Sunday, May 16, 2021

दूसरी लहर से आगे का परिदृश्य


पिछले एक-डेढ़ महीने के हौलनाक-मंज़र के बाद लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर जितनी तेजी से उठी थी, उतनी तेजी से इसके खत्म होने की उम्मीदें हैं। इस लहर का सबसे बड़ा सबक क्या है? क्या हम ईमानदारी से अपनी खामियों को पढ़ पाएंगे? ऐसा क्यों हुआ कि भारी संख्या में लोग अस्पतालों के दरवाजों पर सिर पटक-पटक कर मर गए? उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली, दवाएं नहीं मिलीं, इलाज नहीं मिला। ऐसे तमाम सवाल हैं।

क्या सरकार (जिसमें केंद्र ही नहीं, राज्य भी शामिल हैं) की निष्क्रियता से ऐसा हुआ? क्या सरकारें भविष्य को लेकर चिंतित और कृत-संकल्प है? क्या यह संकल्प ‘राजनीति-मुक्त’ है? भविष्य का कार्यक्रम क्या है? जिस चिकित्सा-तंत्र की हमें जरूरत है, वह कैसे बनेगा और कौन उसे बनाएगा? हमारी सार्वजनिक-स्वास्थ्य नीति क्या है? वैक्सीनेशन-योजना क्या है? लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था क्या सदमे को बर्दाश्त कर पाएगी? सवाल यह भी है कि साल में दूसरी बार संकट से घिरे प्रवासी कामगारों की रक्षा हम कैसे करेंगे?

प्रवासी कामगार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रवासी श्रमिकों को सूखा राशन प्रदान करने का निर्देश दिया। अधिकारियों को प्रवासी मजदूरों के पहचान पत्रों पर जोर नहीं देना है। मजदूरों पर यकीन करते हुए उन्हें राशन दिया जाए। इन मजदूरों के लिए एनसीआर में सामुदायिक रसोइयाँ स्थापित करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि उन्हें दिन में दो बार भोजन मिले। उन्हें परिवहन मिले, जो अपने घरों में वापस जाना चाहते हैं। ये वही समस्याएं हैं, जो पिछले साल के लॉकडाउन के वक्त इन कामगारों ने झेली थीं।

Friday, May 14, 2021

दूसरी लहर को लेकर काफी सही साबित हो रहा है आईआईटी कानपुर का गणितीय मॉडल


आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर का जो गणितीय मॉडल तैयार किया है, वह काफी हद तक राष्ट्रीय स्तर पर और देश के प्रमुख राज्यों के स्तर पर सटीक चल रहा है। हाल में इस मॉडल को लेकर काफी चर्चा रही थी। मैं तबसे इनके अपडेट पर नजर रखता हूँ। आप यदि इसे तारीखों के हिसाब से देखना चाहते हैं, तो इसकी वैबसाइट पर जाना पड़ेगा, पर यदि केवल नेचुरल कर्व को समझ सकते हैं, तो देखें कि नीले रंग की रेखा वास्तविक आँकड़े को बता रही है और नारंगी रेखा इनके मॉडल की है। 

इस मॉडल पर जो जानकारी आज सुबह तक दर्ज है, उसके अनुसार 12 मई को देश में 3,76,013 संक्रमणों के नए मामले आए, जबकि इस मॉडल ने 3,26,092 का अनुमान लगाया था। अब इसका अनुमान है कि 15 मई को यह संख्या तीन लाख के नीचे और 23 मई को दो लाख के नीचे और 3 जून को एक लाख के नीचे चली जाएगी। इसके बाद 8 जुलाई को यह संख्या 10 हजार से भी नीचे होगी। जुलाई और अगस्त में स्थितियाँ करीब-करीब सामान्य होंगी।

दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अनुमानों पर भी नजर डालनी चाहिए। इसके अनुसार 12 मई को दिल्ली में 14,440 नए मामले आए, जबकि इस मॉडल के अनुसार 15,711 आने चाहिए थे। उत्तर प्रदेश का आँकड़ा 11 मई तक का है, जिसके अनुसार 25,289 मामले आए, जबकि इनके मॉडल के अनुसार 23,290 होने चाहिए। इसकी वैबसाइट पर जाकर आप उन शहरों के आँकड़ों की तुलना भी कर सकते हैं, जिनका मॉडल इन्होंने तैयार किया है। मुझे यह मॉडल काफी हद तक सही लग रहा है।  

इनकी वैबसाइट का लिंक यहाँ है 

https://www.sutra-india.in/about

Thursday, May 13, 2021

संघ के कार्यक्रम में अजीम प्रेमजी का सम्बोधन


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 'Positivity Unlimited' नाम से ऑनलाइन भाषणों  की शुरुआत की है। ये भाषण 11 से 15 मई के बीच प्रसारित हो रहे हैं। इनका उद्देश्य लोगों में महामारी के बीच सकारात्मकता और विश्वास बढ़ाना है। यह श्रृंखला संघ की कोविड रेस्पॉन्स टीम आयोजित कर रही है। इसका प्रसारण दूरदर्शन पर रोज हो रहा है। इसके अंतर्गत गत 12 मई को विप्रो के प्रमुख अज़ीम प्रेमजी का भाषण हुआ।

प्रेमजी ने इस मौके पर कहा कि कोविड-19 के कारण पैदा हुए संकट का सामना करने की बुनियाद साइंस और सत्य पर आधारित होनी चाहिए। साथ ही इसका असर कितना गहरा और कितनी दूर तक हुआ है, इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। हमें सबसे पहले पूरी ताकत के साथ हर दिशा में सक्रिय होना चाहिए। साथ ही यह काम अच्छे विज्ञान के सहारे किया जाना चाहिए। जो काम विज्ञान के आधार पर नहीं होते, वे उद्देश्य को पूरा करने में बाधक होते हैं।

उन्होंने कहा कि अच्छे विज्ञान का मतलब है सत्य को स्वीकार करना और उसका सामना करना। यानी हमें वर्तमान संकट के आकार, उसकी गहराई और उसके प्रसार को पूरी तरह स्वीकार करना चाहिए। दो मिनट के वीडियो में प्रेमजी ने कहा कि इस स्थिति में पूरे देश को अपने मतभेदों के भुलाकर और एकजुट होकर समस्या का सामना करना चाहिए। हम जब एकसाथ होते हैं, तब ज्यादा ताकतवर होते हैं, जब बिखरे हुए होते हैं, तब कमजोर होते हैं।  

बांग्लादेश का चीन को जवाब

बांग्लादेश ने क्वॉड को लेकर चीन की चिंता का न केवल जवाब दिया है, बल्कि यह भी कहा है कि हमें विदेश-नीति को लेकर रास्ता न दिखाएं। हम खुद रास्ते देख लेंगे। के विदेश मंत्री डॉ अब्दुल मोमिन ने मंगलवार को कहा कि बांग्लादेश की विदेश नीति गुट-निरपेक्ष और संतुलनकारी सिद्धांत पर आधारित है और हम इसी के हिसाब से आगे बढ़ते हैं। बांग्लादेश के अखबार दे डेली स्टार ने भी अपने विदेशमंत्री के विचारों से मिलते-जुलते विचार व्यक्त किए हैं।

डॉ मोमिन ने मंगलवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ''हम स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र हैं। हम अपनी विदेश नीति पर ख़ुद फ़ैसला करेंगे। लेकिन हाँ, कोई देश अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकता है। अगला क्या कहता है हम इसका आदर करते हैं लेकिन हम चीन से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं करते हैं।'' उन्होंने इस बयान को खेदजनक बताया है।

डॉ मोमिन ने कहा, ''स्वाभाविक रूप से चीनी राजदूत अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे जो चाहते हैं, उसे कह सकते हैं। शायद वे नहीं चाहते हैं कि हम क्वॉड में शामिल हों। लेकिन हमें किसी ने क्वॉड में शामिल होने के लिए संपर्क नहीं किया है। चीन की यह टिप्पणी असमय (एडवांस में) आ गई है।''

चीनी बयान को लेकर केवल सरकार ने ही प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है, बल्कि वहाँ के विदेश-नीति विशेषज्ञों और मीडिया ने भी कहा है कि हमारा देश अपनी विदेश-नीति की दिशा खुद तय करेगा। इसके लिए किसी को बाहर से कुछ कहने की जरूरत नहीं है। हाँ, हम सभी की बात सुनेंगे, पर जो करना है वह खुद तय करेंगे।

राजदूत का बयान

गत सोमवार को, बांग्लादेश में चीनी राजदूत ली जिमिंग ने ढाका में कहा, बांग्लादेश किसी भी तरह से क्वॉड में शामिल हुआ, तो चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। जिमिंग ने कहा, हम नहीं चाहते कि बांग्लादेश इस गठबंधन में भाग ले।

Wednesday, May 12, 2021

यरूशलम में क्या हो रहा है?



इसराइल और फ़लस्तीनी अरबों के बीच पिछले शुक्रवार से भड़का संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले सोमवार को इसराइली सेना ने अल-अक़्सा मस्जिद में प्रवेश किया। इसके जवाब में हमस ने इसराइल पर दर्जनों रॉकेटों को छोड़ा। बीबीसी के अनुसार संघर्ष की ताज़ा घटना में फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमस ने कहा है कि उन्होंने इसराइल के शहर तेल अवीव पर 130 मिसाइलें दागी हैं। उन्होंने यह हमला गज़ा पट्टी में एक इमारत पर इसराइल के हवाई हमले का जवाब देने के लिए किया। भारत में इसराइल के राजदूत ने बताया है कि हमस के हमले में एक भारतीय महिला की भी मौत हो गई है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इसराइल ने गज़ा पट्टी में 13-मंज़िला एक अपार्टमेंट पर हमला किया। उन्होंने इससे डेढ़ घंटे पहले चेतावनी दी थी और लोगों को घरों से बाहर निकल जाने के लिए कहा था। इसराइली सेना का कहना है कि वे अपने इलाक़ों में रॉकेट हमलों के जवाब में गज़ा में चरमपंथियों को निशाना बना रहा है। 2017 के बाद से पश्चिम एशिया में दोनों पक्षों के बीच भड़की सबसे गंभीर हिंसा में अब तक कम-से-कम 31 लोगों की जान जा चुकी है। सैकड़ों लोग घायल हैं। इसराइली क्षेत्र में तीन लोगों की मौत हुई है. वहीं इसराइली हमले में अब तक कम-से-कम 28 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं।

क्या है इसकी पृष्ठभूमि?

बीबीसी हिंदी की वैबसाइट में इस हमले की जो पृष्ठभूमि दी गई है, वह संक्षेप में इस प्रकार है: यह 100 साल से भी ज्यादा पुराना मुद्दा है। पहले विश्व युद्ध में उस्मानिया सल्तनत की हार के बाद पश्चिम एशिया में फ़लस्तीन के नाम से पहचाने जाने वाले हिस्से को ब्रिटेन ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया था। इस ज़मीन पर अल्पसंख्यक यहूदी और बहुसंख्यक अरब बसे हुए थे। दोनों के बीच तनाव तब शुरू हुआ जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को यहूदी लोगों के लिए फ़लस्तीन को एक 'राष्ट्रीय घर' के तौर पर स्थापित करने का काम सौंपा।

यहूदियों के लिए यह उनके पूर्वजों का घर है जबकि फ़लस्तीनी अरब भी इस पर दावा करते रहे हैं और इस क़दम का विरोध किया था। 1920 से 1940 के बीच यूरोप में उत्पीड़न और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान होलोकॉस्ट से बचकर भारी संख्या में यहूदी एक मातृभूमि की चाह में यहाँ पर पहुँचे थे। इसी दौरान अरबों और यहूदियों और ब्रिटिश शासन के बीच हिंसा भी शुरू हुई। 1947 में संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीन को यहूदियों और अरबों के अलग-अलग राष्ट्र में बाँटने को लेकर मतदान हुआ और यरूशलम को एक अंतरराष्ट्रीय शहर बनाया गया। इस योजना को यहूदी नेताओं ने स्वीकार किया जबकि अरब पक्ष ने इसको ख़ारिज कर दिया और यह कभी लागू नहीं हो पाया।