कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का कहना है कि कांग्रेस की वापसी अगले साल होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव से होगी। उनका यह भी कहना है कि देश की जनता राहुल गांधी को अपने नेता के रूप में स्वीकार करती है। सिद्धरमैया का यह बयान आम राजनेता का बयान है, पर इसके दो महत्वपूर्ण तथ्यों का सच समय पर ही सामने आएगा। पहला, कि क्या कांग्रेस की वापसी होगी? और दूसरा, क्या राहुल गांधी पूरे देश का नेतृत्व करेंगे, यानी प्रधानमंत्री बनेंगे?
राहुल गांधी ने अमेरिका के बर्कले विश्वविद्यालय में जो बातें कहीं हैं, उन्हें कई नजरियों से देखा जाएगा। राष्ट्रीय राजनीति की प्रवृत्तियों, संस्कृति-समाज और मोदी सरकार वगैरह के परिप्रेक्ष्य में। पर कांग्रेस की समग्र रीति-नीति को अलग से देखने की जरूरत है। राहुल ने बर्कले में दो बातें ऐसी कहीं हैं, जिनसे उनकी व्यक्तिगत योजना और पार्टी के भविष्य के कार्यक्रम पर रोशनी पड़ती है। उन्होंने कहा, मैं 2019 के आम चुनावों में पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ।
असमंजस के 13 साल
पहली बार राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से ऐसी बात कही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मेरी तरफ से इसे सार्वजनिक करना उचित नहीं है, क्योंकि पहले पार्टी को इसे मंजूर करना है। राहुल ने कश्मीर के संदर्भ में एक और बात कही, जिसका वास्ता उनकी राजनीतिक-प्रशासनिक दृष्टि से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि मैंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम और जयराम रमेश के साथ मिलकर नौ साल तक जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापना पर काम किया। यानी सन 2004 से प्रशासन में वे सक्रिय थे।
राहुल गांधी ने अमेरिका के बर्कले विश्वविद्यालय में जो बातें कहीं हैं, उन्हें कई नजरियों से देखा जाएगा। राष्ट्रीय राजनीति की प्रवृत्तियों, संस्कृति-समाज और मोदी सरकार वगैरह के परिप्रेक्ष्य में। पर कांग्रेस की समग्र रीति-नीति को अलग से देखने की जरूरत है। राहुल ने बर्कले में दो बातें ऐसी कहीं हैं, जिनसे उनकी व्यक्तिगत योजना और पार्टी के भविष्य के कार्यक्रम पर रोशनी पड़ती है। उन्होंने कहा, मैं 2019 के आम चुनावों में पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ।
असमंजस के 13 साल
पहली बार राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से ऐसी बात कही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मेरी तरफ से इसे सार्वजनिक करना उचित नहीं है, क्योंकि पहले पार्टी को इसे मंजूर करना है। राहुल ने कश्मीर के संदर्भ में एक और बात कही, जिसका वास्ता उनकी राजनीतिक-प्रशासनिक दृष्टि से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि मैंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम और जयराम रमेश के साथ मिलकर नौ साल तक जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापना पर काम किया। यानी सन 2004 से प्रशासन में वे सक्रिय थे।