Thursday, June 30, 2022

महाराष्ट्र की राजनीति में अगला अध्याय

राज्यपाल को इस्तीफा सौंपते उद्धव ठाकरे 

सुप्रीम कोर्ट का बहुमत परीक्षण पर आदेश आने के कुछ समय बाद सोशल मीडिया पर लाइव आकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि शिवसैनिकों का
'ख़ून बहे, इसलिए मुख्यमंत्री का पद छोड़ रहा हूँ।  ठाकरे ने कहा कि मुझे 'पद छोड़ने का कोई दुख नहीं है।' उन्होंने कहा कि मैं विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ रहा हूँ। उनके इस्तीफे के बाद से नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार आज गुरुवार को विधायक दल का नेता चुनने के लिए भाजपा की बैठक होगी, जिसमें चुने जाने के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार बनाने के लिए अपना पत्र विधान भवन में देंगे। जानकारी के अनुसार, वे 1 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। उनके साथ एकनाथ शिंदे उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। फडणवीस और शिंदे के साथ 6 मंत्री भी शपथ ले सकते हैं।

इस तरह महाराष्ट्र में एक अध्याय का अंत हुआ, पर यह एक नई राजनीति की शुरुआत है। फिलहाल वहाँ बीजेपी और शिवसेना के बागी विधायकों की सरकार बन जाएगी, पर निकट और सुदूर भविष्य की कुछ घटनाओं पर नजर रखनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि इस शक्ति परीक्षण के बाद आगामी 11 और 12 जुलाई को जिन दो मामलों की सुनवाई होने वाली है, उनके फैसले भी लागू होंगे। यानी कि यह अंतिम परिणति नहीं है।

दो में से एक फैसला 16 विधायकों की सदस्यता समाप्ति को लेकर है और दूसरा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के विरुद्ध अविश्वास-प्रस्ताव को लेकर है। विधानसभा में स्पीकर पद पर इस समय कोई नहीं है, इसलिए नए स्पीकर की नियुक्ति भी महत्वपूर्ण होगी।

भविष्य की राजनीति

सुदूर भविष्य की राजनीति से जुड़ी तीन बातें महत्वपूर्ण हैं। अब शिवसेना का मतलब क्या? उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे? दोनों एक रहेंगे या अलग-अलग होंगे? बागी विधायकों में अपेक्षाकृत मुखर दीपक केसरकर ने कहा कि ठाकरे के इस्तीफे के लिए शिवसेना नेता संजय राउत जिम्मेदार हैं। यह इस्तीफा हमारे लिए खुशी की बात नहीं है। दुख की बात है। हमें जो संघर्ष करना पड़ा उसके लिए कांग्रेस, राकांपा और संजय राउत पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। इसने हमारे बीच दरार पैदा कर दी।

Wednesday, June 29, 2022

फ्लोर टेस्ट कल, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज शाम


 महाराष्ट्र के सियासी संग्राम के बीच राज्यपाल ने गुरुवार को फ्लोर-टेस्ट के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है, पर यह सब आसानी से होने वाला नहीं है। शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने राज्यपाल की ओर से महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने को कानून और संविधान के ख़िलाफ़ बताया है। उन्होंने कहा कि 16 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में शक्ति परीक्षण का आदेश गैर-कानूनी है। 

 ताजा खबर है कि शिवसेना के चीफ ह्विप सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। महाविकास अघाड़ी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले कि सुनवाई शाम पाँच बजे होगी। हालांकि सोमवार के हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के वकील की इस प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया था कि 11 जुलाई से पहले फ्लोर-टेस्ट नहीं कराया जाए।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से जारी चिट्ठी में कहा गया है कि 30 जून को सुबह 11 से शाम पाँच बजे तक के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। बहुमत परीक्षण के नतीजे हैड काउंट से घोषित किए जाएं। प्रत्येक सदस्य को खड़े होकर मतदान करना है कि किसे वोट देना है। राज्यपाल ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में विधानसभा की कार्यवाही बाधित नहीं की जा सकती और प्रक्रिया को फिल्माया जाना चाहिए। इसे लाइव टेलीकास्ट भी किया जाएगा।

राज्यपाल की चिट्ठी में लिखा गया है कि इस सत्र का एकमात्र उद्देश्य उद्धव ठाकरे सरकार का शक्ति परीक्षण है। उधर बाग़ी शिवसेना विधायक और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे ने गुवाहाटी में बताया है कि वे कल फ्लोर-टेस्ट के लिए मुंबई पहुँचेंगे। यह भी बताया गया है कि सभी बागी विधायक आज गोवा पहुँच जाएंगे, जहाँ से कल वे मुम्बई जाएंगे और 11 बजे विधानसभा में उपस्थित हो जाएंगे। 

फैसला फ्लोर टेस्ट से ही होगा, पर कब?

 


महाराष्ट्र की राजनीतिक हलचल में आज कोई नया मोड़ आने की सम्भावना है। मंगलवार को देर रात देवेन्द्र फडणवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और फ्लोर टेस्ट की मांग की। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के पास बहुमत नहीं है। बागी विधायक उद्धव सरकार को समर्थन नहीं दे रहे हैं। इस औपचारिक माँग के बाद राज्यपाल को कोई दृष्टिकोण अपनाना होगा। देखना होगा कि वे करते हैं। बागी नेता एकनाथ शिंदे का कहना है कि फ्लोर टेस्ट गुरुवार को होगा। 

मुलाकात के दौरान फडणवीस ने राज्यपाल को एक चिट्ठी भी सौंपी है। फडणवीस ने कहा कि उद्धव सरकार को फ्लोर पर बहुमत साबित करना चाहिए। इसके पहले फडणवीस ने दिन में दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।  

दूसरी तरफ शिवसेना ने स्पष्ट किया है कि राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का फैसला करेंगे, तो हम अदालत की शरण लेंगे। शिवसेना का कहना है कि कम से कम 11 जुलाई तक फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए। 11 को सुप्रीम कोर्ट बागी विधायकों के उस नोटिस पर विचार करेगी, जिसमें डिप्टी स्पीकर पर अविश्वास व्यक्त किया गया है। यदि इस नोटिस को वैध माना गया, तो शक्ति परीक्षण डिप्टी स्पीकर के प्रति अविश्वास पर ही हो जाएगा। डिप्टी स्पीकर के हटने का मतलब है सरकार की हार।

सवाल है कि क्या 11 के पहले फ्लोर टेस्टसम्भव है? शिंदे गुट के विधायक बीजेपी के साथ गए, तो सरकार गिर जाएगी। अब स्थिति यह है कि यदि वे मतदान से अलग रहेंगे, तब भी सरकार गिर जाएगी।

Tuesday, June 28, 2022

वैश्वीकरण का चोला क्या अब बदलेगा?


पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की 1992 की एक बहुचर्चित टिप्पणी है, इट इज द इकोनॉमी स्टुपिड। यानी सारा खेल अर्थव्यवस्था का है। नब्बे के दशक में जब वैश्वीकरण ने शक्ल लेनी शुरू की, तब इसका केवल आर्थिक पक्ष ही सामने नहीं था। इसके तीन पहलू हैं: आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक। इन तीन वर्गीकरणों में सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और तमाम दूसरे विषय शामिल हैं। एक मायने में वैश्वीकरण का मतलब है मानव-समुदाय का साझा विकास। 1992 में ही फ्रांसिस फुकुयामा की किताब द एंड ऑफ हिस्ट्री भी प्रकाशित हुई थी। इतिहास का अंत एक तरह से शीत-युद्ध की अवधारणा और पश्चिम की विजय की घोषणा थी। सोवियत संघ के पराभव के बाद पूँजीवाद और खासतौर से अमेरिकी प्रभुत्व के आलोचकों और फुकुयामा समर्थकों के बीच बहस छिड़ी थी, जो आज भी जारी है।

वैश्विक सप्लाई-चेन

दुनिया की सप्लाई-चेन चीन के गुआंगदोंग, अमेरिका के ओरेगन, भारत के मुम्बई, दक्षिण अफ्रीका के डरबन, अमीरात के दुबई, फ्रांस के रेन से लेकर चिली के पुंटा एरेनास जैसे शहरों से होकर गुजरने वाले विमानों, ईमेलों, कंटेनर पोतों, रेलगाड़ियों, पाइपलाइनों और ट्रकों पर सवार होकर चलती है। एयरबस, बोइंग, एपल, सैमसंग, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, ऑरेकल, वीज़ा और मास्टरकार्ड ने अपने बहुराष्ट्रीय ऑपरेशनों की मदद से दुनिया को जोड़ रखा है। एक देश से उठकर कच्चा माल दूसरे देश में जाता है, जहाँ वह प्रोडक्ट के रूप में तैयार होकर फिर दूसरे देशों में जाता है।    

महामारी ने दुनिया की पारस्परिक-निर्भरता की जरूरत के साथ-साथ विश्व-व्यवस्था की  खामियों को भी उभारा। यूक्रेन के युद्ध ने इसे जबर्दस्त धक्का दिया है। कहा जा रहा है कि लागत कम करने की होड़ में ऐसे तानाशाही देशों का विकास हो गया है, जो मानवाधिकारों के विरुद्ध हैं। यानी रूस और चीन। पिछले पाँच वर्षों से वैश्विक-तंत्र में तनाव बढ़ रहा है। अमेरिका और चीन के बीच आयात-निर्यात शुल्कों के टकराव के साथ इसकी शुरुआत हुई। संरा कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (अंकटाड) के निवेश तथा उद्यमिता निदेशक जेम्स जैन ने हाल में अपने एक लेख में लिखा कि इस दशक में 2030 आते-आते ग्लोबल वैल्यू चेन के रूपांतरण की सम्भावना है।

रूपांतरण शुरू

यह रूपांतरण नजर आ रहा है। एपल ने कुछ प्रोडक्ट्स का उत्पादन चीन से हटाकर वियतनाम में शुरू कर दिया है। चीनी कम्पनियों ने मोंटेरी, मैक्सिको में एक विशाल औद्योगिक पार्क स्थापित किया है, ताकि अमेरिकी उपभोक्ताओं की माँग करीबी देश से पूरी की जा सके। मई के महीने में सैमसंग, स्टेलैंटिस और ह्यूंडे ने अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार फैक्टरियों में 8 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है। तीन दशक पहले जो बाजार चीन-केंद्रित था, वह दूसरी जगहों की तलाश में है। बहुत से देश आत्मनिर्भरता की नीति अपना रहे हैं।

Monday, June 27, 2022

महाराष्ट्र-घमासान से जुड़े राजनीतिक-अंतर्विरोध

संविधान सभा में डॉ भीमराव आम्बेडकर ने एकबार कहा था-राजनीति जिम्मेदार हो तो खराब से खराब सांविधानिक व्यवस्था भी सही रास्ते पर चलती है, पर यदि राजनीति में खोट हो तो अच्छे से अच्छा संविधान भी गाड़ी को सही रास्ते पर चलाने की गारंटी नहीं दे सकता। महाराष्ट्र का घमासान हमारे राजनीतिक-अंतर्विरोधों को रेखांकित कर रहा है। यह टकराव विधानसभा सचिवालय और राजभवन तक पहुँच चुका है। इसक निपटारा फ्लोर-टेस्ट से सम्भव है, जो न्यायपालिका की देन है। पर वह आसानी से नहीं होगा। अभी मानसिक युद्ध चल रहा है। इसके बाद राज्यपाल और सदन के डिप्टी स्पीकर की भूमिकाएं महत्वपूर्ण होंगी। इस मामले को अदालत में ले जाने की शुरुआत भी हो गई है। एकनाथ शिंदे के पक्ष ने विधानसभा के उपाध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी है।  

फैसला जो भी हो, इस परिघटना ने राजनीति की विडंबनाओं को रेखांकित किया है। उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ असम के एक पाँच सितारा होटल में डेरा डाले हुए हैं। मामला जिस करवट भी बैठे, पर सच यह है कि मुख्यधारा के मीडिया की नजर असम की पीड़ित जनता पर कम और राजनीति पर ज्यादा है।  

बेशक इन विडंबनाओं के अनेक पहलू हैं, पर 2014 के बाद की राष्ट्रीय राजनीति के दो कारक इसके जिम्मेदार हैं। एक, भारतीय जनता पार्टी का अतिशय सत्ता-प्रेम और दूसरे, उसे रोक पाने या संतुलित करने में विरोधी दलों की विफलता। इस समय सत्ता-समीकरण बेहद असंतुलित है। इसका एक कारण कांग्रेस पार्टी का पराभव है। पर यह कुल मिलाकर यह राष्ट्रीय राजनीति और लोकतांत्रिक संस्थाओं की विफलता है।

पार्टियों का आंतरिक लोकतंत्र भी कसौटी पर है। हैरत है कि महाराष्ट्र के बागियों को गठबंधन के ढाई साल बाद विचारधारा से जुड़ी बातें याद आ रही हैं। दूसरी तरफ शिवसेना के नेतृत्व और उसके विधायकों का ढाई साल लम्बा अबोला भी अविश्वसनीय है। यह कैसा लोकतंत्र है? इस राजनीतिक-व्यवस्था में राज्यपालों और पीठासीन अधिकारियों की भूमिका है और चुनाव सुधारों को लागू करा पाने से जुड़ी विफलताएं हैं। राजनीति में एक तरफ मनी और मसल पावरकी भूमिका बढ़ रही है और दूसरी तरफ धार्मिक-साम्प्रदायिक संकीर्णता विचारधारा का स्थान ले रही है।