हिन्दू में केशव का कार्टून |
दूसरे मंत्रियों की बात छोड़ दें तो प्रधानमंत्री पर जो आरोप लगाए गए हैं वे सन 2006 से 2009 के बीच कोयला खानों के 155 ब्लॉक्स के बारे में हैं जिन्हें बहुत कम फीस पर दे दिया गया। उस दौरान कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के अधीन था। पहली नज़र में यह बात महत्वपूर्ण लगती है। खासतौर से कुछ महीने पहले एक अखबार में सीएजी की रपट इस अंदाज़ में प्रकाशित हुई थी कि कोई बहुत बड़ा घोटाला सामने आया है। सीएजी की ड्राफ्ट रपट में 10.67 लाख करोड़ के नुकसान का दावा किया गया था। इस लिहाज से यह टूजी मामले से कहीं बड़ा मामला है। पर क्या यह घोटाला है? क्या इसमें प्रधानमंत्री की भूमिका है? क्या इसके आधार पर कोई अदालती मामला बनाया जा सकता है? इन सब बातों पर विचार करने के बजाय सीधे प्रधानमंत्री को आरोप के घेरे में खड़ा करना उचित नहीं है। इसके साथ ही उनके लिए प्रयुक्त शब्द भी सामान्य मर्यादाओं के खिलाफ हैं।