Wednesday, October 20, 2021

अफगान महिला खिलाड़ी का सिर कलम

घेरे में अफ़ग़ान महिला खिलाड़ी माहज़बीं

खबर है कि तालिबान हुक्मरां के आदेश से अफगानिस्तान की जूनियर महिला वॉलीबॉल टीम की खिलाड़ी माहज़बीं हकीमी का सिर कलम कर दिया गया है। यह खबर टीम के कोच को उधृत करते हुए इंडिपेंडेंट अखबार के फारसी संस्करण ने दी है। यह काम इसी महीने कुछ समय पहले हुआ है। महाज़बीं हकीमी अपने देश की जूनियर वॉलीबॉल टीम की ओर से खेल चुकी हैं। टीम के कोच के अनुसार यह खबर दुनिया तक इसलिए नहीं पहुँची, क्योंकि हत्या करने वालों ने उनके परिवार के सदस्यों को धमकी दी थी कि इसके बारे में कोई बात कही तो उनके लिए खराब होगा। अशरफ ग़नी प्रशासन के पतन के पहले तक महाज़बीं काबुल म्युनिसिपैलिटी वॉलीबॉल क्लब की ओर से खेलती थीं।

कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर उनके कटे हुए सिर की फोटो वायरल हुई थी। अब टीम के कोच ने, जिनके नाम को छिपाया गया है, कहा कि हत्या माहज़बीं की हुई थी। वैबसाइट ने कोच का नाम सुरैया अफ़ज़ली लिखा है, साथ ही यह भी लिखा है कि यह असली नाम नहीं है। कोच ने यह भी बताया कि टीम की केवल दो सदस्य ही देश से बाहर जा पाईं थीं। महाज़बीं उन अभागी खिलाड़ियों में शामिल थीं, जो देश में ही रह गईं।

प्रशासन पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने देश की महिला खिलाड़ियों की तलाश शुरू कर दी है। उन्होंने खासतौर से वॉलीबॉल टीम की खिलाड़ियों की तलाश की, जो देश के बाहर जाकर खेल चुकी हैं और मीडिया के कार्यक्रमों में भी शामिल हुई हैं। कोच के अनुसार देश में महिला खिलाड़ियों की दशा खराब है। या तो वे देश छोड़कर भाग रही हैं या छिप रही हैं।

अफगानिस्तान की राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम 1978 में बनी थी। देश में लड़कियों के सशक्तीकरण में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अफगान खिलाड़ियों की सहायता के लिए पर्याप्त वैश्विक समर्थन तैयार नहीं हो पाया है। पिछले सप्ताह फुटबॉल के अंतरराष्ट्रीय संगठन फीफा और कतर सरकार ने करीब 100 महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को देश से बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की है। इनमें राष्ट्रीय टीम की खिलाड़ी और उनके परिवारजन शामिल हैं। देश में महिला खेल पूरी तरह बन्द हैं। माध्यमिक विद्यालयों तक में लड़कियों की शिक्षा बन्द है।

 

 

क्या उत्तर प्रदेश के वोटर को पसंद आएगी प्रियंका गांधी की ‘नई राजनीति’?

उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी कुछ अलग नजर आने और चुनाव के मुद्दों को विस्तार देने के इरादे से उतर रही है। पार्टी ने मंगलवार को घोषणा की कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव पार्टी के 40 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवारों को दिए जाएंगे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस बात की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि पार्टी टिकट पाने के आवेदन के लिए तारीख 15 नवम्बर तक बढ़ा दी गई है। इस चुनाव में पार्टी का नारा है ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं।’

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन वापस लेने की शिद्दत से तलाश है। सन 2017 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 7 सीटें ही जीत पाई थी और राज्य में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की पूरी कोशिश कर रही है। वह भी तब, जब उत्तर प्रदेश के चुनाव में ‘जाति’ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कांग्रेस यह कदम उठा कर महिला मतदाताओं को अपने पाले में करने का प्रयास कर रही है। उसके पहले 2012 के चुनाव में पार्टी को बहुत उम्मीदें थीं। तब राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा किया गया था।

सन 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की सफलता से प्रेरित कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सफलता की आशा थी। उस वक्त समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के भीतर राज्य के वोटर को नई ऊर्जा दिखाई पड़ी थी। कांग्रेस को लगता था कि 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के कारण सफलता मिली है। वस्तुतः कांग्रेस की सफलता के पीछे उसे प्राप्त हमदर्दी थी, जो वाममोर्चा के हाथ खींचने के कारण पैदा हुई थी।

प्रियंका गांधी मानती हैं कि महिलाएं नफरत की राजनीति का विकल्प प्रदान करेंगी। महिलाओं को राजनीति का केन्द्रीय विषय बनाने का विचार अपने आप में रोचक और प्रभावशाली है। लोकसभा के पिछले दो चुनावों से यह बात साबित हुई है कि देश में महिला वोटर निर्णायक भूमिका निभाती हैं। बावजूद इसके सवाल है कि कांग्रेस पार्टी के पास क्या यूपी में दो सौ के आसपास ऐसी महिला प्रत्याशी हैं, जो मजबूती के साथ उतर सकें। यदि हैं भी, तो क्या वे पुराने कांग्रेसी नेताओं के परिवारों से आएंगी या अपनी सामर्थ्य पर राजनीति में उतरी महिलाएं होंगी?

अमरिंदर सिंह नई पार्टी बनाएंगे


जिस बात की उम्मीद काफी दिन से थी, वह मूर्त रूप लेती दिखाई पड़ रही है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी बनाने जा रहे हैं। हालांकि पार्टी का नाम, ध्वज और चिह्न अभी सामने नहीं आए हैं, पर इरादे साफ हैं। वे कांग्रेस छोड़ेंगे और नई पार्टी बनाएंगे। मंगलवार की शाम उन्होंने घोषणा की कि मैं नई पार्टी बनाऊँगा और सम्भवतः अकाली दल के एक धड़े और बीजेपी के साथ गठबंधन भी करूँगा। इस गठजोड़ में शिरोमणि अकाली दल (बादल) से अलग हो चुके सुखदेव सिंह ढींढसा और रणजीत ब्रह्मपुरा के गुट को भी जोड़ेंगे।

कैप्टेन का कहना है कि बीजेपी के साथ गठबंधन के पहले किसान आंदोलन का सही समाधान निकलना जरूरी है। किसान आंदोलन का समाधान उनके हित में हो जाता है तो पंजाब में भाजपा के साथ समझौते को लेकर भी वे विचार करेंगे। मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी। तब लग रहा था कि शायद वे भाजपा में शामिल होंगे। अमरिंदर के बयान पर नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी नेता और पंजाब के मंत्री परगट सिंह ने कहा कि मैं पहले से कहता रहा था कि उनकी बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के साथ साठगाँठ है। यह बात अब खुलकर सामने आ रही है।

किसान आंदोलन

अमरिंदर ने एक इंटरव्यू में संकेत दिए हैं कि दिल्ली में सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहा किसान आंदोलन जल्दी ही एक प्रस्ताव की तरफ आगे बढ़ सकता है। इसमें केन्द्र सरकार किसानों से बात करेगी। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानूनों का मसला हल होने के बाद ही हम बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगे। किसान आंदोलन से पहले पंजाब में मोदी सरकार का कोई विरोध नहीं था। उन्होंने खुलासा किया कि किसान आंदोलन खत्म करवाने के लिए भी कोशिशें चल रही हैं।

अमरिंदर ने कहा कि उनका फोकस 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर पंजाब में सरकार बनाने पर रहेगा। भाजपा से किसी तरह के वैचारिक दिक्कत के मामले में अमरिंदर सिंह ने कहा कि मैं पंजाब के साथ खड़ा हूँ और मेरे लिए पंजाब का हित सबसे ऊपर हैं। साथ ही यह भी कहा कि बीजेपी सांप्रदायिक पार्टी नहीं है। उन्होंने भाजपा के एंटी मुस्लिम होने को भी गलत करार दिया।

Tuesday, October 19, 2021

कश्मीर में आतंकियों की नई रणनीति का उद्देश्य है हालात को सामान्य बनने से रोकना

 


जम्मू-कश्मीर में अक्तूबर के महीने में आतंकी घटनाओं ने रफ्तार पकड़ ली है। इस माह के पहले 18 दिनों में आतंकियों की तरफ से काफी नुकसान किया गया है। अभी तक इस माह में आतंकियों की तरफ से 12 नागरिकों की हत्या की गई है, जिसमें बाहर के नागरिक भी शामिल हैं। इसके अलावा नौ जवान मुठभेड़ों में शहीद हुए हैं। इनके अलावा कुल 13 मुठभेड़ों में 14 आतंकियों को मार गिराया गया है। इन आतंकी घटनाओं को देखते हुए पूरे प्रदेश में सुरक्षा को कड़ा किया गया है। जाँच एजेंसियाँ इस बात की पड़ताल भी कर रही हैं कि पाकिस्तानी आईएसआई क्या इस्लामिक स्टेट खुरासान की आड़ में अपनी गतिविधियों को बढ़ाने का प्रयास तो नहीं कर रही है। आईएसकेपी की पत्रिका में एक गोलगप्पे वाले को गोली मारने की तस्वीर प्रकाशित की गई है। हाल में राज्य में बाहर से आए लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। प्रशासन ने एहतियातन कश्मीर के कुछ इलाकों में इंटरनेट पर फिर से रोक लगा दी है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की नई रणनीति का उद्देश्य राज्य में सामान्य होते हालात की प्रतिक्रिया और फिर से अशांति और अराजकता की स्थिति पैदा करने की कोशिश है। राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को तेज करने और कई श्रेणियों के नागरिकों को राज्य का स्थायी निवासी घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। इससे न केवल उन्हें, बल्कि राज्य के लोगों को रोजगार हासिल करने में आसानी होगी। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी एनआईए का कहना है कि आतंकवादी इसे विफल करना चाहते हैं।  

आतंकवादियों के इस इरादे की जानकारी एक ब्लॉग पोस्ट से मिली है, जिसे अब ब्लॉक कर दिया गया है। इस पोस्ट में बताया गया था कि जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने और राज्य के विभाजन के बाद आतंकवादियों क्या करेंगे। इस ब्लॉग पोस्ट को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेशों के बाद ब्लॉक कर दिया गया है।

Monday, October 18, 2021

सावधान! महामारी का सबसे नाज़ुक दौर है अब


कोविड-19 को लेकर दो तरह के परिदृश्य हमारे सामने हैं। दूसरी लहर के भयानक हाहाकार के बाद कम से कम भारत में स्थितियाँ सुधरती हुई लग रही हैं। देश के काफी राज्यों में जन-जीवन अपेक्षाकृत सामान्य हो चला है, स्कूल-कॉलेज खुलने लगे हैं, सरकारी दफ्तरों में काम होने लगा है, बाजार, मॉल और सिनेमाघर तक खुलने लगे हैं। पर तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। महामारी कहीं गई नहीं है, वह अभी हमारे बीच है। उसके कई वेरिएंट विचरण कर रहे हैं।  पिछले दो साल में यह सबसे नाज़ुक मौका है। अब हम उसे दबोच सकते हैं और बीमारी भी हमें दबोच सकती है। खासतौर से भारत में इस वक्त सबसे ज्यादा सजग रहने की जरूरत है।

48 लाख से ज्यादा मौतें

दुनिया भर में कुल केस इस हफ्ते 23 करोड़ 90 लाख के आसपास पहुँच चुके हैं। एक करोड़ 80 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं, जिनमें से करीब 83 हजार गम्भीर स्थिति में हैं। 48 लाख 70 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। भारत में कुल मामले तीन करोड़ 40 लाख के आसपास हैं और कुल मौतें साढ़े चार लाख से ज्यादा हो चुकी हैं। 12 अक्तूबर की सुबह तक देश में कुल 3 करोड़, 39 लाख, 84 हजार से ज्यादा केस हो चुके हैं। इनमें एक्टिव मरीजों की संख्या 2,07,937 थी।

दुनिया में भारत दूसरे नम्बर पर है। सिर्फ अमेरिका में ही भारत से ज्यादा मामले हैं। वहां कोरोना संक्रमणों की संख्या चार करोड़ से ऊपर है मौतों की संख्या सात लाख से ऊपर। ब्राजील में दो करोड़ के ऊपर केस हुए हैं और इससे हुई मौतों की संख्या 6 लाख से ज्यादा है। इन तीनों देशों में दुनिया के आधे से ज्यादा कोरोना मरीज हैं। यूके में 79 लाख, रूस में 75 लाख, तुर्की में 72 और फ्रांस में 70 लाख मामले सामने आए हैं। यह लम्बी सूची है।

भारत में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है, जहाँ कुल मामले 65 लाख से ज्यादा हैं। वहाँ पूरे देश की एक चौथाई यानी एक लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। केरल में 48 लाख से ज्यादा, कर्नाटक में 29, तमिलनाडु में 26 लाख, आन्ध्र प्रदेश में 20 लाख, उत्तर प्रदेश में 17 लाख, पश्चिम बंगाल 15 लाख और दिल्ली में 14 लाख से ऊपर मामले आ चुके हैं।

त्योहारों का मौका

भारत और खासतौर से उत्तर भारत में, यह सबसे नाज़ुक समय है। लड़कों पर भीड़ बढ़ गई है। त्योहारों के कारण अब जनवरी के पहले हफ्ते तक हमें खासतौर से सावधान रहने की जरूरत है। इस दौरान कई लम्बे वीकेंड आएंगे। कई दिन की छुट्टियाँ पड़ेंगी। पिछले दो साल से लोग अपने घरों में कैद हैं। ऐसे में लोग घूमने के लिए निकल पड़ते हैं। इस साल भी संयम बरतें। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक या धार्मिक सभाओं के कारण जनसंख्या के घनत्व में अचानक वृद्धि से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ सकते है।