Sunday, July 21, 2013

हिन्दी के मीडिया महारथी


शनिवार की रात कनॉट प्लेस के होटल पार्क में समाचार फॉर मीडिया के मीडिया महारथी समारोह में जाने का मौका मिला। एक्सचेंज फॉर मीडिया मूलतः कारोबारी संस्था है और वह मीडिया के बिजनेस पक्ष से जुड़े मसलों पर सामग्री प्रकाशित करती है। हिन्दी के पत्रकारों के बारे में उन्हें सोचने की जरूरत इसलिए हुई होगी, क्योंकि हिन्दी अखबारों का अभी कारोबारी विस्तार हो रहा है। बात को रखने के लिए आदर्शों के रेशमी रूमाल की जरूरत भी होती है, इसलिए इस संस्था के प्रमुख ने वह सब कहा, जो ऐसे मौके पर कहा जाता है। हिन्दी पत्रकारिता को 'समृद्ध' करने में जिन समकालीन पत्रकारों की भूमिका है, इसे लेकर एक राय बनाना आसान नहीं है इसलिए उस पर चर्चा करना व्यर्थ है। पर भूमिका और समृद्ध करना जैसे शब्दों के माने क्या हैं, यही स्पष्ट करने में काफी समय लगेगा। अलबत्ता यह कार्यक्रम दो-तीन कारणों से मनोरंजक लगा। इसमें उस पाखंड का पूरा नजारा था, जिसने मीडिया जगत को लपेट रखा है।

जहर सिस्टम में है, सिर्फ मिड डे मील में नहीं

इस मसले को राजनीतिक दलों ने सबसे पहले अपना मसला बनाया। फिर मीडिया ने इसमें सनसनी का रस घोला। गरीब बच्चों की असहाय तस्वीरें देखने में आईं। फिर देखते ही देखते देशभर के मिड डे मील में साँप, छिपकली और चूहे निकलने लगे। ऐसा लगता है कि मिड डे मील में जहर घोलने की साजिश है। दो दिन की रस्म अदायगी के बाद गाड़ी अगले मामले की ओर बढ़ गई। असल सवाल जस का तस पड़ा है। सरकार गरीब बच्चों को मिड डे मील दे रही है। देश के लगभग 65 फीसदी लोगों को अब भोजन की गारंटी दे रही है। पर बुनियादी सवाल छूट गया है। आखिर बीमारी क्या है? और इलाज क्या है? बीमारी है गरीबी, अज्ञान और कुशासन।

Thursday, July 18, 2013

संज्ञा-शून्य समाज में बार गर्ल्स

पिछले कुछ साल से लोक सभा और विधान सभा चुनावों में एक नया चलन देखने को मिल रहा है. चुनाव सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए नेताओं के भाषण के पहले लड़कियों का नाच कराया जाता है. इन लड़कियों को अब बार गर्ल्स कहा जाने लगा है. पुराने नामों के मुकाबले हालांकि यह शालीन नाम है, पर यह नाच हमारी संस्कृति के पाखंड की परतों में छिपा है. कौन मजबूर करता है इन्हें नाचने के लिए? और फिर कौन उनपर फब्तियाँ कसता है? कौन उन्हें धिक्कारता है और कौन उनपर पाबंदियाँ लगाता है? किसने रोका है उन्हें सम्मानित नागरिक बनने से?

हमें तुम्हारी जरूरत है मंडेला

मन कहता है, तुम जियो हजारों साल. बीसवीं सदी ने दुनिया को जितने महान नेता दिए उतने दूसरी किसी सदी ने नहीं दिए. नेलसन मंडेला उस कद-काठी के आखिरी नेताओं में एक हैं. फिदेल कास्त्रो, अमेरिका के जिमी कार्टर और चीन के जियांग जेमिन उनसे उम्र में छह से आठ साल छोटे हैं और पहचान में भी. नेलसन मंडेला का आज जन्म दिन है. वे आज 95 वर्ष पूरे कर लेंगे (जन्मतिथि 18 जुलाई 1918). उनकी बीमारी को लेकर सारी दुनिया फिक्रमंद है. हमारी कामना है कि वे दीर्घायु हों, शतायु हों. हमें उनके जैसे नेता की आज बेहद जरूरत है। 

नेलसन मंडेला हमें अपने लगते हैं. महात्मा गांधी सत्याग्रह का अपना विचार दक्षिण अफ्रीका से लेकर आए थे। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ चली लड़ाई महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चली थी. नेलसन मंडेला और महात्मा गांधी की मुलाकात कभी नहीं हुई, फिर भी दोनों गहरे दोस्त लगते हैं. अमेरिका की साप्ताहिक टाइम मैग्ज़ीन का 3 जनवरी 2000 का अंक सदी के महान व्यक्तियों पर केन्द्रित था. इसमें महात्मा गाँधी पर लेख नेलसन मंडेला ने लिखा था. उन्होंने लिखा, भारत ने दक्षिण अफ्रीका को जो गाँधी सौंपा वह बैरिस्टर था, जबकि दक्षिण अफ्रीका ने उस गाँधी को महात्मा बनाकर भारत को लौटाया. भारत ने केवल दो गैर-भारतीयों को भारत रत्न दिया है. पहले थे खान अब्दुल गफ्फार खां और दूसरे नेलसन मंडेला.

Sunday, July 14, 2013

इस फजीहत से नहीं रुकेगा आतंकवाद

इसी हफ्ते गृहमंत्री सुशील शिंदे ने बताया कि नेशनल काउंटर टैररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) के गठन का प्रस्ताव पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। उसे देश की राजनीति खा गई। इन दिनों इंटेलीजेंस ब्यूरो और नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी तथा सीबीआई के बीच इशरत जहाँ के मामले को लेकर जवाबी कव्वाली चल रही है। सीबीआई के ऊपर आपराधिक मामलों की जांच की जिम्मेदारी है। और खुफिया एजेंसियों के पास देश के खिलाफ होने वाली आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखने की। दुनिया के किसी देश की खुफिया एजेंसी नियमों और नैतिकताओं का शत-प्रतिशत पालन करने का दावा नहीं कर सकती। इसीलिए खुफिया एजेंसियों के कई प्रकार के खर्चों को सामान्य लेखा परीक्षा के बाहर रखा जाता है। उनकी गोपनीयता को संरक्षण दिया जाता है। बहरहाल इस मामले में अभी बहस चल ही रही थी कि बोधगया में धमाके हो गए। वहाँ तेरह बम लगाए गए थे, जिनमें से दस फट गए। यह सब तब हुआ जब खुफिया विभाग ने पहले से सूचना दे रखी थी कि बोधगया ही नहीं अनेक बौद्ध स्थलों पर हमला होने का खतरा है।