Sunday, April 22, 2012

अग्नि ज़रूरी है उसकी तपिश ज़रूरी नहीं

पिछले बुधवार को भारतीय मीडिया में सुबह से ही अग्नि-5 के परीक्षण की तैयारियों का विवरण जिस तरह आ रहा था उससे लगता है कि किसी स्तर पर इस खबर को सायास ओवरप्ले करने का फैसला किया गया था। पिछले कुछ समय से सेना और रक्षा व्यवस्था को लेकर नकारात्मक बातें मीडिया में आ रही थीं। शायद इस परीक्षण से उनका असर कुछ कम हो। बुधवार की शाम परीक्षण नहीं हो पाया, क्योंकि मौसम साथ नहीं दे रहा था, पर गुरुवार की सुबह परीक्षण सफल हो गया। उसके बाद दिनभर अग्नि की खबरें छाई रहीं।

Friday, April 20, 2012

क्षेत्रीय क्षत्रपों का राष्ट्रीयकरण

ऐसे चित्र आपको कई बार दिखाई पड़ेंगे, सिर्फ चेहरे बदलते रहेंगे

म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली के हाल में हुए चुनाव में कांग्रेस की पराजय हुई। इसे बीजेपी की जीत भी कह सकते हैं। बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर जितना महत्वपूर्ण हो सकता था, नहीं हुआ। पर क्या नगरपालिका चुनाव को महत्व देना चाहिए? क्या उसका कोई राष्ट्रीय महत्व है? पालिका चुनाव में तो मुद्दे ही कुछ और होते हैं। दिल्ली के पहले मुम्बई नगर निगम के चुनाव में भी कांग्रेस की पराजय हो चुकी है।

Monday, April 16, 2012

राजनीति में उलझी आंतरिक सुरक्षा

हाल में हुए पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के पहले ही तीन-चार सवालों पर यूपीए सरकार घिर चुकी थी। खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मामला सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस ने उठाया और कोई पार्टी यूपीए के समर्थन में नहीं आई। इसके बाद लोकपाल बिल में राज्यों के लिए कानून बनाने की शक्तियों को लेकर बहस शुरू हुई और अंततः बिल राज्यसभा का दरवाजा पार नहीं कर पाया। नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) की स्थापना 1 मार्च को होनी थी और उसके ठीक पहले लगभग सभी पार्टियों ने विरोध का झंडा खड़ा कर दिया। यूपीए सरकार को इस मामले में पीछे हटना पड़ा। हालांकि आतंक विरोधी संगठन का राजनीति से सीधा रिश्ता नहीं है, पर केन्द्र और राज्य की शक्तियों को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है उसने इसे राजनीति का विषय बना दिया है।

उत्तर कोरिया के नए शासन को झटका


उत्तर कोरिया के चीन से सटे पश्चिमोत्तर इलाके में पिछले शुक्रवार को विफल हुए रॉकेट टेस्ट के बाद दुनिया की निगाहें सुदूर पूर्व के इस देश की ओर घूम गई हैं। किम वंश के तीसरे शासक की यह पहली परीक्षा थी। इस परीक्षण को उनकी उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा था। सन 2009 में भी इसी किस्म का एक परीक्षण विफल हो चुका है। 17 दिसम्बर 2011 को किम जोंग इल के निधन के बाद उनके सबसे छोटे बेटे किम जोंग-उन को गद्दी मिली है। वे किम वंश के उत्तराधिकारी हैं। क्वांगम्योंगसांग यानी चमकता सितारा नाम के जिस उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा जा रहा था, उसे तकरीबन 45 करोड़ डॉलर यानी करीब करीब सवा दो हजार करोड़ के खर्च से तैयार किया गया था। खर्चे का विवरण इसलिए ज़रूरी है कि यह देश भयानक गरीबी का सामना कर रहा है। फरवरी में इसे अमेरिका ने 2,40,000 टन की खाद्य सामग्री देने का वादा किया था। इसे बाद में रद्द कर दिया गया क्योंकि यह रॉकेट परीक्षण संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए किया जा रहा था।

Sunday, April 15, 2012

भारत-पाक रिश्तों की गर्मी-नर्मी

अब से दो साल पहले इन्हीं दिनों कश्मीर में माहौल काफी खराब हो गया था। एक तरफ जम्मू के इलाके में आंदोलन था तो दूसरी ओर मई-जून में श्रीनगर की घाटी में अचानक तनाव बढ़ गया। अलगाववादियों ने छोटे बच्चों को इस्तेमाल करना शुरू किया। सुरक्षा दस्तों पर पत्थर फेंकने की नई मुहिम शुरू हो गई। उमर अब्दुल्ला की अपेक्षाकृत नई सरकार के सामने परेशानियाँ खड़ी हो गईं। उस मौके पर भारत सरकार ने तीन वार्ताकारों की एक टीम को कश्मीर भेजा। बातचीत को व्यावहारिक बनाने के लिए इस टीम को अनौपचारिक तरीके से हरेक पक्ष से बातचीत करने की सलाह दी गई। इसके बाद एक सर्वदलीय टीम भी श्रीनगर गई, जिसने हुर्रियत से जुड़े नेताओं से भी बात की। हालांकि कश्मीर में खड़ा किया गया बवाल अपने आप धीमा पड़ गया, क्योंकि बच्चों की पढ़ाई का हर्जा हो रहा था और हासिल कुछ हो नहीं रहा था। भारत सरकार के तीनों वार्ताकारों का काम चलता रहा। इस दौरान तीनों के बीच के मतभेद भी उजागर हुए। बहरहाल पिछले साल अक्टूबर में इस दल ने अपनी रपट गृहमंत्री को सौंप दी, जो अब जारी हो रही है।

वार्ताकारों की सिफारिशों से ज्यादा महत्वपूर्ण है इस रपट के जारी होने का समय। पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी को अचानक अजमेर शरीफ यात्रा का विचार क्यों आया? और क्या इस यात्रा से कुछ भी हासिल नहीं हुआ? यह निजी यात्रा थी इस सिलसिले में कोई औपचारिक वक्तव्य जारी नहीं होना था और नीतिगत सवाल इससे जुड़े भी नहीं थे। पर प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के रिश्तों में आ रहे बदलाव का संकेत अपने वक्तव्य में दिया। साथ ही उन्होंने हफीज सईद का मामला भी उठाया। दूसरी ओर विदेश सचिव रंजन मथाई ने स्पष्ट किया कि कश्मीर सहित सभी सवालों पर दोनों देशों के बीच बातचीत होगी। पिछले हफ्ते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी ने कहा कि भारत के साथ बातचीत को एक नई टीम आगे बढ़ाएगी। इस बयान से कुछ लोगों ने अनुमान लगाया कि शायद विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार का पत्ता कटने वाला है, पर ऐसा नहीं है।