कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी को इस साल के अंत तक दो साल पूरे हो जाएंगे, पर लगता नहीं कि इससे हमें छुटकारा मिलेगा। अभी तो तीसरी और चौथी लहरों की बात हो रही है। वैज्ञानिकों की मोटी राय है कि यह रोग सबको करीब से छू लेगा, तभी जाएगा। छूने का मतलब यह नहीं है कि सबको होगा। इसका मतलब है कि या तो वैक्सीनेशन से या संक्रमण से प्राप्त इम्यूनिटी ही सामान्य व्यक्ति को इस रोग का मुकाबला करने लायक बनाएगी। कुछ लोगों को दूसरी बार संक्रमण भी होगा। वैक्सीन लगने के बाद भी होगा। वायरस नहीं मिटेगा, पर उसका असर काफी कम हो जाएगा। हमारे शरीरों का प्राकृतिक प्रतिरक्षण बढ़ जाएगा।
डब्ल्यूएचओ के यूरोप मामलों के प्रमुख हैंस
क्लूग ने महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों के परिणामों पर निराशा जाहिर की
है। उनका मानना है कि वायरस का कोई तत्काल इलाज नहीं है, क्योंकि वायरस के नए वेरिएंट हर्ड इम्युनिटी को हासिल करने की
उम्मीदों को धराशायी कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक ने मई में कहा
था कि जब टीकाकरण 70 प्रतिशत तक पूरा हो जाएगा तो ज्यादातर देशों में कोरोना वायरस
महामारी खत्म हो जाएगी। ऐसा नहीं हुआ है और एक नई लहर का खतरा खड़ा है।
सहारा टीके का
विशेषज्ञ मानते हैं कि दुनिया की 90-95 फीसदी आबादी को टीका लग जाए, तो इसे रोका जा सकता है। ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार करीब छह अरब डोज़ दुनिया भर में लगाई जा चुकी हैं। अमेरिका में 64, ईयू 67, ब्रिटेन 73, जर्मनी 67, फ्रांस 77, इटली 73, यूएई 84, दक्षिण कोरिया 71, रूस 32, जापान 66 और भारत में करीब 44 फीसदी आबादी को कम से कम एक टीका लग गया है। अब दूसरी तरफ देखें। म्यांमार 9.4, बांग्लादेश 13.5, वियतनाम 28.6, इराक 10.7, अफगानिस्तान 2.6, सूडान 1.5, यमन 1.0, केमरून 1.5। बहुत से देशों में टीकाकरण शुरू ही नहीं हुआ है।