सायबर खतरे-1
इसी हफ्ते की बात है दिल्ली
पुलिस के एक जॉइंट कमिश्नर क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के शिकार हो गए। उनके क्रेडिट कार्ड से किसी ने करीब 28 हजार रुपये निकाल लिए। इस धोखाधड़ी की जाँच
दिल्ली पुलिस की सायबर क्राइम यूनिट कर रही है। शायद अपराधी पकड़े जाएं। पिछले कुछ
समय से सायबर अपराधियों की पकड़-धकड़ की खबरें आ भी रही हैं, पर सायबर अपराध भी हो
रहे हैं।
जैसे-जैसे कंप्यूटर और
इंटरनेट का जीवन में इस्तेमाल बढ़ रहा है सायबर अपराध, सायबर जोखिम, सायबर हमला,
सायबर लूट और सायबर शत्रु जैसे शब्द भी हमारे जीवन में प्रवेश करने लगे हैं। इसमें
विस्मय की बात नहीं, क्योंकि आपराधिक मनोवृत्तियाँ नहीं बदलीं, उनके औजार बदले
हैं। एक जमाने में घरों में सोना दुगना करने वाले आते थे। लोग जानते हैं कि सोना
दुगना नहीं होता, पर कुछ लोग उनके झाँसे में आ जाते थे।
सावधानी हटी,
दुर्घटना घटी
सायबर जोखिम मामूली अपराधों
से अलग हैं, पर मूल कामना लूटने की ही है। यह सब कई सतह पर हो रहा है और सबके कारण
अलग-अलग हैं। मसलन उपरोक्त पुलिस अधिकारी के साथ हुई धोखाधड़ी उनकी असावधानी के
कारण हुई। घटना के एक दिन पहले उनके मोबाइल पर एक लिंक वाला मैसेज आया था, जिसमें
कहा गया था कि कार्ड का क्रेडिट स्कोर बढ़ाने के लिए भेजे गए लिंक पर अपनी जानकारी
अपडेट करें। वे ठगों के झाँसे में आ गए और लिंक पर जानकारी अपडेट करा दी। दूसरे ही
दिन उनके रुपये निकल गए।