कर्नाटक की रैलियों में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस चुनाव के बाद
कांग्रेस ‘पीपीपी (पंजाब,
पुदुच्चेरी और परिवार) पार्टी’ बनकर रह जाएगी। उधर राहुल गांधी ने कहा, हम मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं और राज्य
में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। दो दिन बाद पता चलेगा कि किसकी बात सच है।
बीजेपी के मुकाबले यह चुनाव कांग्रेस के लिए न केवल प्रतिष्ठा का बल्कि जीवन-मरण
का सवाल है। कांग्रेस को अपनी 2013 की जीत को बरकरार रख पाई, तभी साल के अंत में
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में सिर उठाकर खड़ी हो सकेगी।
2014 के लोकसभा चुनाव
के बाद से कांग्रेस के सिर पर पराजय का साया है। बेशक उसने इस बीच पंजाब में जीत
हासिल की है, पर एक दर्जन से ज्यादा राज्यों से हाथ धोया है। सन 2015 में बिहार के
महागठबंधन को चुनाव में मिली सफलता पिछले साल हाथ से जाती रही। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ
गठबंधन के बावजूद पार्टी सात सीटों पर सिमट गई। पिछले साल गुजरात के चुनाव में
पार्टी तैयारी से उतरी थी, पर सफलता नहीं मिली।