Wednesday, December 11, 2013

अंतरिक्ष में कौन रहता है?

दुनिया का सबसे बड़ा अनुत्तरित सवाल

अमेरिका से एक साप्ताहिक पत्रिका निकलती थी वीकली वर्ल्ड न्यूज। इस पत्रिका की खासियत थी ऊल-जलूल, रहस्यमय, रोमांचकारी और मज़ाकिया खबरें। इन खबरों को वड़ी संजीदगी से छापा जाता था। यह पत्रिका सन 2007 में बंद हो गई, पर आज भी यह एक टुकड़ी के रूप में लोकप्रिय टेब्लॉयड सन के इंसर्ट के रूप में वितरित होती है। अलबत्ता इसकी वैबसाइट लगातार सक्रिय रहती है। इस अखबार की ताजा लीड खबर हैएलियन स्पेसशिप टु अटैक अर्थ इन डेसेम्बर दिसम्बर में धरती पर हमला करेंगे अंतरिक्ष यान। खबर के अनुसार सेटी (सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) के वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि सुदूर अंतरिक्ष से तीन यान धरती की ओर बढ़ रहे हैं, जो दिसम्बर तक धरती के पास पहुँच जाएंगे। इनमें सबसे बड़ा यान तकरीबन 200 मील चौड़ा है। बाकी दो कुछ छोटे हैं। इस वक्त तीनों वृहस्पति के नजदीक से गुजर रहे हैं और अक्टूबर तक धरती से नजर आने लगेंगे। यह खबर कोरी गप्प है, पर इसके भी पाठक हैं। पश्चिमी देशों में अंतरिक्ष के ज़ीबा और गूटान ग्रहों की कहानियाँ अक्सर खबरों में आती रहतीं हैं, जहाँ इनसान से कहीं ज्यादा बुद्धिमान प्राणी निवास करते हैं। अनेक वैबसाइटें दावा करती हैं कि दुनिया के देशों की सरकारें इस तथ्य को छिपा रही हैं कि अंतरिक्ष के प्राणी धरती पर आते हैं। आधुनिक शिक्षा के बावजूद दुनिया में जीवन और अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर अंधविश्वास और रहस्य ज्यादा है, वैज्ञानिक जानकारी कम।

Monday, December 9, 2013

राजनीति में गांधी टोपी की वापसी

 सोमवार, 9 दिसंबर, 2013 को 08:12 IST तक के समाचार
चार राज्यों के विधान सभा चुनाव का पहला निष्कर्ष है कि कांग्रेस के पराभव शुरू हो गया है.
पार्टी यदि इन परिणामों को लोकसभा चुनाव के लिए ओपिनियन पोल नहीं मानेगी तो यह उसकी बड़ी गलती होगी.
चुनाव का दूसरा बड़ा निष्कर्ष है ‘आप’ के रूप में नए किस्म की राजनीति की उदय हो रहा है, जो अब देश के शहरों और गाँवों तक जाएगा. इसका पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली में तैयार हो गया है.
यह भी कि देश का मध्य वर्ग, प्रोफेशनल युवा और स्त्रियाँ ज्यादा सक्रियता के साथ राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं. राजनीतिक लिहाज से ये परिणाम भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के आत्म विश्वास को बढ़ाने वाले साबित होंगे.
अशोक गहलोत और शीला दीक्षित ने सीधे-सीधे नहीं कहा, पर प्रकारांतर से कहा कि यह क्लिक करेंकेंद्र-विरोधी परिणाम है. सोनिया गांधी का यह कहना आंशिक रूप से ही सही है कि लोकसभा चुनाव और विधान सभा चुनाव के मसले अलग होते हैं. सिद्धांत में अलग होते भी होंगे, पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की रणनीति भी केंद्रीय उपलब्धियों के सहारे प्रदेशों को जीतने की ही तो थी.

'आप' को साबित करना होगा कि वह आपकी पार्टी है

 रविवार, 8 दिसंबर, 2013 को 17:58 IST तक के समाचार
आम आदमी पार्टी के सदस्य
दुनिया के कुछ अन्य देशों में आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां बनती रही हैं, जैसे अमरीका में एक टी-पार्टी बनी थी. आम आदमी पार्टी शहरी मध्यवर्ग और युवाओं की अवधारणा है जो परंपरागत राजनीति से नाराज़ हैं या उससे ऊब गये हैं. कोई दूरगामी योजना या अच्छा राजनीतिक संगठन इसका आधार नहीं है.
इसका आधार ये धारणाएं हैं कि कुछ व्यवस्थाएं हैं जो मानव-विरोधी हैं या भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं जो हमारी समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी का उदय होना और उसे समर्थन मिलना बड़ा स्वाभाविक है.
ये बात चुनाव से पहले ही समझ में आने लगेगी कि आम आदमी पार्टी कुछ न कुछ तो करेगी. लेकिन ये पार्टी यदि देश की परंपरागत राजनीति नहीं सीखेगी तो उसका विफल होना बिल्कुल तय है.
भारतीय मध्यवर्ग अब अपेक्षाकृत जागरूक है. जाति और धर्म के जुमलों से उसे लंबे समय तक भरमाया जा चुका है. दिल्ली के मध्यवर्ग ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा किया है, पार्टी भरोसे पर कितना खरा उतरती है, ये देखना बाकी है.
आम आदमी पार्टी पर इन लोगों के भरोसे का आधार ये है कि ये पार्टी दूसरी पार्टियों से अलग है और ये हमारे जैसे लोग हैं. ऐसे में इस पार्टी को समर्थन मिलना स्वाभाविक है. आगे क्या होगा, ये दूसरी बात है.

Sunday, December 8, 2013

चुनाव परिणाम जो भी कहें

जब आप इन पंक्तियों को पढ़ रहे होंगे तब तक पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम या तो आने वाले होंगे या आने शुरू हो चुके होंगे। या पूरी तरह आ चुके हों। अब इस बात का कोई मतलब नहीं कि परिणाम क्या हैं। वस्तुतः यह लोकसभा चुनाव का प्रस्थान-बिंदु है। तारीखों की घोषणा बाकी है। सभी प्रमुख पार्टियों ने प्रत्याशियों को चुनने का काम शुरू कर दिया है। स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे गठबंधनों को छोड़ दें तो इस बार चुनाव के पहले गठबंधन नहीं होंगे, क्योंकि ज्यादातर पार्टियाँ समय आने पर फैसला और सिद्धांत और कार्यक्रमों का विवेचन करेंगी। आने वाला चुनाव राजनीतिक मौका परस्ती का बेहतरीन उदाहरण बनने वाला है।

पिछले डेढ़-दो महीने की चुनावी गतिविधियों को देखते हुए यह भी समझ में आ रहा है कि आरोप-प्रत्यारोप का स्तर आने वाले समय में और भी घटिया हो जाएगा। गटर राजनीति अपने निम्नतम रूप में सामने आने वाली है। स्टिंग ऑपरेशनों और भंडाफोड़ पत्रकारिता के धुरंधरों का बाज़ार खुलने वाला है। दिल्ली में ‘आप’ के प्रदर्शन के मद्देनज़र यह देखने की ज़रूरत होगी कि क्या कोई वैकल्पिक राजनीति भी राष्ट्रीय स्तर पर उभरेगी। क्या ‘आप’ लोकसभा चुनाव लड़ेगी? इससे जुड़े लोग दावा कर रहे हैं कि पार्टी की जड़ें देश भर में हैं। पर वह व्यावहारिक सतह पर नज़र नहीं आती। हाँ शहरी मध्य वर्ग की बेचैनी और उसकी राजनीतिक चाहत साफ दिखाई पड़ रही है। और यह भी कि यह मध्य वर्ग कांग्रेस के साथ नहीं है।

Friday, December 6, 2013

सांप्रदायिक हिंसा निरोध कानून माने दुधारी तलवार

 शुक्रवार, 6 दिसंबर, 2013 को 11:43 IST तक के समाचार
मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगे
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों पर विचार-विमर्श के दौरान कुछ लोगों ने इस बात को उठाया था कि केंद्र सरकार ने सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक को पास कर दिया होता तो ये हिंसा नहीं हो पाती.
व्यावहारिक सच यह है कि इस कानून को पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. हाल में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संकेत दिया था कि सरकार ने इस कानून पर काम शुरू कर दिया है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रहमान ख़ान का कहना है कि इस मामले में आम सहमति बनाने की कोशिश हो रही है.
जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने इस क्लिक करेंकानून का विरोध करने वालेनरेंद्र मोदी की आलोचना की है. क्या इससे यह निष्कर्ष निकाला जाए कि उनकी पार्टी इस विधेयक को पारित कराने में मदद करेगी? इस कानून का प्रारूप राष्ट्रीय विकास परिषद (एनएसी) ने तैयार किया है.
प्रस्तावित कानून के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकारों को ज़िम्मेदारी दी गई है कि वे अनुसूचित जातियों, जन जातियों, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को लक्ष्य करके की गई हिंसा को रोकने और नियंत्रित करने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करें. इस मसौदे में हिंसा की परिभाषा, सरकारी कर्मचारियों द्वारा कर्तव्य की अवहेलना की सज़ा और कमांड का दायित्व भी तय किया गया है.
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने 14 जुलाई 2010 को इस विधेयक का खाका तैयार करने के लिए एक प्रारूप समिति का गठन किया था और 28 अप्रैल 2011 की एनएसी की बैठक के बाद नौ अध्यायों और 135 धाराओं में इसे तैयार किया गया. 22 जुलाई 2011 को यह सरकार को सौंप दिया गया.