Monday, January 24, 2011

मीडिया और मनमोहन सरकार


पिछले शुक्रवार को सीएनएन आईबीएन पर करन थापर के कार्यक्रम लास्ट वर्ड में मीडिया की राय जानने के लिए जिन तीन पत्रकारों को बुलाया गया था वे तीनों किसी न किसी तरह से पार्टियों से जुड़े थे। संजय बारू कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार थे। चन्दन मित्रा का भाजपा से रिश्ता साफ है। वे भाजपा के सांसद भी हैं। इसी तरह हिन्दू के सम्पादक एन राम सीपीएम के सदस्य हैं। क्या यह अंतर्विरोध है? क्या मीडिया को तटस्थ नहीं होना चाहिए? ऐसे में मीडिया की साख का क्या होगा? इस बातचीत में संजय बारू ने यह सवाल उठाया भी।

Sunday, January 23, 2011

हमारे मीडिया का प्रभाव


1983 में राजेन्द्र माथुर ने टाइम्स ऑफ इंडिया में हिन्दी के दैनिक अखबारों की पत्रकारिता पर तीन लेखों की सीरीज़ में इस बात पर ज़ोर दिया था कि हिन्दी के पत्रकार को हिन्दी के शिखर राजनेता की संगत उस तरह नहीं मिली थी जिस तरह की वैचारिक संगत बंगाल के या दूसरी अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों- पत्रकारों को मिली थी। आज़ादी से पहले या उसके बाद प्रेमचंद, गणेश शंकर विद्यार्थी या राहुल बारपुते को नेहरू जी की संगत नहीं मिली।

Friday, January 21, 2011

पारदर्शी और स्थिरमति समाज बनाइए

भारतीय समाज के बारे में मुझसे पूछें तो मुझे एकसाथ तमाम बातें सूझती हैं। हम एक ओर सभ्यता के अग्रगामी समाजों में से एक हैं वहीं दुनिया के निकृष्टतम कार्य हमारे यहाँ होते रहे हैं। हमारे पास विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। ज्ञान-विज्ञान, दर्शन, साहित्य और शिल्प तक हर क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों की परम्परा है। फिर भी हम आज नकलची हैं। जीवन के किसी क्षेत्र में हम आज कुछ भी मौलिक काम नहीं कर रहे हैं। इसकी तमाम वजहों में से एक है कि हम खुले और ईमानदार विमर्श से भागते हैं। नई बातों को स्वीकार करने का माद्दा हममे नहीं है। अमेरिकी समाज की ताकत उसका इनोवेशन है। नई रचनात्मकता के लिए खुला और पूर्वग्रह रहित निश्छल मन चाहिए।

Saturday, January 15, 2011

एक साथ दो चैनलों में लाइव मणिशंकर

यह पोस्ट मैने मीडिया से जुड़े रोचक ब्लाग चुरुमुरी  से सीधे ली है। यह ब्लाग कर्नाटक के पत्रकारों से जुड़ा लगता है। अक्सर इसमें बड़ी रोचक बातें पढ़ने को मिलतीं हैं। इसमें एक दर्शक ने दो चैनलों में एक ही वक्त पर लाइव कार्यक्रमों में मणिशंकर अय्यर की उपस्थिति पर आश्चर्य व्यक्त किया गया है। टीवी चैनलों के लिए यह बात आश्चर्य का विषय नहीं है। वे लाइव कार्यक्रम के बीच जब रिकार्डेड सामग्री दिखाते हैं तो उसे भी लाइव दिखाते हैं। वस्तुतः टीवी मनोरंजन का मीडिया है इसमें कृत्रिम तरीके से किसी बात को पेश करना अटपटा नहीं माना जाता। कभी-कभार फाइल क्लिपिंग लगाते हैं तो ऊपर फाइल लिख देते हैं। हमेशा ऐसा होता भी नहीं। ब्रेकिंग न्यूज़ का भारतीय चैनलों ने जो अर्थ लगाया है वह यह है कि गुज़रे कल की खबर को भी ब्रेकिंग न्यूज़ मानो। 

NDTV, CNN-IBN and Mani Shankar Aiyar “Live”

14 January 2011
 
Reader Kollery S. Dharan forwards two screengrabs, shot with his mobile phone, of the 10 pm shows of NDTV 24×7 and CNN-IBN on Thursday, 13 January 2011.
Both channels carry the “live” logo on the top right-hand corner. And “live” on both channels at the same time on the same day is the diplomat-turned-politician Mani Shankar Aiyar.
For Barkha Dutt‘s show The Buck Stops Here (left), Aiyar, in a grey coat, offers his wisdom on the dynastic democracy thatPatrick French says India has become.
For Sagarika Ghose‘s show Face the Nation (right), Aiyar, now in a beige/ light brown coat, holds forth on Pakistan’s identity crisis. The two pictures were captured at 10.22 pm and 10.23 pm.
So, which channel had Mani Shankar Aiyar “live” last night? Or has Aiyar broken the time-space continuum?

Thursday, January 6, 2011

राष्ट्रपति के फोटो

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल गोवा गईं और बीच पर भी जाकर वहाँ के माहौल को देखा तो इसमें क्या गलत था? और इस बीच भ्रमण के जो फोटोग्राफ छपे उनमें कुछ भी  अभद्र नहीं था। पर गोवा पुलिस ने फोटोग्राफरों को बुलाकर नैतिकता को जो पाठ बढ़ाया वह अभद्र ज़रूर था।