इसराइल और हमास के बीच अस्थायी पहले अस्थायी संघर्ष-विराम के चार दिन के बाद दो दिन के लिए यह विराम और आगे बढ़ाया गया. इस दौरान दोनों पक्षों ने कुछ कैदियों या बंधकों का आदान-प्रदान किया और हिंसक गतिविधियों को रोककर रखा. इस दौरान अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकेन इसरायल गए, यह समझाने कि युद्ध-विराम को आगे बढ़ाने में भलाई है. इसके सहारे कुछ और बंधकों की रिहाई हो जाएगी.
उधर सीआईए के डायरेक्टर विलियम बर्न्स और मोसाद
के प्रमुख डेविड बार्निया क़तर के प्रधानमंत्री और मिस्र के अधिकारियों से बातें
करने के लिए दोहा गए. अमेरिका
चाहता है कि युद्ध-विराम जारी रहे, पर इसराइल चाहता है कि उसकी कारवाई जल्द से
जल्द शुरू हो. सवाल पूछा जा सकता है कि अब आगे क्या होगा और यह भी कि इस
आंशिक-विराम से किस को क्या मिला?
संभव है कि यह विराम एकबार और कुछ समय के लिए
बढ़ा दिया जाए. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भी इसराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को
इस आशय का सुझाव दिया है, ताकि बंधकों की रिहाई कराई जा सके. अस्थायी युद्ध-विराम
से स्थायी-समाधान के बारे में सोचने का मौका भी मिलेगा, बशर्ते दोनों पक्षों को
हिंसा की निरर्थकता का आभास हो. मिस्री अधिकारियों को इस आशय के संकेत मिले हैं,
पर इसराइल और हमास ने ऐसी कोई बात कही नहीं है.
जो भी होगा उसमें इन दोनों पक्षों के अलावा
अमेरिका की भूमिका भी होगी. अमेरिका को दो तरह की चिंताएं है. बड़ी संख्या में
नागरिकों की मौतों का अमेरिकी जनमत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. अगले साल चुनाव को
देखते हुए बाइडन अपनी छवि को लेकर संवेदनशील हैं. दूसरे लड़ाई खत्म होने के बाद
खंडहर में तब्दील हो चुके गज़ा का पुनर्निर्माण. अंततः उसकी काफी कीमत अमेरिका को
चुकानी होगी.
इसराइली दावा
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने
26 नवंबर को कहा कि इस लड़ाई में हमारे तीन लक्ष्य हैं: हमास
का सफाया, बंधकों की वापसी और भविष्य में गज़ा को इसराइल के लिए खतरा बनने से
रोकना. हम पूर्ण विजय पाने तक लड़ते रहेंगे.
पर्यवेक्षकों के अनुसार लड़ाई का दूसरा दौर
शुरू हुआ, तो वह गज़ा के दक्षिणी इलाकों में चलेगा. यह ज्यादा विवादास्पद होगा,
क्योंकि यहाँ नागरिकों की ज्यादा मौतें होने का अंदेशा है.
कौन सा पक्ष पहले थकेगा, यह भी देखना होगा. हमास की ताकत का पता लगाना आसान नहीं है. उसके काफी लड़ाके अभी सुरंगों में बैठे हैं. अलबत्ता इसराइल का दावा है कि हमास की आधी ताकत खत्म कर दी गई है. लड़ाई खत्म होने के बाद यह भी देखना होगा कि हमास की लोकप्रियता का स्तर क्या है. नागरिकों का एक तबका ऐसा भी है, जो मानता है कि हमास की हरकतों के कारण उनका जीवन खतरे में पड़ गया.