हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव दो कारणों से महत्वपूर्ण थे। जून में लोकसभा चुनाव-परिणामों के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की राजनीति के प्रति जनता का दृष्टिकोण क्या है और दूसरा यह कि कुल मिलाकर भारतीय राजनीति की दिशा क्या लग रही है। इन दोनों राज्यों के परिणामों में काफी कुछ बातें हैं, जिनसे निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। इन चुनावों का प्राथमिक संदेश यह है कि भाजपा मशीनरी अपने मूल वोट-आधार को बनाए रखने में कामयाब है और कांग्रेस को उन क्षेत्रों में भी भाजपा को हराने के लिए जबर्दस्त मशक्कत करनी होगी, जहाँ उसने पैर जमा लिए हैं। यानी राहुल गांधी और कांग्रेस के पुनरोदय को पक्का मानकर चलना नहीं चाहिए।
इन नतीजों से संगठन पर मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दोनों का नियंत्रण बढ़ेगा। दोनों राज्यों के लिए प्रमुख प्रत्याशियों को दोनों ने ही चुना है। भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी के हर फैसले पर दोनों की ही मुहर रहेगी, जिसमें नए पार्टी अध्यक्ष का चयन भी शामिल है। इससे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए भी सकारात्मक संदेश जाएगा, जिनकी जगह नए पार्टी अध्यक्ष को आना है। भाजपा इस वक्त महाराष्ट्र और झारखंड में सीटों के बँटवारे के लिए अपने सहयोगियों के साथ बातचीत कर रही है। इस जीत से उसका हौसला बढ़ेगा।