विदेशमंत्रियों के गोवा सम्मेलन में पाकिस्तान
के विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी की उपस्थिति के कारण सारी निगाहें
भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर केंद्रित हो गईं, जबकि एससीओ में द्विपक्षीय मसले उठाए
नहीं जाते। इसलिए सम्मेलन में कही गई बातों और मीडिया से कही गई बातों को
अलग-धरातल पर समझने की कोशिश करनी चाहिए। दोनों विदेशमंत्रियों की आमने-सामने
बातचीत भी नहीं हुई, फिर भी प्रकारांतर से आतंकवाद और कश्मीर का मसला उठा और दोनों
पक्षों ने कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा बातें कह दीं।
शायद मीडिया,
राजनीति और सीमा के दोनों ओर की जनता यही सुनना चाहती थी। सम्मेलन में चीन के
विदेशमंत्री भी आए थे, और भारत-चीन सीमा पर चल रहे गतिरोध का जिक्र भी सम्मेलन के
हाशिए पर हुआ, पर मीडिया का सारा ध्यान भारत-पाकिस्तान पर रहा। शायद इसीलिए दोनों नेताओं ने कुछ ऐसे जुम्ले बोले, जिनसे राजनीति और मीडिया का कारोबार भी चलता रहे। अलबत्ता सम्मेलन में उस किस्म की आतिशबाज़ी नहीं हुई, जिसकी उम्मीद काफी लोगों को थी।
कयास ही कयास
सबको पहले से पता था कि इस दौरान दोनों देशों के
विदेशमंत्रियों की आमने-सामने बातें नहीं होंगी, फिर भी कयास थे कि हाथ मिलाएंगे
या नहीं, एक-दूसरे से बातें करेंगे या नहीं वगैरह। इस कार्यक्रम के महत्व को इस
बात से समझा जा सकता है कि इसकी कवरेज के लिए पाकिस्तान से पत्रकारों की एक टीम भी
आई थी, जबकि इस सम्मेलन में द्विपक्षीय सरोकारों पर कोई बात नहीं होने वाली थी।
केवल डेढ़ दिन में बने इस माहौल से समझा जा सकता है कि भारत-पाकिस्तान रिश्तों का
क्या महत्व है और जब ये ठंडे होते हैं, तब भी भीतर से कितने गर्म होते हैं। संयोग
से इस सम्मेलन के समय जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों से मुठभेड़ में सेना
के पाँच जवानों के शहीद होने की खबर भी आई है, जिससे यह भी स्पष्ट है कि
पाकिस्तान-परस्त लोग सक्रिय हैं और वे इस महीने श्रीनगर में हो रहे जी-20 के
कार्यक्रमों पर पानी फेरना चाहते हैं।
ऐसा जवाब देंगे…
भारत-पाकिस्तान रिश्तों के ठंडे-गर्म मिजाज का
पता इस सम्मेलन के दौरान बोली गई कुछ बातों से लगाया जा सकता है। मसलन श्रीनगर में
हो रही जी-20 की बैठक के सिलसिले में बिलावल भुट्टो ने कहा, ‘दुनिया के किसी ईवेंट का श्रीनगर में आयोजन भारत की अकड़ (एरोगैंस) को
दिखाता है। वक्त आने पर हम ऐसा जवाब देंगे कि उनको याद रहेगा।’ वहीं भारत के
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकी इंडस्ट्री का प्रवक्ता बताया।
इन दो
बयानों को अलग रख दें, तो बिलावल भुट्टो ने जयशंकर की तारीफ भी की। जयशंकर ने उनका
नमस्कार से स्वागत किया, जिसपर बिलावल ने कहा, हमारे
यहां सिंध में इसी तरह से सलाम किया जाता है। जयशंकर ने सबका स्वागत इसी तरीके से
किया। उन्होंने किसी भी मौके पर मुझे ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि हमारे
द्विपक्षीय संबंधों का इस बैठक पर कोई असर है।