Monday, November 11, 2013

विधान सभा चुनाव के दाँव और पेच

पाँच राज्यों के विधान सभा चुनाव 204 के लोकसभा चुनावों की सम्भावनाओं के दरवाज़े खोलेंगे। इन चुनावों के बाबत कुछ महत्वपूर्ण जानकारी विविध स्रोतों से जमा करके यहाँ दे रहा हूँ ताकि यदि आप एक जगह काफी चाजें पढ़ना चाहें तो पढ़ लें। सबके लिंक साथ में दिए हैं। 

विकीपीडिया में 2013 के विधानसभा चुनावों का पेज। इसमें पूरे साल के विधानसभा चुनावों का लेखा-जोखा है। इसे पढ़ने के लिए क्लिक करें

इंडियन एक्सप्रेस में चुनाव का पेज इसे पढ़ने के लिए क्लिक करें


विधानसभा चुनाव: कहां क्या लगा दांव पर

पांच राज्यों में चुनाव

बहुत से राजनीतिक विश्लेषक पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को अगले साल होने वाले आम चुनाव की तैयारी के तौर पर देख रहे हैं.

राजनीतिक रूप से चार राज्यों दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को ख़ासा अहम माना जा रहा है जबकि पूर्वोत्तर भारत के एक राज्य मिज़ोरम का फ़ैसला भी इन चुनावों में होने वाला है.


अविनाश दत्त
बीबीसी संवाददाता

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के बड़े नेता अजीत जोगी दस साल से सत्ता से बाहर हैं. इन दस सालों से उन्होंने अपना ज़्यादातर समय व्हीलचेयर पर बिताया है. जब वो चुनाव प्रचार के लिए निकलते हैं, तो उनके डॉक्टरों के साथ-साथ उनके राजनीतिक विरोधियों की जान सांसत में आ जाती है। उनकी जनसभाओं में भारी भीड़ उमड़ती है, पर उनकी सभाओं की भीड़ देखकर जितने परेशान भारतीय जनता पार्टी वाले होते हैं, उतने ही परेशान उनकी अपनी पार्टी के लोग रहते हैं.



अविनाश दत्त
बीबीसी संवाददाता

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का नाम उनके राज्य को छोड़ कर अन्य राज्यों के लोगों ने तब ध्यान से सुनना शुरू किया जब राष्ट्रीय मीडिया ने उन्हें नरेंद्र मोदी का विकल्प बताना शुरू कर दिया.

पिछले दो तीन साल से लगातार राष्ट्रीय मीडिया में ग़रीबों के लिए एक रुपया किलो अनाज वितरण कार्यक्रम की बात और मुफ़्त नमक की बात रह-रह कर सुनाई देने लगी.



ऋषि पाण्‍डे
भोपाल से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

बात 2008 की है. शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहले चुनाव प्रचार के दौरान उमा भारती से टकरा गए.

उमा भारती, जो भारतीय जनशक्ति पार्टी बना चुकी थीं और शिवराज से बेहद ख़फ़ा थीं उन्होंने शिवराज को उनके मुंह पर सरेआम ख़ूब खरी खोटी सुनाई.



बाग़ियों से घिरीं वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के लिए बाग़ियों की बहार भाजपा और कांग्रेस के सत्तासीन होने के सपने को कड़ी चुनौती रही है.

चुनाव पूर्व आए सर्वेक्षणों में भाजपा नेता वसुंधरा राजे को काफ़ी बढ़ा-चढ़ाक़र मुख्यमंत्री बताया जा रहा था, लेकिन पार्टी उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया में अब हालात ये हो गए हैं कि जयपुर जैसे गढ़ में ही कई-कई बाग़ी ताल ठोक रहे हैं.

ये बाग़ी उनके सत्ता में आने के दावों के लिए चुनौती बन रहे हैं. विद्रोहियों के मामले में कांग्रेस की तस्वीर भी कुछ ज़्यादा अच्छी नहीं है. उसे भी कई जगह विद्रोहियों का सामना करना पड़ रहा है.

कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही दलों के नेताओं ने चुनावी सियासत को काफ़ी नफ़ासत से शुरू किया था, लेकिन आख़िरी समय में सारा खेल बदमज़ा हो रहा है.


केजरीवाल ने चुनाव में उतरने में जल्दबाज़ी की?

ज़ुबैर अहमद
बीबीसी संवाददाता
गुरुवार, 14 नवंबर, 2013 

पहली बार चुनावी अखाड़े में कूदी आम आदमी पार्टी (आप) के क़दम क्या अभी से डगमगाने लगे हैं?

पार्टी के भीतर कथित असंतोष का सार्वजनिक प्रदर्शन, पार्टी को मिले चंदे पर जारी विवाद और इस चंदे के स्रोत की छानबीन करने के लिए गृह मंत्रालय का आदेश, ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनसे आम आदमी पार्टी जूझ रही है.

पार्टी के एक सदस्य राकेश अग्रवाल ने पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेस की और दावा किया कि उनकी इस अपील को पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नज़रअंदाज कर दिया कि पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में उस वक्त अच्छा ख़ासा ड्रामा भी देखने को मिला जब अग्रवाल के ग़ैर सरकारी संगठन से जुड़े बताए जाने वाले कुछ ऑटो रिक्शा ड्राइवर धड़धड़ाते वहां आए और उन्होंने अग्रवाल पर एनजीओ के पैसे का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए.

इसके बाद आम आदमी पार्टी ने अग्रवाल को बाहर का रास्ता दिखाने में कोई देर नहीं लगाई. इस पूरे मामले की सच्चाई भले कुछ भी हो लेकिन इससे इन अटकलों को तो बल मिला ही है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

No comments:

Post a Comment