अमेरिका के
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच राजनीतिक संग्राम अब तीखे
मोड़ पर पहुँच चुका है। अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग की प्रक्रिया
एक
कदम आगे बढ़ गई है। इसके पहले शनिवार 7 दिसम्बर को हाउस की एक महाभियोग
रिपोर्ट में ट्रंप पर सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। इन
पंक्तियों के प्रकाशन तक सदन की न्यायिक समिति में सुनवाई चल रही होगी। इसके बाद
सदन इस विषय पर मतदान करेगा। इस प्रकार अमेरिकी इतिहास में ट्रंप तीसरे ऐसे
राष्ट्रपति बन जाएंगे, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा।
अनेक कारणों से
ट्रंप यों भी इतिहास के सबसे विवादास्पद राष्ट्रपतियों में से एक साबित हुए हैं,
पर देश की राजनीति में इस समय जो हो रहा है, वह ऐतिहासिक है। संभव है कि प्रतिनिधि
सदन से यह प्रस्ताव पास हो जाए, पर यह सीनेट से भी पास होगा, इसकी संभावना नहीं
लगती है। निश्चित रूप से यह मामला अमेरिकी राष्ट्रपति पद के अगले साल होने वाले
चुनाव का प्रस्थान-बिंदु है।
अमेरिकी संसद के
निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (प्रतिनिधि सभा) की स्पीकर नैंसी पेलोसी का
कहना है कि हमारा लोकतंत्र दांव पर है, राष्ट्रपति ने हमारे लिए
कोई विकल्प नहीं छोड़ा। ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति पद का आगामी चुनाव
जीतने के लिए अपने एक प्रतिद्वंदी के ख़िलाफ़ साजिश की है। उन्होंने यूक्रेन के
राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की के साथ फ़ोन पर हुई बातचीत में ज़ेलेंस्की पर
दबाव डाला कि वे जो बायडन और उनके बेटे के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के दावों की जाँच
करवाएं। जो बायडन अगले साल होने वाले चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित
उम्मीदवार हैं। ट्रंप का कहना है कि यूक्रेन के नए राष्ट्रपति को चुनाव जीतने पर
बधाई देने के लिए मैंने फोन किया था। यूक्रेन में अप्रेल में चुनाव हुए थे और एक टीवी
स्टार ज़ेलेंस्की जीतकर आए थे। उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है।
यह आखिरी पड़ाव
नहीं
सदन में महाभियोग
की यह प्रक्रिया 24 सितंबर, 2019 को शुरू हुई थी और इस हफ्ते एक महत्वपूर्ण पड़ाव
पर आ पहुँची है, पर यह अंतिम पड़ाव नहीं है। उसके लिए हमें जनवरी में सीनेट की
गतिविधियों का इंतजार करना होगा। अगस्त के महीने में एक ह्विसिल ब्लोवर ने आरोप
लगाया था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति वोलोदिमीर
ज़ेलेंस्की की सैनिक सहायता रोककर अपने पद का दुरुपयोग किया है। उसका आरोप था कि
ट्रंप ने 25 जुलाई को फोन करके ज़ेलेंस्की से कहा था कि हम आपके देश को रोकी गई
सैनिक सहायता शुरू कर सकते हैं, बशर्ते आप जो बायडन, उनके बेटे हंटर और यूक्रेन की
एक नेचुरल गैस कंपनी बुरिस्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच बैठा दें।
बुरिस्मा के बोर्ड में हंटर सदस्य रह चुके हैं। यह ह्विसिल ब्लोवर संभवतः सीआईए का
कोई अधिकारी है।
ट्रंप चाहते थे
कि ज़ेलेंस्की इस बात का समर्थन करें कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप
का काम यूक्रेन ने किया था, रूस ने नहीं। ज़ेलेंस्की को लगा कि पूर्वी यूक्रेन में
रूसी अलगाववादियों के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी सैनिक सहायता फिर से मिलने लगेगी,
इसलिए उन्होंने सीएनएन टीवी पर 13 सितंबर को प्रसारित होने वाले पत्रकार फरीद
ज़कारिया के एक कार्यक्रम में इस बात की घोषणा करने की तैयारी कर ली थी कि बायडन और
उनके बेटे के खिलाफ जाँच कराएंगे।
इधर ह्विसिल
ब्लोवर की शिकायत 12 अगस्त को औपचारिक रूप से सामने आई और उधर 11 सितंबर को यूक्रेन
की सैनिक सहायता बहाल हो गई, पर 13 सितंबर वाला टीवी कार्यक्रम भी रद्द हो गया। दूसरी
तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी ने 24 सितंबर को सदन में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर
दी। उसी रोज ट्रंप ने अपनी टेलीफोन वार्ता के पूरे ट्रांसक्रिप्ट को भी जारी किया।
ह्वाइट हाउस ने ह्विसिल ब्लोवर की कुछ बातों को स्वीकार भी किया है, पर उसका मानना
है कि यह सब सामान्य बातें हैं। उसके बाद अमेरिकी कांग्रेस की तीन समितियों में
सुनवाइयाँ हुईं। और अब न्यायिक समिति के सामने मामला है। उधर ह्वाइट हाउस ने कहा
कि हम जाँचों में शामिल नहीं होंगे। सदन की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने जब महाभियोग
के आरोप दायर करने की घोषणा की है, तो जवाब में ट्रंप ने कहा है, जरूर दायर करो।
अभी तो इस मामले को सीनेट में जाना है।
दो चरणों की
प्रक्रिया
अमेरिकी
राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग दो चरणों में पूरी होने वाली प्रक्रिया है। इसमें संसद
के दोनों सदनों की भूमिका है। पहला चरण महाभियोग
का है, जो इस वक्त चल रहा है। राजनीतिक प्रक्रिया दूसरा चरण है। पहले चरण में
हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स के नेता राष्ट्रपति पर लगे आरोपों पर विचार करते हैं देखते
हैं और तय करते हैं कि राष्ट्रपति पर औपचारिक तौर पर आरोप लगाएंगे या नहीं। इसे
कहा जाता है, ‘महाभियोग के आरोपों की
जांच आगे बढ़ाना।’ पेलोसी ने इसी चरण को आगे बढ़ाया है। इसके बाद ऊपरी सदन, यानी सीनेट
जांच करता है कि राष्ट्रपति दोषी हैं या नहीं। ट्रंप के खिलाफ हाउस ऑफ
रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग पास हो सकता है, लेकिन सीनेट में, जहां रिपब्लिकन
का बहुमत है, इसे पास कराने के लिए दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी।
अमेरिका के
इतिहास में केवल दो राष्ट्रपतियों, 1886 में एंड्रयू जॉनसन और 1998 में बिल क्लिंटन के
ख़िलाफ़ महाभियोग लाया गया था, लेकिन दोनों
राष्ट्रपतियों को पद से हटाया नहीं जा सका। सन 1974 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन
पर अपने एक विरोधी की जासूसी करने का आरोप लगा था। इसे वॉटरगेट स्कैंडल का नाम
दिया गया था। पर उस मामले में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने के पहले उन्होंने
इस्तीफ़ा दे दिया था। उन्हें पता था कि मामला सीनेट तक पहुंचेगा और उन्हें
इस्तीफ़ा देना पड़ सकता है।
जोखिम दोनों तरफ
अमेरिकी विशेषज्ञों
का एक तबका ट्रंप के आचरण को भ्रष्टाचार मानता है। पर कुछ लोग कहते हैं कि किसी
विदेशी नेता को अपने प्रतिद्वंदी को बदनाम करने के लिए कहने भर से महाभियोग नहीं
बनता। ट्रंप ने महाभियोग की जांच को दुर्भावना से प्रेरित बताया है। पेलोसी के
बयान के कुछ देर बाद उन्होंने ट्वीट किया, ‘अगर आप मुझ पर महाभियोग
लगाने जा रहे हैं तो अभी करें, जल्दी, जिससे सीनेट इसकी निष्पक्ष सुनवाई कर सके और देश वापस अपने
काम में लगे।’ सीनेट की 100 में से 53 सीटें रिपब्लिकन के पास हैं। यानी कि क़रीब 20 रिपब्लिकन
सदस्य उनका साथ देने से इनकार करें और डेमोक्रेटिक पार्टी के सभी सदस्य अपनी
पार्टी का साथ दें, तभी कुछ हो सकता है, जिसकी उम्मीद नहीं लगती। बहरहाल अभी तक
रिपब्लिकन पार्टी ट्रंप के साथ खड़ी है।
13 नवंबर को
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ औपचारिक तौर पर महाभियोग की जांच शुरू हुई और
5 दिसंबर को नैंसी पेलोसी की घोषणा के साथ सदन की न्यायिक समिति में इस मामले की
सुनवाई शुरू हो गई। समिति के सामने ट्रंप अपनी बात कहने को तैयार नहीं। अपनी घोषणा
के एक दिन पहले पेलोसी ने डेमोक्रेट सांसदों की बैठक में सबसे पूछा था, बोलो आपको
क्या राय है? सबने कहा, आगे बढ़ो।
तलवारें दोनों तरफ से खिंची हुई हैं। लगता है कि इस महीने के अंत तक सदन में इस
मामले पर मतदान हो जाएगा। इसमें सामान्य बहुमत से फैसला होगा। उम्मीद है कि यहां
डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत होगी, क्योंकि उसके पास बहुमत है। उसके बाद नए साल में
सीनेट में इस मामले की सुनवाई होगी।
महाभियोग का यह प्रस्ताव
डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए भी जोखिम भरा है। अगर जांच सफल नहीं हो पाई तो इसका असर
2020 में होने वाले चुनावों पर भी पड़ेगा। विपक्ष को उसे इसका खामियाजा भी भुगतना
पड़ सकता है। यों भी ट्रंप प्रचार यह कर रहे हैं कि ऐसे दौर में जब अमेरिका अपनी
आर्थिक समस्याओं का मुकाबला करते हुए फिर से अपने गौरव के उच्च शिखर को प्राप्त
करने की दिशा में अग्रसर है, हमारे विरोधी दुष्प्रचार कर रहे हैं। यों ट्रंप पहले से
कई तरह के विवादों में घिरे हैं। उन पर 2016 के चुनावों में रूसी हस्तक्षेप की
जांच को प्रभावित करने, अपने टैक्स
संबंधी दस्तावेज़ न दिखाने और यौन हिंसा के आरोप लगने पर दो महिलाओं को पैसे देने
के आरोप लगे हुए हैं।