संयुक्त राष्ट्र
महासभा में आज भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के भाषण होने वाले है। दोनों
देशों की जनता और मीडिया की निगाहें इस परिघटना पर हैं। क्या कहने वाले हैं, दोनों
नेता? पिछले कुछ वर्षों में इस भाषण का महत्व कम होता गया है। यह
भाषण संबद्ध राष्ट्रों के वैश्विक दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। इससे ज्यादा
इसका व्यावहारिक महत्व नहीं होता।
दोनों देशों के
नेताओं के पिछले कुछ वर्षों के भाषणों का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे, तो पाएंगे कि
पाकिस्तान का सारा जोर कश्मीर मसले के अंतरराष्ट्रीयकरण और उसकी नाटकीयता पर होता
है। शायद उनके पास कोई विश्व दृष्टि है ही नहीं। इस साल भी वही होगा। देखना सिर्फ
यह है कि नाटक किस किस्म का होगा। इसकी पहली झलक गुरुवार को मिल चुकी है।