्रेस पार्टी पर निशाना लगाते हुए कहा, एक ही प्रोडक्ट बार-बार लॉन्च करने के चक्कर में कांग्रेस की दुकान पर ताला लगने की नौबत आ गई है.

Thursday, March 7, 2024

पाकिस्तान-भारत रिश्तों में सुधार की आहट और अंदेशे


पाकिस्तान में नई गठबंधन सरकार बन गई है, जिसके प्रधानमंत्री पद पर पीएमएल (नून) के शहबाज़ शरीफ चुन लिए गए हैं और पूरी संभावना है कि 9 मार्च को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में पीपीपी के आसिफ अली ज़रदारी चुन लिए जाएंगे. क्या इस बदलाव से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में भी बदलाव आएगा?

बाहरी सतह पर ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जिससे कहा जा सके कि अब भारत-पाकिस्तान रिश्ते सुधरेंगे. दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद शहबाज़ शरीफ ने जो पहला बयान दिया है, उसमें भी ऐसी कोई बात नहीं कही है. अलबत्ता पाकिस्तान की ओर से चीजों को सामान्य बनाने के कुछ संकेत मिले हैं.

इस सरकार को सेना का समर्थन भी हासिल है, इसलिए माना जा रहा है कि भारत के साथ रिश्तों में सरकारी विसंगतियाँ कम होंगी. फिर भी यह नहीं मान लेना चाहिए कि दोनों देशों के रिश्ते इसलिए सुधर जाएंगे, क्योंकि वहाँ नवाज़ शरीफ फिर से ताकतवर हो गए हैं. रिश्ते तभी सुधरेंगे, जब शांति-स्थापना की समझदारी पक्के तौर पर जन्म ले लेगी. या फिर मजबूरियाँ ऐसे मोड़ पर आ जाएंगी, जहाँ से निकलने का रास्ता ही नहीं बचेगा. 

संबंध-सुधार की धीमी गति

पाकिस्तान में भारत से दोस्ती की बात करना राजनीतिक-दृष्टि से आत्मघाती माना जाता है. नवाज़ शरीफ एकबार इसके शिकार हो चुके हैं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा उम्मीद यही की जा सकती है कि नई सरकार इस मामले में बड़े जोखिम उठाने के बजाय धीरे-धीरे रिश्ते बेहतर बनाने का प्रयास करेगी. बहुत कुछ दोनों देशों के मीडिया-कवरेज पर भी निर्भर करेगा.

Saturday, March 2, 2024

बीजेपी की पहली सूची जारी

 


भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए 195 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में 34 नाम ऐसे हैं, जो केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य हैं। इसमें वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गांधी नगर से अमित शाह, लखनऊ से राजनाथ सिंह, नागपुर से नितिन गडकरी चुनाव लड़ेंगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम इस लिस्ट में शामिल हैं। वहीं पहली सूची में 28 महिला उम्मीदवारों को नाम है। इसके साथ ही 50 से कम उम्र के 47 उम्मीदवारों का नाम ऐलान किया है।

बीजेपी के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में अजा के 27, अजजा के 18 और ओबीसी के 57 उम्मीदवार हैं। इसमें यूपी से 51, बंगाल से 20, एमपी से 24, गुजरात से 15, राजस्थान से 15, केरल से 12 तेलंगाना से 9, असम से 11 झारखंड से 11, छत्तीसगढ़ से 11 उम्मीदवारों को टिकट मिला है। दिल्ली से पाँच, जम्मू कश्मीर दो, उत्तराखंड तीन, गोवा एक, त्रिपुरा एक, अंडमान और निकोबार एक और दमन दीव एक सीट पर नाम की घोषणा की गई है।

उत्तर प्रदेश

यूपी में मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान को टिकट दिया गया है। इसके साथ नोएडा से महेश शर्मा, मथुरा से हेमा मालिनी, आगरा से एसपी सिंह बघेल, एटा से राजवीर सिंह, आंवला धर्मेंद्र कश्यप, शाहजहाँपुर से अरुण सागर, खीरी अजय मिश्रा टेनी, सीतापुर से राजेश वर्मा, हरदोई से जयप्रकाश रावत, उन्नाव से साक्षी महाराज, लखनऊ से राजनाथ सिंह, अमेठी से स्मृति ईरानी, फर्रुखाबाद से मुकेश राजपूत, कन्नौज से सुब्रत पाठक, जालौन से भानुप्रताप वर्मा, झांसी से अनुराग शर्मा, बांदा आरके सिंह पटेल और फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके साथ ही गोरखपुर से रवि किशन, आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' और चंदौली से महेंद्र नाथ पांडेय को टिकट दिया गया है।

काजल की कोठरी में चुनावी-चंदे का मायाजाल

भारतीय आम चुनाव दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक गतिविधि है। यह गतिविधि काले धन से चलती है। काले धन की विशाल गठरियाँ इस मौके पर खुलती हैं। चंदा लेने की व्यवस्था काले पर्दों से ढकी हुई है। लोकसभा के एक चुनाव में 543 सीटों के लिए करीब आठ हजार प्रत्याशी खड़े होते लड़ते हैं। तीस से पचास हजार करोड़ रुपए की धनराशि प्रचार पर खर्च होती है। शायद इससे भी ज्यादा। राजनीतिक दलों का खर्च अलग है। जो पैसा चुनाव के दौरान खर्च होता है, उसमें काफी बड़ा हिस्सा काले धन के रूप में होता है। यह सोचने की जरूरत है कि यह काला धन कहाँ से और क्यों आता है।

ज्यादातर प्रत्याशी अपने चुनाव खर्च को कम करके दिखाते हैं। चुनाव आयोग के सामने दिए गए खर्च के ब्यौरों को देखें तो पता लगता है कि किसी प्रत्याशी ने खर्च की तय सीमा पार नहीं की। जबकि अनुमान है कि सीमा से आठ-दस गुना तक ज्यादा खर्च होता है। जिस काम की शुरूआत ही गोपनीयता, झूठ और छद्म से हो वह आगे जाकर कैसा होगा? इसी छद्म-प्रतियोगिता में जीतकर आए जन-प्रतिनिधि कानून बनाते हैं। चुनाव-सुधार से जुड़े कानून भी उन्हें ही बनाने हैं। 

हाल में उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चुनावी चंदे की व्यवस्था यानी इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है। अदालत ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी है। अदालत के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में पाँच जजों के संविधान पीठ ने इस बारे में 15 फरवरी को फैसला सुनाया। इसके पहले नवंबर 2023 में संविधान पीठ ने लगातार तीन दिन तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।