भारत और चीन के रक्षामंत्रियों के बीच मॉस्को में हुई बातचीत से भी लगता नहीं कि कोई निर्णायक परिणाम हासिल हुआ है, फिर भी पिछले सप्ताह की गतिविधियों से इतना जरूर नजर आने लगा है कि अब चीन दबाव में है। राजनाथ सिंह और वेई फेंग के बीच बातचीत चीनी पहल पर हुई है। इस बैठक में राजनाथ सिंह ने कड़े लहजे में कहा कि चीनी सेना को पीछे वापस जाना चाहिए। पिछले हफ्ते दक्षिण पैंगांग क्षेत्र की ऊँची पहाड़ियों पर अपना नियंत्रण बना लेने के बाद भारतीय सेना अब बेहतर स्थिति में है।
लद्दाख में भारतीय सेना का मनोबल ऊँचा है। इसके विपरीत चीनी सैनिक मानसिक दबाव में हैं। भारत के प्रधानमंत्री से लेकर रक्षामंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और सेनाध्यक्ष सब लद्दाख जाकर सैनिकों का उत्साहवर्धन कर चुके हैं। इसके विपरीत चीन के राजनीतिक नेताओं की बात छोड़िए बड़े सैनिक अधिकारी भी सीमा पर नहीं पहुँचे हैं। गत 15 जून को गलवान में हुए टकराव में बड़ी संख्या में हताहत हुए अपने सैनिकों का सम्मान करना भी चीन ने उचित नहीं समझा। उन सैनिकों के परिवारों तक क्या संदेश गया होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।