पत्रकारों को जेल
भेजने की धमकी इतने मुखर रूप में इससे पहले शायद किसी ने नहीं दी होगी। इसके पीछे
दुर्भावना से ज्यादा नासमझी नजर आती है। अरविंद केजरीवाल या उनकी टोली जिस
राजनीतिक राह पर चल रही है, उसकी सदाशयता की परीक्षा समय पर होगी, पर उसके पीछे
बचकानापन है यह बात साफ दिखाई पड़ रही है। इस नासमझी के कारण वे अपनी राजनीतिक
जमीन को हार भी सकते हैं, जो ठीक नहीं होगा। उन्हें पहली बात यह समझनी चाहिए कि वे
राष्ट्रीय क्षितिज पर दो कारणों से उभरे हैं। पहला व्यवस्था की बेरुखी से जनता
नाराज़ है और उसे वैकल्पिक शक्तियों की तलाश है। दूसरे, आम आदमी पार्टी खुद को
विकल्प के रूप में पेश कर रही है और जनता पहली नज़र में उस पर भरोसा करती है। यह
भरोसा टूटना नहीं चाहिए। पूरे मीडिया पर बिका होने का आरोप राजनीतिक है। और उस
आरोप को वापस लेना राजनीति है।
Sunday, March 16, 2014
Saturday, March 15, 2014
जातीय-राजनीति को गढ़ने के साथ उसे पढ़ें भी
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी जातीय आरक्षण पर
विचार करने की बात कहकर एक नई बहस को जन्म देने की कोशिश की थी। चूंकि कांग्रेस ने
द्विवेदी के बयान को सिरे से खारिज कर
दिया इसलिए बात आई-गई हो गई। लेकिन जातीय आरक्षण का सवाल देश की राजनीति से अलग
नहीं हो पाएगा। हजारों साल का सामाजिक अन्याय सबसे प्रमुख कारण है। पर उससे बड़ा
कारण है राजनीतिक यथार्थ। चुनाव के ठीक पहले जाटों को पिछड़ी जातियों की केंद्रीय
सूची में शामिल करने का फैसला शुद्ध रूप से राजनीतिक है। इसका असर उत्तर भारत के
उन राज्यों पर पड़ेगा जहाँ जाट आबादी की महत्वपूर्ण भूमिका है। इन राज्यों में तकरीबन
नौ करोड़ जाट रहते हैं। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से जाट आबादी का रुझान भारतीय जनता
पार्टी की ओरहुआ है। उसे रोकने की यह कोशिश है। जाट समुदाय की गिनती बड़े या मध्यम
दर्जे के संपन्न किसानों के रूप में होती है। उनके वोट तकरीबन 100 लोकसभा सीटों पर
बड़े स्तर पर या आंशिक रूप से असर डाल सकते हैं। और यह बात सबसे महत्वपूर्ण है। हालांकि
उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह बात है कि इस फैसले को लागू करने में अभी काफी कानूनी
अड़चनें हैं। क्या जाट समुदाय इस बात को नहीं समझता है?
Tuesday, March 11, 2014
रक्षा-विमर्श गम्भीर हो, सनसनीखेज़ नहीं
पिछले शुक्रवार और शनिवार
को नौसेना के दो उत्पादन केंद्रों में दो बड़ी दुर्घटनाएं होने के बाद मीडिया में अचानक
उफान आ गया. अभी तक कहा जा रहा था कि हमारे उपकरण पुराने पड़ चुके हैं. उन्हें समय
से बदला नहीं गया है. इस कारण दुर्घटनाएं हो रहीं हैं. सबसे ताज़ा दुर्घटनाएं दो
प्रतिष्ठित उत्पादन केंद्रों से जुड़ी हैं. परमाणु पनडुब्बी अरिहंत और कोलकाता
वर्ग के विध्वंसक पोत सबसे आधुनिक तकनीक से लैस हैं. हालांकि दुर्घटना का कारण
जहाज निर्माण केंद्र के रखरखाव से जुड़ा है, पर सवाल पूरी रक्षा-व्यवस्था को लेकर
है. उससे पहले सवाल यह है कि हमारा मीडिया और सामान्य-जन रक्षा तंत्र से कितने
वाकिफ हैं? क्या कारण है कि हमने इस
तरफ तभी ध्यान दिया, जब दुर्घटनाएं हुईं? पिछले महीने
संसद ने दो लाख चौबीस हजार करोड़ का अंतरिम रक्षा-बजट पास किया. बेशक यह अंतरिम
बजट था, पर वह देश के आय-व्यय का लेखा-जोखा था. यह बगैर किसी गम्भीर विचार-विमर्श
के पास हो गया. राजनीतिक में भी खोट है.
Sunday, March 9, 2014
असली तीसरा मोर्चा है ममता, जया और माया का ‘मजमा’
ममता बनर्जी ने पिछले
महीने कहीं कहा था कि राजनीति में फिलहाल ‘पोस्ट पेड’ का ज़माना है ‘प्री पेड’ का नहीं। लोकसभा के इस चुनाव को लेकर यह बात काफी हद तक
सही लगती है। फिर भी पिछले महीने 25 फरवरी को प्रकाश करात ने अपनी ‘प्री पेड’ स्कीम की घोषणा
करते हुए तीसरा मोर्चा बनाया, तभी समझ में आ गया था कि इसमें लोचा है। बताया गया
कि 11 दल इस मोर्चे में शामिल हैं। सपा सुप्रीमो मुलायम बोले कि इन पार्टियों की
संख्या 15 तक हो जाएगी। शरद यादव के शब्दों में यह तीसरा नहीं पहला मोर्चा है। जिस
वक्त यह घोषणा की गई उस वक्त प्रकाश करात, मुलायम सिंह यादव, शरद यादव,नीतीश कुमार, एबी बर्धन और एचडी देवेगौड़ा
मौजूद थे। करात ने बताया कि कुछ जरूरी वजहों से असम गण परिषद और बीजेडी के अध्यक्ष
इस बैठक में शामिल नहीं हो सके,
लेकिन वे तीसरे मोर्चे के
साथ हैं। जयललिता भी इस बैठक में नहीं थीं।
Sunday, March 2, 2014
‘नो उल्लू बनाविंग’ यानी ‘जनता जागिंग’
यानी इन दिनों एक विज्ञापन लोकप्रिय हो रहा है जिसकी एक
लाइन है, ‘चुनावों में चूना
लगाविंग, नो उल्लू बनाविंग-नो उल्लू बनाविंग।’ यह बदलते वक्त
का गीत है। अन्ना द्रमुक की महासचिव और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने पिछले
मंगलवार को आम चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी किया। इसमें जनता को मुफ्त
लैपटॉप, मिक्सर
ग्राइंडर,
पंखे, बकरियाँ, भेड़ें और गाय देने का वादा किया। छात्रों को मुफ्त
साइकिलें और किताबें देने के अलावा बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट खुलवाने का वादा भी
किया गया है। गरीब लड़कियों को विवाह के उपहार के रूप में सौर बिजली से युक्त घर
और चार ग्राम सोना देने का आश्वासन भी है। घोषणापत्र में आर्थिक, राजनीतिक और
विदेश नीति से जुड़ी बातें भी हैं, पर सबसे रोचक हैं मुफ्त की चीजें।
कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी ने कुछ सीटों पर निचले
लेवल के कार्यकर्ताओं से परामर्श के आधार पर टिकट देने का फैसला किया है। टिकट
वितरण की इस व्यवस्था को अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी तय करने की व्यवस्था
के आधार पर प्राइमरीज कहा गया है। इसी व्यवस्था के तहत हाल में दिल्ली प्रदेश के
दफ्तर में सिर-फुटौवल की नौबत आ गई। दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर जनमत संग्रह
करने वाली आम आदमी पार्टी के भीतर कई जगह बगावत की स्थिति है। कारण यह है कि
पार्टी ने तमाम लोगों से प्रार्थना पत्र माँगे और उनपर विचार करने के पहले ही उन
जगहों से प्रत्याशी भी घोषित कर दिए। टिकट पाने की सिर-फुटौवल तकरीबन हर पार्टी
में है।
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