प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ताजा 'मन की बात' में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा है कि देश
की जनता को अस्वच्छता, गरीबी, आतंकवाद, जातिवाद और
संप्रदायवाद को खत्म करने की शपथ लेनी चाहिए. यह बड़े मौके की बात है. उस आंदोलन को हम आज
के हालात से जोड़ सकते हैं. हालांकि वह आंदोलन संगठित तरीके से नहीं चला, पर सन
1857 के बाद आजादी हासिल करने की सबसे जबर्दस्त कोशिश थी.
अगस्त क्रांति वास्तव में वह जनता के संकल्प का आंदोलन
था, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व सलाखों के पीछे चला गया था और जनता आगे आ
गई थी. जिस तरह पिछले साल सरकार ने नोटबंदी के परिणामों पर ज्यादा विचार किए बगैर
फैसला किया था, तकरीबन वैसा ही सन 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का फैसला था. उस आंदोलन ने देश को
फौरन आजाद नहीं कराया, पर विदेशी शासन की बुनियाद हिलाकर रख दी.