Monday, November 15, 2010

करप्शन कोश

मेरे मन में विचार आया है कि एक करप्शन कोश बनाया जाय। यह सिर्फ विचार ही है, पर इसे मूर्त रूप दिया जाय तो पठनीय सामग्री एकत्र की जा सकती है। इससे हमें कुछ जानकारियों को एक जगह लाने और विश्लेषण करने का मौका मिलेगा। करप्शन कितने प्रकार के हैं। सरकारी और अ-सरकारी करप्शन में क्या भेद है। करप्शन को रोकने के लिए समाज ने क्या किया। प्रतिफल क्या रहा। सामाजिक विकास के साथ करप्शन बढ़ा है या कम हुआ है। इस तरह के सैकड़ों बिन्दु हो सकते है।

हालांकि मैने बात भारतीय संदर्भ में शुरू की है, पर करप्शन तो वैश्विक अवधारणा है। इसका जन्म कहाँ हुआ। भारत में या कहीं और। क्या यह अनिवार्य है। यानी इससे पल्ला छुड़ाया जा सकता है या नहीं। करप्शन कोश की टाइमलाइन क्या हो। यानी 1947 या ईपू पाँच हजार साल। या पाँच अरब साल। क्या आप मेरी मदद करेंगे।

लगे हाथ मैं आपको ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के ताज़ा नतीज़ों से परिचित करादूँ। नीचे एक सूची है जिसमें खास-खास देशों के नाम है। जितना बड़ा नम्बर उतना ज्यादा करप्शन। पर क्या वास्तव में यह सूची ठीक बनी होगी।


1 Denmark, New Zealand, Singapore
15 Germany
17 Japan
17 Japan
19 Qatar
22 United States
28 United Arab Emirates
30 Israel
50 Saudi Arabia
66 Rwanda
67 Italy
78 China
87 India
98 Egypt
105 Kazakhstan
127 Syria
143 Pakistan
146 Iran
154 Russia
175 Iraq
176 Afghanistan
178 Somalia


बहरहाल विचार कीजिए और मेरी मदद कीजिए। कुछ ग्रैफिक भी साथ में रख दिए हैं। यह बताने के लिए कि यह समस्या सर्व-व्यापी है।

4 comments:

  1. और मैं कोड़ालैंड बनाना चाहता हूँ; मुख्यमंत्री पहले ही तय है - मधु कोड़ा. मुझे भी आपकी मदद दरकार होगी.

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  2. ग्रेट आइडिया.
    एक विभाग करप्शन हाऊ टू भी रहे तो नौसिखियों को मदद मिले... - जस्ट जोकिंग. :)
    वैसे, शुरूआत आज की ताजा खबर स्पेक्ट्रम घोटाले के राजा से शुरू की जाए तो कैसा रहे?

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  3. करप्शन कोष बनाने का विचार बढ़िया है। मैं भी इस नौकरी में कुछ हाथ बटा सकता हूं सर। नौकरी के बाद भी इसके लिए २ घंटे का वक्त निकाल सकता हूं। इस कोश के लिए वित्त का संकट भी नहीं आएगा, खासकर अगर हम सरकार और ताकतवर कारोबारियों को बेहतर ढंग से समझा सकें कि इसे कैसे संस्थागत रूप देकर वैध किया जा सकता है। हालांकि यह बहुत कठिन काम है, लेकिन आप नेतृत्व संभाल लीजिए तो कठिन नहीं होगा।
    हालांकि जैसे गुंडागर्दी को संस्थागत रूप दिया गया, मेरा मानना है कि कुछ इसी तरह से इसे भी दिया दी जा सकता है। आज पुलिस की जगह निजी सेनाएं हैं, बड़े कारोबारियों ने मोटी तनख्वाह देकर गार्ड रखे हैं, स्वाभाविक है कि राज्य से लोग सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं और निजी सुरक्षा कर रहे हैं और उनकी दबंगई कायम है।
    कुछ उसी तरह का किया जाना चाहिए, जिससे आम लोग मेहनत से भ्रष्टाचार करने वालों को खराब निगाह से न देखें। साथ ही देश के लाखों युवक इस महती काम में संस्थागत भूमिका निभा सकें और हमारा भारत कम से कम भ्रष्टाचार में अन्य देशों से आगे निकल सके और सबका गुरू साबित हो। आमीन....

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  4. जहाँ तक मै समझता हूँ भारतीय सन्दर्भ में करप्शन की जड़े हमारी लोक -प्रचलित धार्मिक व्यवस्था में अन्तर्निहित हैं.उन्हें दूर किये बगैर इसे भी दूर नहीं क्या जा सकता.
    आधुनिक युग में इसे ईस्ट इण्डिया कं .ने मुगलों को भेंट के रूप में पुख्ता किया था.
    करप्शन करने वाले निजी हित में करते हैं कोष क्यों बनवाने लगे ?

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