बुधवार
को मीरा कुमार ने औपचारिक रूप से पर्चा दाखिल करने के बाद अपने प्रचार-अभियान की
शुरूआत कर दी है. उनका कहना है कि यह सिद्धांत की लड़ाई है. संविधान की रक्षा के
लिए और देश को साम्प्रदायिक ताकतों के हाथ में जाने से रोकने के लिए वे खड़ी हुई
हैं. वस्तुतः यह सन 2019 के चुनाव में गैर-बीजेपी गठजोड़ का प्रस्थान बिंदु है. देशभर
में असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की हत्याओं के खिलाफ आंदोलन खड़ा हो गया है. यह उस
राजनीति का पहला अध्याय है, जो राष्ट्रीय स्तर पर उभरेगी.
मीरा
कुमार के नामांकन के वक्त 17 दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे. इनके नाम हैं कांग्रेस,
सपा, बसपा, राजद, वाममोर्चा के चार दल, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, नेशनल
कांफ्रेंस, डीएमके, झामुमो, जेडीएस, एआईयूडीएफ, केरल कांग्रेस, मुस्लिम लीग. आम
आदमी पार्टी इस प्रक्रिया में शामिल नहीं थी, पर वह भी मीरा कुमार के साथ जाएगी. यह प्रभावशाली संख्या है, पर इसके
मुख्य सूत्रधार कांग्रेस और वामदल हैं. धर्म-निरपेक्ष राजनीति का काफी बड़ा हिस्सा
इस राजनीति से बाहर है.