संसद के मॉनसून-सत्र का समापन लगभग उसी अंदाज़ में हुआ, जिसकी आशा थी। सत्र के पहले सबसे बड़ा मुद्दा मणिपुर का समझा जा रहा था, पर दोनों सदनों में इस विषय पर चर्चा नहीं हो पाई। विपक्ष प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर अड़ गया, जो अविश्वास-प्रस्ताव में ही संभव था। पर अविश्वास-प्रस्ताव ने मणिपुर की तुर्शी को ठंडा कर दिया। बहस के दौरान राजनीति के तमाम गड़े मुर्दे उखाड़े गए, पर मणिपुर की परिस्थिति पर रोशनी नहीं पड़ी। इसे लेकर दोनों सदनों में शोर हुआ, चर्चा नहीं हुई। अविश्वास प्रस्ताव के करीब दो घंटे लंबे जवाब में जब प्रधानमंत्री मणिपुर-प्रसंग पर आए, तब तक विरोधी दल सदन से बहिर्गमन कर चुके थे। प्रस्ताव पर मतदान की जरूरत भी नहीं पड़ी। विरोधी दलों की गैर-मौजूदगी में वह ध्वनिमत से नामंजूर हो गया। यह सत्र, संसदीय बहस के क्रमशः बढ़ते पराभव का अच्छा उदाहरण है।
कुछ बेहद महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र में बगैर किसी बहस के पास हो गए। इससे पता लगता है कि राजनीति गंभीर मसलों में कितनी दिलचस्पी है। सत्र की समापन बैठकों का भी विरोधी गठबंधन ने बहिष्कार किया। यह बहिष्कार अधीर रंजन चौधरी के निलंबन और मणिपुर पर चर्चा नहीं हो पाने के विरोध में किया गया। सत्र के दौरान राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, संजय सिंह और रिंकू सिंह और लोकसभा में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी का निलंबन हुआ। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह का निलंबन केवल सत्र के समापन तक का था, पर उसे बढ़ा दिया गया है। और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो, इस सत्र ने 2024 के लिए प्रचार के कुछ मुद्दे, मसले, नारे और जुमले दे दिए हैं। यह भी स्पष्ट हुआ की विरोधी एकता में बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के शामिल होने की संभावनाएं नहीं हैं।
22 विधेयक पास
सत्र की अंतिम बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि इस दौरान सदन की 17 बैठकें हुईं, जो कुल 44 घंटे और 13 मिनट तक चलीं। सदन की सकल उत्पादकता 45 फीसदी रही। इस दौरान सरकार ने 20 विधेयक पेश किए और 22 विधेयकों को पास किया गया। इनमें से 10 विधेयक एक घंटे से भी कम की चर्चा के बाद पास हो गए। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने समापन भाषण में कहा कि मेरी अपीलों का असर काफी सदस्यों पर नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस कारण सदन के 50 घंटे 21 मिनट बेकार हो गए। सदन की उत्पादकता 55 प्रतिशत रही। सदन में नियमों के उल्लंघन और अपमानजनक आचरण का हवाला देकर आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया। सदन ने इसी पार्टी के संजय सिंह का निलंबन भी विशेषाधिकार समिति की सिफारिशें आने तक बढ़ा दिया है।