पिछले शनिवार और
रविवार को असंतुष्ट नेताओं के कड़वे बयानों के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने कोई
कार्रवाई करने का इरादा जाहिर नहीं किया है। दूसरी तरफ जी-23 ने हरियाणा के
कुरुक्षेत्र में
एक
और कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। इसी तरह की रैलियाँ हिमाचल
प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हो सकती हैं। कांग्रेस के इस धड़े का
आग्रह इस बात पर है कि हम हिन्दू-विरोधी नहीं हैं। दूसरी तरफ पार्टी हाईकमान अपने
कदम पर काफी सोच-विचार कर रही है। पर पार्टी का असंतुष्ट तबका खुलकर सामने आ गया है।
गत शनिवार को
जम्मू में हुए गांधी ग्लोबल फैमिली कार्यक्रम में शामिल नेताओं से अभी तक स्पष्टीकरण
नहीं माँगा गया है। उधर पार्टी जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर का कहना है कि
गुलाम नबी के बयान से राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास
डोल गया है। इसके साथ ही जम्मू में पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने आजाद का पुतला
भी जलाया है। दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा
मोइली ने अपने आपको जम्मू के इस कार्यक्रम से अलग कर लिया है। उन्होंने पार्टी
के आंतरिक मतभेदों के बाहर आने पर चिंता व्यक्त की और साथ ही राहुल गांधी को फिर
से अध्यक्ष बनाने का समर्थन किया।
आईएसएफ से
गठबंधन
सोमवार को आनंद
शर्मा ने पश्चिम बंगाल में इंडियन
सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ गठबंधन को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने ट्वीट
किया कि आईएसएफ जैसी पार्टी के साथ गठबंधन करके कांग्रेस गांधी-नेहरू के धर्मनिरपेक्ष
विचारों से दूर जा रही है, जो पार्टी की आत्मा है। इन मसलों पर कांग्रेस
कार्यसमिति की अनुमति होनी चाहिए। ऐसे मौके पर पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष
की उपस्थिति दर्दनाक और शर्मनाक है।
इसपर बंगाल के
प्रभारी जितिन प्रसाद ने ट्वीट किया, गठबंधन के निर्णय पार्टी और कार्यकर्ताओं के
हितों को ध्यान में रखकर किए जाते हैं। सबको मिलकर कांग्रेस को मजबूत करना चाहिए।
उनके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी
ने ट्वीट किया, आनंद शर्मा जी सीपीएम-नीत वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल में सेक्युलर
गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है। कांग्रेस उसका अभिन्न अंग है। हम भाजपा और
सांप्रदायिक शक्तियों को परास्त करने को कृतसंकल्प हैं।
जी-23 के एक सदस्य
आनंद शर्मा के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि एक समय तक आनंद शर्मा परिवार के काफी
करीब थे, पर पिछले कुछ वर्षों में यह नजदीकी खत्म हो गई है। राज्यसभा में
मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता और उन्हें उपनेता बनाया गया है। इसका मतलब है कि
उन्हें खड़गे के अधीन रहना होगा। खड़गे को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है और
वे सोनिया गांधी के भी आनंद शर्मा के मुकाबले ज्यादा करीबी हैं। सोनिया और राहुल
गांधी के करीबियों के टकराव के कारण जी-23 का जन्म हुआ है। ये नेता अब जून में
होने वाले पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में भी अपना प्रत्याशी खड़ा करेंगे। वे जानते
हैं कि यदि राहुल गांधी खड़े हुए तो उनकी जीत तय है, फिर भी जी-23 अपना प्रत्याशी
खड़ा करेगा।
हार्दिक पटेल
भी निराश
उधर गुजरात के
स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद पार्टी में मतभेद उभरे हैं।
पाटीदार बहुल इलाकों में मिली हार के बाद प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक
पटेल की आलोचना भी हो रही है। करीब दो साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए युवा
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने अपनी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने अपने एक ट्वीट
में कहा कि पार्टी उनका सही से प्रयोग नहीं कर पा रही है। पार्टी के भीतर अपने ही
नेता उनकी टांग खींचने का काम कर रहे हैं।