कश्मीर में पहले परिसीमन, फिर चुनाव और पूर्ण राज्य का दर्जा। सरकार ने अपना रोडमैप स्पष्ट कर दिया है। संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के बाद मार्च 2020 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग को रिपोर्ट सौंपने के लिए एक साल का समय दिया गया था, जिसे इस साल मार्च में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
पिछले साल स्वतंत्रता
दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी
होने के बाद चुनाव होंगे। 6 मार्च, 2020 को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त
न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में आयोग का गठन किया। जस्टिस
देसाई के अलावा चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर राज्य के चुनाव आयुक्त
केके शर्मा आयोग के सदस्य हैं। इसके अलावा आयोग के पाँच सहायक सदस्य भी हैं, जिनके
नाम हैं नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन
मसूदी। ये तीनों अभी तक आयोग की बैठकों में शामिल होने से इनकार करते रहे हैं। अब
आशा है कि ये शामिल होंगे। इनके अलावा पीएमओ के राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह और भाजपा
के जुगल किशोर शर्मा के नाम हैं।
इस आयोग को एक साल के भीतर अपना काम पूरा करना था, जो इस साल मार्च में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। कोरोना के कारण आयोग निर्धारित समयावधि में अपना काम पूरा नहीं कर पाया। यदि लद्दाख की चार सीटों को अलग कर दें, तो पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र की सीटों को मिलाकर इस समय की कुल संख्या 107 बनती है, जो जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत 111 हो जाएगी। बढ़ी हुई सीटों का लाभ जम्मू क्षेत्र को मिलेगा।