अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ाई भारत यात्रा पर आ रहे हैं। एक अर्से से पाकिस्तान की कोशिश थी कि अफगानिस्तान में भारत की कोई भूमिका न रहे। जो भी हो पाकिस्तान के नज़रिए से हो। ऐसा तभी होगा, जब वहाँ पाक-परस्त निज़ाम होगा। शुरू में अमेरिका भी पाकिस्तान की इस नीति का पक्षधर था। पर हाल के घटनाक्रम में अमेरिका की राय बदली है। इसका असर देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने चीन-कार्ड फेंका है। तुम नहीं तो कोई दूसरा। पर चीन के भी पाकिस्तान में हित जुडें हैं। वह पाकिस्तान का फायदा उठाना चाहता है। वह उसकी उस हद तक मदद भी नहीं कर सकता जिस हद तक अमेरिका ने की है। अफगानिस्तान की सरकार भी पाकिस्तान समर्थक नहीं है। जन संदेश टाइम्स में प्रकाशित मेरा लेख
भारत-पाकिस्तान रिश्तों के लिहाज से पिछले दो हफ्ते की घटनाओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है। अमेरिका-पाकिस्तान, चीन-भारत और अफगानिस्तान इस घटनाक्रम के केन्द्र में हैं। अगले कुछ दिनों में एक ओर भारत-अफगानिस्तान रक्षा सहयोग के समझौते की उम्मीद है वहीं पाकिस्तान और चीन के बीच एक फौजी गठबंधन की खबरें हवा में हैं। दोनों देशों के रिश्तों में चीन एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभर रहा है। जिस तरह भारत ने वियतनाम, सिंगापुर, मलेशिया और जापान के साथ रिश्ते सुधारे हैं उसके जवाब में पाकिस्तान ने भी अपनी ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ घोषित की है।