देश के कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए भारत सरकार ने नागरिकों के लिए 20
लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया है| इस पैकेज के माध्यम से सरकार ने समाज के अलग-अलग वर्गों की सहायता का प्रयास
किया है। उद्यमियों, कारोबारियों, श्रमिकों और विभिन्न सामाजिक वर्गों की सहायता
करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन का सभी वर्गों
पर प्रभाव पड़ा था। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सरकार ने 1.70 लाख
करोड़ रुपये के जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की, उसमें गरीबों, मजदूरी करने वाली महिलाओं, शारीरिक और मानसिक
चुनौतियों का सामना कर रहे व्यक्तियों और वृद्धों के लिए अलग से व्यवस्थाएं की गई
हैं। ये योजनाएं विभिन्न
कार्यक्रमों का हिस्सा हैं। इनमें केंद्र और राज्यों की योजनाएं भी शामिल हैं।
कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के तहत असहाय व्यक्तियों का सहारा भी राज्य है।
बेशक उन्हें सामाजिक संस्थाएं और निजी तौर पर अपेक्षाकृत सबल व्यक्ति कमजोरों,
वंचितों और हाशिए पर जा चुके लोगों की सहायता के लिए आगे आते हैं, पर सबसे बड़ी
जिम्मेदारी राज्य की होती है। हमारे संविधान का अनुच्छेद 41 कहता है, ‘राज्य अपनी आर्थिक सामर्थ्य और
विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने के, शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी
और निःशक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को
प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।’ इसके साथ अनुच्छेद 42 और 43 भी सामाजिक वर्गों की सहायता के लिए राज्य की
भूमिका की ओर इशारा करते हैं।