देश में भाजपा-शासित कम से कम पाँच राज्यों ने धर्मांतरण के लिए किए जा रहे अंतर-धर्म विवाहों यानी ‘लव जिहाद’ पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की तैयारी कर ली है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और असम ने इसमें पहल की है और संभव है कि कुछ और राज्यों के नाम सामने आएं। इन कानूनों की परिणति क्या होगी, फिलहाल कहना मुश्किल है, पर इतना साफ लगता है कि अगले साल पश्चिम बंगाल, असम, केरल और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनेगा।
सिद्धांततः अंतर-धर्म विवाहों पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है, पर यह बहस विवाह की नहीं धर्मांतरण की है। अंतर-धर्म विवाहों का यह झगड़ा आज का नहीं है। यह उन्नीसवीं सदी से चला आ रहा है। यह मामला केवल भाजपा-शासित राज्य उठा रहे हैं, दूसरी तरफ राजस्थान जैसे कांग्रेस शासित राज्यों ने इस किस्म के कानून की संभावनाओं को अनुचित ठहराया है। देखना होगा कि राजनीतिक दल जनता तक इसका संदेश किस रूप में ले जाते हैं।