Thursday, February 2, 2023

अमृतकाल की बुनियाद का बजट


वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत सालाना आम बजट पहली नज़र में संतुलित और काफी बड़े तबके को खुश करने वाला नज़र आता है। आप कह सकते हैं कि यह चुनाव को देखते हुए बनाया गया बजट है। इसमें गलत भी कुछ नहीं है। बहरहाल इसकी तीन महत्वपूर्ण बातें ध्यान खींचती हैं। एक, सरकार की नजरें संवृद्धि पर हैं, जिसके लिए पूँजी निवेश की जरूरत है। प्राइवेट सेक्टर आगे आने की स्थिति में नहीं है, तो सरकार को बढ़कर निवेश करना चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर पर दस लाख करोड़ के निवेश की घोषणा से सरकार के इरादे स्पष्ट हैं। एक तरह से इसे नए भारत की बुनियाद का बजट कह सकते हैं। ध्यान दें दो साल पहले 2020-21 के बजट में यह राशि 4.39 लाख करोड़ थी।

वित्तमंत्री ने इसे मोदी सरकार का दसवाँ बजट नहीं अमृतकाल का पहला बजट कहा है। अमृतकाल का मतलब है स्वतंत्रता के 75वें वर्ष से शुरू होने वाला समय, जो 2047 में 100 वर्ष पूरे होने तक चलेगा। सरकार इसे भविष्य के साथ जोड़कर दिखाना चाहती है। वित्तमंत्री ने स्त्रियों और युवाओं का कई बार उल्लेख किया। यह वह तबका है, जो भविष्य के भारत को बनाएगा और जो राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस बजट में 2024 के चुनाव की आहट सुनाई पड़ रही है। इसमें कड़वी बातों का जिक्र करने से बचा गया है।   

दूसरी बात है, राजकोषीय अनुशासन। सरकारी खर्च बढ़ाने के बावजूद राजकोषीय घाटे को काबू में रखा जाएगा। बजट में अगले साल राजकोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत रखने का भरोसा दिलाया गया है। तीसरे उन्होंने व्यक्ति आयकर के नए रेजीम को डिफॉल्ट घोषित करके आयकर व्यवस्था में सुधार की दिशा भी स्पष्ट कर दी है। यानी छूट वगैरह की व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खत्म होंगी। नए रेजीम की घोषणा पिछले साल की गई थी। अभी इसे काफी लोगों ने स्वीकार नहीं किया है, पर अब जो छूट दी जा रही हैं, वे नए रेजीम के तहत ही हैं। इस वजह से लोग नए रेजीम की ओर जाएंगे।  

सप्तर्षि की अवधारणा पर वित्तमंत्री ने बजट की सात प्राथमिकताओं को गिनाया जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, हरित विकास, वित्तीय क्षेत्र और युवा शक्ति शामिल हैं। बजट में कुल व्यय 45.03 लाख करोड़ रुपये का रखा गया है, जो चालू वर्ष की तुलना में 7.5 प्रतिशत अधिक है। इसमें सबसे बड़ी धनराशि 10 लाख करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रखी गई है। यह काफी लंबी छलाँग है। अर्थव्यवस्था की सेहत के लिहाज से देखें, तो इसके फौरी और दूरगामी दोनों तरह के परिणाम हैं।

फौरी परिणाम रोजगार और ग्रामीण उपभोग में वृद्धि के रूप में दिखाई पड़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिलेगी। साथ ही संवृद्धि के दूसरे कारकों को सहारा मिलेगा। दूरगामी दृष्टि से देश में निजी पूँजी निवेश के रास्ते खुलेंगे और औद्योगिक विस्तार का लाभ मिलेगा, जिसके सहारे अर्थव्यवस्था की गति तेज होगी। सरकार मानती है कि पूँजीगत निवेश पर एक रुपया खर्च करने पर तीन रुपये का परिणाम मिलता है।

पीएम आवास योजना के खर्च को भी 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। साथ ही सरकार ने 100 महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की भी पहचान की है। कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 50 नए एयरपोर्ट का भी प्रस्ताव दिया। शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये अलग रखे जाएंगे। इसके अलावा रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर 2.40 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह 65.6 फीसदी की वृद्धि है।

चिंता इस बात को लेकर व्यक्त की जा सकती है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश के लिए सरकार को बाजार से धन जुटाने की जरूरत होगी। वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए हमें बाजार से 11.8 लाख करोड़ रुपये उठाने होंगे। बजट भाषण में संसाधनों की व्यवस्था को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है, विनिवेश का भी जिक्र नहीं है। अलबत्ता राजकोषीय घाटे को काबू में रख पाने में सरकारी प्रयासों की घोषणा उन्होंने की है और आश्वस्त किया है कि 2025-26 तक हम इसे जीडीपी के 4.5 प्रतिशत के नीचे ले आएंगे। चालू वित्त वर्ष में यह 6.4 प्रतिशत है और अगले वित्त वर्ष में इसे 5.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।

आयकर में स्लैब कम करने से कुछ लाभ कर दाताओं को जरूर मिलेगा। सात लाख तक की सालाना आय पर अब कोई आयकर नहीं देना होगा, यह लाभ पुराने और नए दोनों टैक्स रेजीम से जुड़े लोगों को मिलेगा। वित्तमंत्री ने व्यक्तिगत आयकर के बारे में पाँच प्रमुख घोषणाएं कीं। ये घोषणाएं छूट, कर संरचना में बदलाव, नई कर व्यवस्था में मानक छूट के लाभ का विस्तार सर्वोच्च सरचार्ज दर में कटौती तथा गैर सरकारी वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर अवकाश नकदीकरण पर कर छूट की सीमा का विस्तार से संबंधित हैं। अब नई आयकर व्यवस्था को डिफॉल्ट-व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। करदाता पुरानी व्यवस्था के विकल्प का उपयोग करते रह सकते हैं।

बजट में भविष्य के डिजिटल गवर्नेंस की खुशबू भी  है। स्मार्ट सिटी, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिहाज से तो इसमें उत्साहवर्धक घोषणाएं हैं ही। केवाईसी जैसी जरूरी व्यवस्थाओं को सरल बनाना भी अच्छा कदम है। बजट में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताएं भी झलक रही हैं। उपभोक्ताओं की दृष्टि से भी बजट की कुछ बातें ध्यान खींचती हैं। मसलन इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली लीथियम आयन बैटरियों पर सीमा शुल्क को घटाकर 13 प्रतिशत और सिगरेट पर शुल्क बढ़ाकर 16 प्रतिशत किया गया है। यानी इलेक्ट्रिक वाहनों को लोकप्रिय बनाने की यह कोशिश है।

मोबाइल फोन, टेलीविजन वगैरह पर सीमा शुल्क में राहत दी गई है। वित्तमंत्री ने कहा कि भारत में 2014-15 में 5.8 करोड़ मोबाइल फोन बने थे, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 31 करोड़ बने। यह भी छलाँग है। प्रयोगशालाओं में निर्मित हीरों को बढ़ावा देने के लिए सीमा शुल्क में छूट दी जाएगी। कुछ कलपुर्जों पर सीमा शुल्क में कटौती से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। सीमा शुल्क में कटौती का लाभ पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को भी बढ़ावा मिलेगा। मझोले और लघु उद्योगों को ऋण गारंटी बढ़ाने का प्रस्ताव भी है। 

वित्तमंत्री ने स्त्रियों और युवाओं का कई बार उल्लेख किया। यह वह तबका है, जो भविष्य के भारत को बनाएगा। युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए एग्रीकल्चर एक्सेलेटर फंड स्थापित किया जाएगा।10,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्रों की भी स्थापना होगी। छात्रों के लिए लाइब्रेरी, युवाओं के लिए कौशल विकास और महिलाओं के लिए बचत पत्र जैसी घोषणाएं भी की गई हैं। 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर खोले जाएंगे और तीन साल में 47 लाख युवाओं को सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षुता योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण शुरू किया जाएगा। बच्चों और किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना होगी। 2014 से स्थापित मौजूदा 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोले जाएंगे। अगले तीन साल में 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में 38,000 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की भरती की जाएगी।

मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए श्रीअन्न योजना की शुरुआत की जा रही है। यह भारत की वैश्विक पहल है। अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए सहायता दी जाएगी। कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करेंगे। इससे फसल नियोजन एवं स्वास्थ्य के लिए सूचनाओं, फार्म इनपुट के प्रति बेहतर आसानी, ऋण एवं फसल बीमा आकलन के लिए मदद, मार्केट इंटेलिजेंस, और एग्री-टेक इंडस्ट्री एवं स्टार्ट-अप्स के जरिए समावेशी किसान केंद्रित समाधान होगा। युवा उद्यमी ग्रामीण क्षेत्र में एग्री स्टार्ट-अप्स खोल सकें इसके लिए कृषि वर्धक निधि स्थापित की जाएगी। कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।

हरिभूमि में प्रकाशित

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