Wednesday, June 7, 2023

इमरान बनाम सेना बनाम पाकिस्तानी लोकतंत्र


पाकिस्तानी राजनीति में इमरान खान का जितनी तेजी से उभार हुआ था, अब उतनी ही तेजी से पराभव होता दिखाई पड़ रहा है. उनकी पार्टी के वफादार सहयोगी एक-एक करके साथ छोड़ रहे हैं. कयास हैं कि उन्हें जेल में डाला जाएगा, देश-निकाला हो सकता है, उनकी पार्टी को बैन किया जा सकता है वगैरह.

पाकिस्तान में कुछ भी हो सकता है. ऊपर जो बातें गिनाई हैं, ऐसा अतीत में कई बार हो चुका है. पहले भी सेना ने ऐसा किया था और इस वक्त इमरान के खिलाफ कार्रवाई भी सेना ही कर रही है. परीक्षा पाकिस्तानी नागरिकों की है. क्या वे यह सब अब भी होने देंगे?

कुल मिलाकर यह लोकतंत्र की पराजय है. इमरान खान ने सेना का सहारा लेकर प्रतिस्पर्धी राजनीतिक दलों को पीटा, अब वे खुद उसी लाठी से मार खा रहे हैं. पर उन्होंने अपनी इस गलती को कभी नहीं माना. 

ब्रिटिश पत्रिका इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि इमरान को पिछले साल अपदस्थ करने के बजाय, लँगड़ाते हुए ही चलने दिया जाता, तो अगले चुनाव में जनता उसे रद्द कर देती. लोकतंत्र में खराब सरकारों को जनता खारिज करती है. इसकी नज़ीर बनती है और आने वाले वक्त की सरकारें डरती हैं.

सेना का हस्तक्षेप

जनरलों ने किसी भी सरकार को पूरे पाँच साल काम करने नहीं दिया. पिछले साल इमरान को हटाने के पीछे भी जनरल ही थे, जिन्होंने एक विफल राजनेता को सफल बनने का मौका दिया. इमरान ने साजिशों की कहानियाँ गढ़ लीं, और उनके समर्थकों की तादाद बढ़ती चली गई.

Tuesday, June 6, 2023

भारत-जर्मनी के बीच एआईपी युक्त छह पनडुब्बियाँ बनाने का करार होगा

 


भारत दौरे पर आए जर्मनी के रक्षामंत्री  बोरिस पिस्टोरियस ने मंगलवार को भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ वार्ता की. खबरों के मुताबिक, भारत और जर्मनी के बीच छह पनडुब्बियों के निर्माण का समझौता होने जा रहा है। इस करार का मतलब है कि लंबे अर्से से रुका पड़ा प्रोजेक्ट 75(आई) अब तेजी पकड़ेगा।

राजनाथ सिंह ने जर्मनी के रक्षामंत्री  बोरिस पिस्टोरियस से व्यापक चर्चा की और द्विपक्षीय रक्षा व सामरिक संबंध मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान दिया।  पिस्टोरियस भारत के चार दिवसीय दौरे पर हैं। मंगलवार की बैठक के बाद मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत और जर्मनी, भारत में पनडुब्बी बनाने पर समझौते के करीब आ गए हैं। ये पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के लिए बनाई जानी हैं।

Monday, June 5, 2023

विरोधी-एकता के असमंजस


आगामी 12 जून को पटना में प्रस्तावित विरोधी दलों की एकता-बैठक एक बार फिर से स्थगित हो गई है। हालांकि इसकी अगली तारीख तय नहीं है, पर संभावना है कि अब यह बैठक 23 जून को हो सकती है। इसका स्थान भी पटना के बजाय कहीं और हो सकता है। इसे शिमला में भी किया जा सकता है। कांग्रेस पहले से 23 जून की बात कह रही थी, पर जेडीयू ने 12 जून की घोषणा कर दी थी।

विरोधी-एकता की एक परीक्षा संसद के मॉनसून सत्र में होगी, जब दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े अध्यादेश का स्थान लेने वाला विधेयक पेश किया जाएगा। बहरहाल 12 जून की बैठक में शामिल होने के लिए 16 पार्टियों ने सहमति दी थी, जिनमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है। इस बैठक को लेकर नीतीश कुमार के अलावा अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार इसे लेकर काफी उत्साहित हैं।

हिंदी बेल्ट

ममता बनर्जी ने एक वीडियो जारी करके पटना आने और बैठक में शामिल होने का बयान भी दिया है। ममता बनर्जी ने कहा कि पटना में होने वाली विपक्ष की एकता की बैठक से हिंदी बेल्ट में बेहतर असर होगा। हालांकि ममता ने इस बात को खुलकर नहीं कहा है, पर जो बातें सामने आ रही हैं, उनसे संकेत मिलता है कि उन्होंने ही नीतीश कुमार को सलाह दी थी कि आप अपनी तरफ से पहल करें। 12 जून की बैठक उसी पहल का परिणाम थी। ममता बनर्जी सत्तर के दशक में जय प्रकाश नारायण की पहल का इस सिलसिले में उदाहरण देती हैं।

Sunday, June 4, 2023

पूर्वोत्तर की चुनौती: मणिपुर-हिंसा


मणिपुर में एक महीने से चल रही हिंसा की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि गृहमंत्री अमित शाह को खुद वहाँ जाकर स्थिति पर नियंत्रण करने के निर्देश देने पड़े। उन्होंने अलग
-अलग जनजातियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बातचीत की है, पर दीर्घकालीन समाधान एक-दो दिनों में नहीं आते। उसके लिए पहले माहौल को बनाना होगा। यह हिंसा देश की बहुजातीय पहचान और सांस्कृतिक-बहुलता के लिए खतरनाक है। इसका राजनीतिक इस्तेमाल और भी खतरनाक है। राज्य के पाँच जिलों में जितनी तेजी से बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ, लोगों की जान गई, घरों, चर्चों, मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई, वह राज्य में लंबे अर्से से चली आ रही पहाड़ी और घाटी की पहचान के विभाजन का नतीजा है। प्रशासनिक समझदारी से उसे टाला जा सकता था।

पक्षपात का आरोप

इस वक्त सबसे ज्यादा सवाल राज्य सरकार की भूमिका को लेकर उठाए जा रहे हैं। अमित शाह ने विभिन्न वर्गों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि राज्य में शांति बहाल करना सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का दावा है कि स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है और 20 हज़ार के क़रीब लोगों को हिंसाग्रस्त इलाकों से निकालकर शिविरों में पहुंचा दिया गया है। राज्य सरकार ने तत्परता और समझदारी से काम किया होता तो यह धारणा जन्म नहीं लेती कि वह एक खास समुदाय की हिमायती है। ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ से प्रेरित होकर सरकार ने अति उत्साह में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया, जिसमें कुकी समुदाय के गाँव प्रभावित हुए थे। भाजपा के कुछ आदिवासी विधायकों ने इस पक्षपात का मुद्दा उठाया था और नेतृत्व में बदलाव की मांग भी की थी।

अतिक्रमण-विरोधी अभियान

मणिपुर सरकार ने फ़रवरी में संरक्षित इलाक़ों से अतिक्रमण हटाना शुरू किया था, तभी से तनाव था। लोग सरकार के इस रुख़ का विरोध कर रहे थे, लेकिन मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद 3 मई से स्थिति बेकाबू हो गई, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने 3 मई को जनजातीय एकता मार्च निकाला। इस मार्च के दौरान कई जगह हिंसा हुई। यह मार्च मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने के प्रयास के विरुद्ध हुआ था। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल पुरानी सिफ़ारिश को लागू करे, जिसमें ग़ैर-जनजाति मैती समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी। यह शिकायत, कि मैती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर पहाड़ी आदिवासी समुदायों के आरक्षण लाभों को काम कर देगा, एक सीमा तक ठीक लगता है। पर उनकी यह चिंता सही नहीं है कि इससे पारंपरिक भूमि स्वामित्व बदल जाएगा। आदिवासी नेताओं ने घाटी विरोधी भावनाओं को भड़काने में जमीन खोने के दाँव का इस्तेमाल किया है।

Thursday, June 1, 2023

अमेरिकी ऋण-सीमा बढ़ेगी


अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव ने सरकार की ऋण-सीमा बढ़ाने वाले विधेयक को स्पष्ट बहुमत से पारित कर दिया है. विधेयक के समर्थन में 314 और विरोध में 117 मत पड़े. दोनों ही पक्षों की तरफ़ से विरोध में मतदान हुआ है.

विधेयक के समर्थन में 165 डेमोक्रेट (राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी) और 149 रिपब्लिकन सदस्यों ने मतदान किया है. इससे अमेरिकी सरकार के क़र्ज़ संकट का समाधान हो सकता है और सरकार के डिफॉल्टर होने का ख़तरा टल सकता है. सरकार को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए अब सोमवार से पहले इस विधेयक को सीनेट में पारित कराना अनिवार्य होगा.

रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों के बीच इस समझौते के कारण व्यवस्था के बिखर जाने का खतरा टल जरूर गया है, पर देश का आर्थिक संकट बरकरार है. उधर रिपब्लिकन पार्टी को इस बात का संतोष है कि राष्ट्रपति जो बाइडन से उसने कुछ सरकारी खर्च कम करवा लिए हैं. अनुमान है कि अगले एक दशक में सरकारी खर्चों में 1.3 ट्रिलियन डॉलर की कटौती होगी. ये कटौतियाँ 2024 और 2025 से लागू होंगी.   

संसद की प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है. जबकि, सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है. ऐसे में इस बिल का प्रतिनिधि सभा में पास होना महत्वपूर्ण है. इस बिल को पारित कराने में दोनों पार्टियों के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने वाले रिपब्लिकन पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता केविन मैकार्थी ने इसे ऐतिहासिक कहा है.

वर्चुअली होगा एससीओ शिखर सम्मेलन

दूसरी बड़ी अंतरराष्ट्रीय खबर यह है कि जुलाई के महीने में भारत में होने वाला शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन अब वर्चुअल होगा. केंद्र सरकार ने मंगलवार को एलान किया कि 4 जुलाई को दिल्ली में प्रस्तावित एससीओ की बैठक अब वर्चुअली आयोजित होगी. इस साल एससीओ की अध्यक्षता भारत के पास है, जिसकी वजह से ये बैठक दिल्ली में आयोजित होनी थी.

 

इस बैठक में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को हिस्सा लेना था. इनमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तानी पीएम शाहबाज़ शरीफ़ और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसे नेता शामिल होते.

केंद्र सरकार इस बैठक को आयोजित करने के लिए पिछले कई महीनों से तैयारी भी कर रही थी. इन नेताओं को भारत आने का न्यौता भी भेजा गया था. मंगलवार को सरकार ने एकाएक अपना फ़ैसला बदल दिया. दो-तीन बातें हवा में हैं. एक, दिल्ली में सम्मेलन की तैयारी पूरी नहीं है. दूसरे चीन, पाकिस्तान और रूस के राष्ट्राध्यक्षों ने अभी तक सम्मेलन में आने की पुष्टि नहीं की है. संभवतः रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन-युद्ध के कारण आने की स्थिति में नहीं हैं.