विसंगति है कि हम गांधी जयंती के दिन ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की बात कर रहे हैं। पर यह सवाल आज ही पूछा जा सकता
है कि क्या शांति-स्थापना का रास्ता युद्ध से होकर नहीं जाता है? खासतौर से तब जब कोई हथियार लेकर
सिर पर खड़ा हो? गुरुवार 28-29 सितम्बर की रात भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके आतंकवादियों
के सात लांच पैड पर हमले किए थे। यह प्रिवेंटिव कार्रवाई थी। हमले को रोकने की
पेशबंदी।
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Sunday, October 2, 2016
Sunday, September 25, 2016
स्टूडियो उन्माद से हासिल कुछ नहीं होगा
पाकिस्तानी कार्टून |
मीडिया का सबसे पसंदीदा विषय भारत-पाक तनाव है। जम्मू-कश्मीर के उड़ी इलाके में
फौजी कैम्प पर हुए आतंकवादी हमले की खबर आई नहीं कि दिनभर चैनलों पर तय होने लगा
कि भारत को करना क्या चाहिए। डिप्लोमैटिक दबाव डालें या फौजी हमला करें?
सिंधु संधि को रद्द कर दें? नदियों का रुख बदल दें? एक पूर्व जनरल ने सलाह
दी कि अपने फिदायीन दस्ते बनाएं। कुछ मीडिया नरेशों का सुझाव था कि जैसे म्यांमार
में नगा विद्रोहियों पर धावा बोला गया था वैसे ही लश्करे तैयबा के कैम्पों पर हमला
करना चाहिए।
Sunday, September 18, 2016
सवाल तो अब खड़े होंगे
देश के सबसे बड़े समाजवादी परिवार की कलह फिलहाल दबा
दी गई है, पर अपने पीछे कुछ सवाल छोड़ गई है। अखिलेश और शिवपाल यादव ने इस विवाद
को सार्वजनिक रूप से और ज्यादा न बढ़ाने का फैसला करके कलह पर पर्दा डाल दिया है,
पर किसी न किसी सतह पर विवाद कायम रहेगा। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश की महत्वाकांक्षा की आलोचना की है। उन्होंने शिवपाल को मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित करने के साथ-साथ पार्टी का अध्यक्ष पद भी सौंपा है। पर एक इंटरव्यू में यह भी कहा है कि रामगोपाल यादव पार्टी में नम्बर 2 हैं। बहरहाल सपा के भीतर जो सवाल उठ रहे हैं वे केवल
समाजवादी पार्टी ही नहीं उन सभी पार्टियों के भीतर उठेंगे, जो व्यक्ति केन्द्रित
हैं। देश के ज्यादातर दल इस रोग के शिकार हैं।
Sunday, September 11, 2016
‘उड़न-खटोले’ पर कांग्रेस
खटिया खड़ी करना मुहावरा है। कांग्रेस पार्टी ने खटिया पे
चर्चा शुरू करके राजनीति में अपनी वापसी की कोशिशें शुरू की हैं। राहुल गांधी अपने
जीवन की सबसे लम्बी यात्रा पर निकले हैं। पार्टी के लिए यह दौर बेहद महत्वपूर्ण
है। उसे एक तरफ संगठनात्मक पुनर्गठन के काम को पूरा करना है और दूसरी ओर राष्ट्रीय
राजनीति में अपनी मौजूदगी को लगातार बनाए रखना है। कांग्रेस फिलहाल राष्ट्रीय
पहचान के लिए संघर्ष कर रही है। पर क्षेत्रीय आधार के बगैर वह अपनी राष्ट्रीय
पहचान किस तरह बचाएगी?
Sunday, August 28, 2016
कश्मीरी अराजकता पर काबू जरूरी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 22 सांसदों को अपने देश का दूत बनाकर दुनिया के देशों में भेजने का फैसला किया है जो कश्मीर के मामले में पाकिस्तान का पक्ष रखेंगे। हालांकि चीन को छोड़कर दुनिया में ऐसे देश कम बचे हैं जिन्हें पाकिस्तान पर विश्वास हो, पर मानवाधिकार के सवालों पर दुनिया के अनेक देश ऐसे हैं, जो इस प्रचार से प्रभावित हो सकते हैं। पिछले एक साल से कश्मीर में कुछ न कुछ हो रहा है। हमारी सरकार ने बहुत सी बातों की अनदेखी है। कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी सरकार को इस बीच जो भी मौका मिला उसका फायदा उठाने के बजाए दोनों पार्टियाँ आपसी विवादों में उलझी रहीं।
जरूरत इस बात की है कश्मीर की अराजकता को जल्द से जल्द काबू में किया जाए। इसके लिए कश्मीरी आंदोलन से जुड़े नेताओं से संवाद की जरूरत भी होगी। यह संवाद अनौपचारिक रूप से ही होगा। सन 2002 में ही स्पष्ट हो गया था कि हुर्रियत के सभी पक्ष एक जैसा नहीं सोचते। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी ने इस पक्ष की उपेक्षा करके गलती की है, जबकि इन दोनों की पहल से ही अब तक का सबसे गम्भीर संवाद कश्मीर में हुआ था।
Sunday, August 14, 2016
सवाल उतने नहीं हैं, जवाब जितने हैं
आज़ादी के 69 साल
बहुत कड़ा है सफर, साथ चलो
जिस समय देश 70 वाँ स्वतंत्रता
दिवस मना रहा है, उस समय दिल्ली पर कुछ नापाक इरादों की नजरें गड़ी हैं। हवा में
अंदेशा तैर रहा है कि संदिग्ध आतंकी दिल्ली पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्स को
निशाना बना सकते हैं। हमारे स्वतंत्रता दिवस पर कुछ लोग ‘काला दिन’ मना रहे हैं। उन्हें हमारी ‘आज़ादी’ से शिकायत है। हमारे
संविधान से नाराजगी है। वे भी ‘आज़ादी’ की माँग कर रहे हैं।
यह ‘आज़ादी’ हमारे खिलाफ है। क्या अन्याय कर
दिया हमने उनके साथ? यह बुनियादी मान्यताओं के बीच टकराव है। क्या हम जानते हैं कि हमारी बुनियादी
मान्यताएं क्या हैं? और क्या हम उनके
प्रतिबद्ध है?
Sunday, August 7, 2016
दिल्ली को लेकर इतना हंगामा क्यों है?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार जिस मुद्दे को अपनी राजनीति का केन्द्रीय विषय बनाकर
चल रही है उसे तार्किक परिणति तक पहुँचने में अभी कुछ देर है। केन्द्र के साथ उसका
टकराव अभी खत्म होने वाला नहीं है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिली
तो उनकी राजनीति कुछ कमजोर जरूर पड़ेगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ‘आप’ नेता आशुतोष ने एक
वैबसाइट पर लिखा है, ‘हाईकोर्ट के फैसले ने
दिल्ली के नागरिकों की उम्मीदों को तोड़ा है, जिन्होंने आम आदमी पार्टी को 70 में
से 67 सीटें दीं।...यानी जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री का कोई मतलब नहीं है।...हम
दिल्ली में चुनाव कराते ही क्यों हैं? यदि सारी पावर एलजी के पास ही हैं तो चुनाव का तमाशा क्यों?’
Sunday, July 31, 2016
केजरीवाल की बचकाना राजनीति
अरविंद केजरीवाल सायास या अनायास खबरों में रहते हैं। कुछ
बोलें तब और खामोश रहें तब भी। नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आग लगाने वाले बयान देकर वे
दस दिन की खामोशी में चले गए हैं। शनिवार को उन्होंने नागपुर के अध्यात्म केंद्र
में 10 दिन की विपश्यना के लिए दाखिला लिया है, जहाँ वे अखबार, टीवी या मीडिया के संपर्क में नहीं रहेंगे। हो सकता है कि वे
सम्पर्क में नहीं रहें, पर यकीन नहीं आता कि उनका मन मुख्यधारा की राजनीति से
असम्पृक्त होगा।
Sunday, July 24, 2016
कश्मीरी नौजवानों को कोई भड़का भी तो रहा है
कश्मीर मामले को पाकिस्तान
अंतरराष्ट्रीय फोरमों पर उठाने की तैयारी कर रहा है। वहाँ 20 जुलाई को जो ‘काला दिवस’ मनाया गया, जो इस योजना का हिस्सा था। नवाज शरीफ ने
पाकिस्तान वापसी के बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई जिसमें
सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ भी शामिल हुए। पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान ने अपने तमाम
दूतावासों को सक्रिय कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी
सदस्य देशों के साथ खासतौर से सम्पर्क साधा गया है। यह साबित करने की कोशिश की जा
रही है कि कश्मीर घाटी में ‘असाधारण जनांदोलन’ है।
कश्मीरी नौजवानों को कोई भड़का भी तो रहा है
कश्मीर मामले को पाकिस्तान
अंतरराष्ट्रीय फोरमों पर उठाने की तैयारी कर रहा है। वहाँ 20 जुलाई को जो ‘काला दिवस’ मनाया गया, जो इस योजना का हिस्सा था। नवाज शरीफ ने
पाकिस्तान वापसी के बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई जिसमें
सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ भी शामिल हुए। पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान ने अपने तमाम
दूतावासों को सक्रिय कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी
सदस्य देशों के साथ खासतौर से सम्पर्क साधा गया है। यह साबित करने की कोशिश की जा
रही है कि कश्मीर घाटी में ‘असाधारण जनांदोलन’ है।
Sunday, July 10, 2016
दक्षिण एशिया में आतंकी ज़हर
जम्मू-कश्मीर में
सुरक्षाबलों ने हिज्बुल मुज़ाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को मार गिराया। बुरहान
कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन का पोस्टर बॉय था। उसकी मौत के साथ आतंकवाद का एक
अध्याय खत्म हुआ तो दूसरा शुरू हो गया है। बुरहान को हिज्ब का टॉप कमांडर माना
जाता था, जिसने सोशल मीडिया के जरिए आतंकवाद को दक्षिणी कश्मीर में फिर से जिंदा कर
दिया है। उसकी मौत के बाद उसे अब शहीद के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। अब तक
माना जाता था कि दक्षिण एशिया आतंक से मुक्त है, पर अब लगता है कि यहाँ आतंक का
जहर फैलाने की कोशिशें बढ़ रहीं हैं।
Sunday, July 3, 2016
दक्षिण एशिया में आईएस की दस्तक
ढाका-हत्याकांड में शामिल हमलावर बांग्लादेशी हैं। पर इस कांड की जिम्मेदारी दाएश यानी इस्लामिक स्टेट ने ली है। इसका मतलब है कि कोई स्थानीय संगठन आईएस से जा मिला है। सम्भावना इस बात की भी है कि जोएमबी नाम का स्थानीय गिरोह आईएस के साथ हो। बांग्लादेश सरकार की इस मामले में अभी टिप्पणी नहीं आई है, पर अभी तक वह आईएस की उपस्थिति का खंडन करती रही है। बहरहाल आईएस का इस इलाके में सक्रिय होना भारत के लिए चिंता का विषय है।
पेरिस, ब्रसेल्स
और इस्तानबूल के बाद ढाका। आइसिस ने एक झटके में सारे संदेह दूर कर दिए। उसकी निगाहें अब दक्षिण एशिया के सॉफ्ट टारगेट
पर हैं। पाकिस्तान के मुकाबले
बांग्लादेश की स्थिति बेहतर है। उसकी अर्थ-व्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। जनसंख्या
में युवाओं का प्रतिशत बेहतर है। जमीन उपजाऊ है। यह 15 करोड़ मुसलमानों का देश भी
है। दुनिया में चौथी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी। अभी तक बांग्लादेश सरकार आइसिस को
लेकर ‘डिनायल मोड’ में थी। अब उसे स्वीकार करना चाहिए कि आइसिस और अल-कायदा दोनों
ने उसकी जमीन पर अपने तम्बू तान दिए हैं। अब शको-शुब्हा नहीं बचा।
Sunday, June 12, 2016
मोदी के दौरे के बाद का भारत
नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राओं को भारतीय राजनीति अपने तरीके से देखती है।
उनके समर्थक और विरोधी अपने-अपने तरीके से उनका आकलन करते हैं, पर दुनिया के देशों
में उन्हें सफल प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। उन्हें ऊर्जा, गति और
भारत की उम्मीदों के साथ जोड़ा जा रहा है। संयोग से वे ऐसे दौर में भारत के
प्रधानमंत्री बने हैं जब दुनिया को भारत की जरूरत है। एक तरफ चीन की अर्थ-व्यवस्था
की तेजी खत्म हो रही है और यूरोप तथा लैटिन अमेरिकी देश किसी तरह अपना काम चला रहे
हैं भारतीय अर्थ-व्यवस्था क्रमशः गति पकड़ रही है।
प्रधानमंत्री का पाँच देशों का दौरा विदेश नीति के निर्णायक मोड़ का संकेत भी
कर रहा है। इस यात्रा के तमाम पहलू दक्षिण
एशिया के बाहर रहे, पर केन्द्रीय सूत्र दक्षिण एशिया की आर्थिक और राजनीतिक
व्यवस्था से ही जुड़ा था। इस यात्रा का हर पड़ाव महत्वपूर्ण था, पर स्वाभाविक रूप
से सबसे ज्यादा ध्यान अमेरिका यात्रा ने खींचा। दो साल के अपने कार्यकाल में नरेंद्र मोदी दूसरी
बार अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर यानी
ह्वाइट हाउस गए थे। अलबत्ता यह उनकी चौथी अमेरिका यात्रा था। अमेरिकी राष्ट्रपति
बराक ओबामा से यह उनकी सातवीं मुलाकात थी। इस दौरे में अमेरिकी संसद में उनका भाषण
भी एक महत्वपूर्ण बात थी।
Sunday, June 5, 2016
लोकतंत्र खरीद लो!
एक स्टिंग ऑपरेशन
में कर्नाटक के कुछ विधायक राज्यसभा चुनाव में वोट के लिए पैसे माँगते देखे गए
हैं। इस मसले पर मीडिया में चर्चा बढ़ती कि तभी मथुरा में जमीन पर कब्जा छुड़ाने
की कोशिश में हुआ खून-खराबा खबरों पर छा गया। यह मामला खून-खराबे से ज्यादा खौफनाक
है। चुनाव आयोग ने पूरे मामले की जाँच शुरू कर दी है। आयोग क्या फैसला करेगा? और उससे होगा क्या? ज्यादा से ज्यादा चुनाव की
प्रक्रिया रद्द हो जाएगी। देश से भ्रष्टाचार दूर करने का संकल्प बगैर राजनीतिक
संकल्प के पूरा नहीं होगा। और जब राजनीति इतने खुलेआम तरीके से भ्रष्टाचार का
सहारा लेगी तो किसपर भरोसा किया जाए?
Sunday, May 29, 2016
हमारे आर्थिक विकास पर टिका है दुनिया का विकास
जिस समय मोदी
सरकार के पहले दो साल का समारोह मनाया जा रहा है दुनिया आर्थिक मंदी के खतरे का
सामना कर रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने और खासतौर से चीन में
गाड़ी का पहिया उल्टा चलने के आसार हैं और अब दुनिया हमारी तरफ देख रही है। हाल
में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लैगार्ड ने इस दौर में
भारत को रोशनी की किरण बताया है। उन्होंने कहा कि यह देश चालू वित्त वर्ष में 7.2
प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगा और 2019 तक इसकी जीडीपी जापान और जर्मनी की संयुक्त
अर्थव्यवस्था से ज्यादा हो जाएगी।
Monday, May 23, 2016
क्षेत्रीय क्षत्रप क्या बीजेपी के खिलाफ एक होंगे?
इस चुनाव को
बंगाल में ‘दीदी’ और तमिलनाडु में ‘अम्मा’ की जीत के
कारण याद रखा जाएगा। इनके अलावा केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन को
उनकी छवि के कारण पहचाना जाएगा। कुछ नाम और हैं जो कल तक राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा
जाने-पहचाने नहीं हुए थे। इनमें हिमंत विश्व सरमा, सर्बानंद सोनोवाल, पी विजयन और
ओ राजगोपाल शामिल हैं।
Sunday, May 15, 2016
बिहार को लेकर अंदेशा
बिहार में
जंगलराज भले न हो, पर वहाँ मंगलराज भी नहीं है। सच बात है कि रोडरेज में दिल्ली
में जितनी हत्याएं होती है, उतनी बिहार में नहीं होतीं। पर दिल्ली, दिल्ली है।
यहाँ के हालात अलग हैं। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जिस अंदाज में यह
बात कही है, उससे अहंकार की बदबू आती है। किशोर आदित्य सचदेव के साथ यह अन्याय है।
कार को ओवरटेक करने पर हत्या करने वाले के अहंकार पर गौर करने की जरूरत है। इस
हत्या और उसके बाद सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या से जाहिर यह हो रहा है
कि अपराधियों के मन में राज-व्यवस्था का खौफ नहीं है। विकास की दौड़ में पिछड़
चुके बिहार को आगे आना है तो इसके लिए ऐसा माहौल बनाना होगा, जिसमें निवेशक बगैर
डरे यहाँ प्रवेश करें।
Sunday, May 8, 2016
क्या बीजेपी खोज पाएगी अगस्ता-गंगा का स्रोत?
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि अगस्ता-वेस्टलैंड मामला बोफोर्स जैसा
साबित नहीं होगा। जैसा बोफोर्स प्रसंग में नहीं हो सका वैसा हम इस मामले में
करेंगे। उनके अनुसार पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी और गौतम खेतान ‘छोटे नाम’
हैं। उन्होंने तो बहती गंगा में हाथ धोया। हम पता लगा रहे हैं कि इस गंगा का स्रोत
कहाँ है। क्या वास्तव में यह पता लगाया जा सकता है कि पैसा किसके पास गया? क्या बीजेपी ने इस मामले को उठाने
के पहले इस बात का गणित लगाया है कि इस मामले का अंत कहाँ है? घूम-फिरकर यह मामला
फुस्स साबित हुआ तो क्या होगा? क्या सरकार गांधी परिवार पर हाथ डालकर गलती करेगी? क्या सारी बातें सिर्फ माहौल बनाने के लिए की जा रही
हैं? ये महत्वपूर्ण सवाल हैं और इनका जवाब समय ही देगा। पर यह तय है कि यह मामला
लम्बे समय तक राजनीति में कोलाहल मचाता रहेगा।
Sunday, April 24, 2016
तलवारें अब म्यान से बाहर हैं...
उत्तराखंड को
लेकर अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए, यह मामला खत्म होने वाला नहीं
है। बल्कि समर अब तेज होगा। तलवारें खिंच चुकी हैं और पेशबंदियाँ चल रहीं हैं। उत्तराखंड
के अलावा मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर बगावत के स्वर
ऊँचे हो रहे हैं। यह सब बीजेपी के ‘कांग्रेस मुक्त अभियान’ के तहत भी हो रहा है। दूसरी तरफ
कांग्रेस पार्टी ‘अस्तित्व रक्षा’ के लिए पूरी तरह मैदान में उतरने
जा रही है। इसके लिए उसने नीतीश कुमार के ‘संघ मुक्त भारत’ अभियान में शामिल होने का फैसला किया है। वस्तुतः यह
कांग्रेस का ‘हमें बचाओ’ अभियान भी है। बंगाल में कांग्रेस और वामदलों का गठबंधन यदि सफल हुआ तो राजनीति की दिशा बदल भी सकती है।
Sunday, April 17, 2016
बाधा दौड़ में मोदी
मोदी सरकार आने के बाद से असहिष्णुता बढ़ी है, अल्पसंख्यकों का जीना हराम है, विश्वविद्यालयों में छात्र परेशान हैं और गाँवों में किसान। यह बात सही है या गलत, विपक्ष ने इस बात को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बावजूद इसके नरेन्द्र मोदी के प्रशंसक अभी तक उनके साथ हैं। उनकी खुशी के लिए पिछले हफ्ते राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मोर्चों से एकसाथ कई खबरें मिलीं हैं, जो सरकार का हौसला भी बढ़ाएंगी। पहली खबर यह कि इस साल मॉनसून सामान्य से बेहतर रहेगा। यह घोषणा मौसम दफ्तर ने की है। दूसरी खबर यह है कि खनन, बिजली तथा उपभोक्ता सामान के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन में फरवरी के दौरान 2.0% की वृद्धि हुई है। इससे पिछले तीन महीनों में इसमें गिरावट चल रही थी।
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