Monday, May 12, 2025

आतंकवाद की ‘नाभि’ पर प्रहार का प्रारंभ


'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत तीन दिन चली लड़ाई के दीर्घकालीन निहितार्थ बाद में समझे जाएँगे, पहली बात यह है कि लंबे अरसे बाद दोनों देशों में आज 12 मई को बात होगी। भले ही यह बात डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस के लेवल पर है, इसलिए वह फौजी-गतिविधियों पर केंद्रित होगी। हो सकता है कि इसके भीतर से कोई महत्वपूर्ण सूत्र निकल आए। 

भारत ने अपनी सैनिक-कार्रवाई के जिन उद्देश्यों को शुरू में घोषित किया था, वे काफी हद तक हासिल हो चुके हैं। पाकिस्तान के रक्षा-इंफ्रास्ट्रक्चर का जो नुकसान हुआ है, उसकी जानकारी रविवार को सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी ब्रीफिंग में दी है। फिलहाल हमें पहलगाम के उन छह या आठ हत्यारों को पाताल से भी खोजकर लाना चाहिए, जो ‘आतंकवाद की नाभि’ में बैठे हैं। उस नाभि पर यह पहला वार है।

10 मई की शाम युद्धविराम की घोषणा होने के बाद देर रात तक संशय बना रहा कि लड़ाई रुकी भी है या नहीं। आखिरकार रुकी। इससे पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान के भीतर की दरारें दिखाई पड़ रही हैं। यकीनन पाकिस्तान के साथ रिश्तों में बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत है और हम सावधान हैं। 

Saturday, May 10, 2025

लड़ाई रुक गई, पर इससे पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति पर गहरा असर होगा


भारत ने 7 मई को नौ स्थानों पर हमले करने के बाद स्पष्ट कर दिया था कि हमारा इरादा और किसी जगह पर हमला करने का नहीं है। हमारा उद्देश्य केवल आतंकी गतिविधियों का संचालन करने वालों को सजा देना है। आज भारत ने उन पाँच बड़े आतंकवादियों की सूची जारी की, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने इस बात को स्वीकार नहीं किया और जवाबी हमले शुरू कर दिए। भारतीय सेना लगातार कह रही थी कि हम अब पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई का उसी जगह और उसी गति से जवाब देंगे। आज भारत ने यह बात भी सिद्धांततः घोषित कर दी कि भविष्य में किसी भी आतंकी कार्रवाई को हम  भारत के खिलाफ युद्ध की घोषणा मानेंगे। पाकिस्तानी सेना को लगता था कि जवाब नहीं देंगे, तो नाक कटेगी। अंततः उन्होंने नाक कटवा कर युद्धविराम को स्वीकार कर लिया। 

भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब केवल युद्धविराम की प्रक्रिया से जुड़े मसलों पर ही बात होगी। शेष किसी भी विषय पर वार्ता नहीं होगी। सबसे बड़ा सवाल सिंधु जल-संधि से जुड़ा है। मुझे लगता है कि भारत अब भारत इस संधि की शर्तों में बदलाव पर जो़र देगा। बहरहाल देखना होगा कि 'ऑपरेशन सिंदूर'  के तहत तीन दिन चली लड़ाई का पाकिस्तानी राजनीति पर क्या असर होगा। उससे भी बड़ा सवाल जनरल आसिम मुनीर के भविष्य का है। लगता है कि पाकिस्तान की सेना के भीतर उनका विरोध हो रहा है।  

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार शाम को पुष्टि की कि पाकिस्तान द्वारा भारत से संपर्क करने के बाद भारत अमेरिका की मध्यस्थता में युद्ध विराम पर सहमत हो गया है। इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति  डॉनल्ड ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर एक पोस्ट में कहा, अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए ख़ुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीज़फ़ायर पर सहमति जताई है। 

इसके कुछ ही देर बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर संघर्ष-विराम पर सहमति की जानकारी दी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा कि भारत और पाकिस्तान व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर राज़ी हो गए हैं। उन्होंने लिखा, “मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान तत्काल सीज़फ़ायर करने और एक निष्पक्ष स्थान पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत करने के लिए सहमत हो गए हैं। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी। इस ब्रीफिंग में कर्नल सोफिया कुरैशी ने इस दौरान पाकिस्तान के दुष्प्रचार को गलत बताया। 

Friday, May 9, 2025

पकिस्तान ने नागरिक उड़ानों को ढाल बनाया


भारत ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान ने 36 स्थानों पर ड्रोन से घुसपैठ की कोशिश की है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सरकारी ब्रीफिंग के दौरान कहा, "300-400 ड्रोन के झुंड ने लेह से सर क्रीक तक भारतीय ठिकानों को निशाना बनाया।" विदेश सचिव मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के एक दिन बाद मीडिया को संबोधित किया, जिसमें पाकिस्तान ने गुरुवार को तड़के उत्तरी और पश्चिमी सेक्टरों में 15 भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला किया।

भारत ने पाकिस्तान के हमले के प्रयास को कैसे विफल किया, इस पर विस्तार से बताते हुए सेना ने कहा: "हमारे सशस्त्र बलों ने गतिज (काइनेटिक) और गैर-गतिज (नॉन-काइनेटिक) साधनों का उपयोग करके कई पाकिस्तानी ड्रोनों को मार गिराया... एक पाकिस्तानी सशस्त्र मानव रहित हवाई वाहन को बठिंडा सैन्य स्टेशन को निशाना बनाने के लिए भेजा गया। इस प्रयास को विफल कर दिया गया।

कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि प्रारंभिक जांच में पाकिस्तान सेना द्वारा किए गए हमलों में तुर्की के ड्रोन का मलबा मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान नागरिक उड़ानों का इस्तेमाल ढाल की तरह कर रहा है। यह ब्रीफिंग गुरुवार रात को भारत द्वारा पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को फिर से विफल करने के बाद आई। उन्होंने  बताया, पाकिस्तान ने 7 मई को रात 8.30 बजे बिना उकसावे के ड्रोन और मिसाइल हमला करने के बावजूद अपना नागरिक हवाई क्षेत्र बंद नहीं किया। पाकिस्तान नागरिक विमानों को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि भारत पर उसके हमले से भारत को त्वरित हवाई रक्षा प्रतिक्रिया मिलेगी। यह भारत और पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास उड़ान भरने वाले अंतरराष्ट्रीय विमानों सहित नागरिक विमानों के लिए सुरक्षित नहीं है।"

Thursday, May 8, 2025

भारत ने लाहौर की एयर-डिफेंस प्रणाली को ध्वस्त किया


ऐसा समझा जा रहा था कि 6-7 मई की रात में भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकी केंद्रों पर जो कार्रवाई की थी, उससे सबक लेकर पाकिस्तान ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिससे झगड़ा बढ़े, पर ऐसा हुआ नहीं और उसने 7-8 मई की रात भारत के कुछ शहरों पर मिसाइलों से हमले किए। भारतीय सेनाएँ इसका सामना करने के लिए भी तैयार थीं और उन्होंने इन हमलों को न सिर्फ नाकाम किया, बल्कि 8 मई को सुबह से लेकर शाम तक जवाबी हमले किए। इससे दोनों देशों के बीच लड़ाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। भारत ने  आज उसी तरह उसी क्षेत्र में और उसी तेजी से जवाब दिया है। इसमें सबसे उल्लेखनीय है लाहौर में चीनी वायु रक्षा प्रणाली एचक्यू-9 को निष्प्रभावी बनाना। 

आज सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में कई स्थानों पर एयर डिफेंस रेडार और सिस्टम को निशाना बनाया। माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना के पास मौजूद इसराइल के नवीनतम हैरॉप लॉइटरिंग म्यूनिशंस का इस्तेमाल भारत ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए किया गया है। ये यूएवी निर्धारित लक्ष्य के करीब हवा में मंडराते रहते हैं और निर्देशित किए जाने पर खुद को नष्ट करके हमला कर सकते हैं। पाकिस्तान के आईएसपीआर ने भी दावा किया है कि भारत ने हैरॉप का इस्तेमाल किया गया है।

ऑपरेशन सिंदूर पर 7 मई को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, भारत ने अपनी प्रतिक्रिया को केंद्रित, संयत और गैर भड़काऊ बताया था। इसमें पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाने का खासतौर से उल्लेख किया गया था। साथ में यह भी कह दिया था कि भारत में सैन्य ठिकानों पर हमले करने की कोशिश की गई, तो फिर उसका उचित उत्तर दिया जाएगा।

ऑपरेशन सिंदूर पर एक विशेष ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज कहा, पहलगाम हमला पहला एस्केलेशन था। उन्होंने पाकिस्तान के इस सुझाव की भी असलियत को सबके सामने रखा कि पहलगाम मामले की निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जाँच  कराई जाए। उन्होंने कहा कि 26/11 और 2016 के पठानकोट हमलों के मामलों में हमने  पाकिस्तान के साथ सहयोग करने का सुझाव दिया था, पर पाकिस्तान ने कोई सहयोग नहीं दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने उस दिन फिर से मीडिया को संबोधित किया, जिस दिन भारत ने लाहौर में एक वायु रक्षा प्रणाली को बेअसर कर दिया। 

ये जानकारियाँ तेजी से हो रहे घटनाक्रमों के बाद आई हैं, जब भारत ने ओटीटी प्लेटफार्मों, मीडिया स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों और भारत में संचालित बिचौलियों से पाकिस्तान से आने वाली वेब-सीरीज, फिल्म, गाने, पॉडकास्ट और अन्य स्ट्रीमिंग मीडिया सामग्री को बंद करने के लिए कहा था। इससे पहले दिन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेतावनी दी थी कि जो लोग भारत के धैर्य की परीक्षा लेने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में कल की तरह 'गुणवत्तापूर्ण कार्रवाई' का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात ड्रोन और मिसाइलों द्वारा अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज सहित उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। भारतीय मीडिया में दिनभर अमृतसर के पास के एक गाँव में खेत से मिले एक मिसाइल के अवशेषों की खबर छाई रही। बहरहाल इन हमलों को भारत के एकीकृत काउंटर यूएएस ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने बेअसर कर दिया। इन हमलों के बाद कई स्थानों से बरामद मिसाइलों के मलबे पाकिस्तानी हमलों की पुष्टि करते हैं।

Wednesday, May 7, 2025

पाकिस्तान ने अब भी समझदारी नहीं दिखाई, तो तबाह हो जाएगा


भारत के इस तीसरे ‘सर्जिकल-स्ट्राइक’ का सबूत कोई नहीं माँगेगा, क्योंकि इसे पाकिस्तान ने खुद स्वीकार किया है. इसबार की स्ट्राइक का लेवल 2016 और 2019 के मुकाबले ज्यादा बड़ा है, जिसकी उम्मीद थी. अब ज्यादा बड़ा सवाल है कि बात कितनी बढ़ेगी? 

कार्रवाई क्या यहीं तक सीमित रहेगी, या आगे बढ़ेगी? बहुत कुछ पाकिस्तानी प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा. सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की एक बात तैर रही है कि भारत यदि और हमले न करे, तो हम भी जवाबी हमला न करने पर विचार कर सकते हैं, पर इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है. 

प्रेस ब्रीफिंग

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की ओर से स्क्वॉड्रन लीडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन की जानकारी दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले एयर स्ट्राइक का दो मिनट का वीडियो प्ले किया गया. इसके साथ ही आज के ऑपरेशन से जुड़े वीडियो प्रमाण भी दिखाए गे. 

विक्रम मिस्री ने इसे आतंक के खिलाफ नपी-तुली कार्रवाई बताया. उन्होंने कहा, पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है. इस संगठन के बारे में हमने पहले भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को जानकारी दी थी. सुरक्षा परिषद के वक्तव्य से इस संगठन के नाम को हटाए जाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि हमलावरों की पहचान भी हुई है. हमारी इंटेलिजेंस ने हमले में शामिल लोगों से जुड़ी जानकारी जुटा ली है. इस हमले का कनेक्शन पाकिस्तान से है.

ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर के लक्ष्यों के बारे में केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, निम्नलिखित स्थानों पर हमला किया गया: 

सियालकोट में सरजाल कैंप-मार्च 2025 में चार जम्मू-कश्मीर पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले आतंकवादियों ने इसी कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। सियालकोट-पठानकोट वायुसेना बेस कैंप पर हमले की योजना इसी आतंकवादी शिविर में बनाई गई थी और उसे अंजाम दिया गया था।

मुरीद्के में मरकज तैयबा कैंप-2008 के मुंबई आतंकी हमलों में भाग लेने वाले आतंकवादियों को यहीं प्रशिक्षण दिया गया था। अजमल कसाब और डेविड हेडली ने यहीं प्रशिक्षण प्राप्त किया था। 

बहावलपुर में मरकज़ सुभानअल्लाह-यह जैश-ए-मुहम्मद का मुख्यालय है। यहाँ भर्ती, प्रशिक्षण और विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया जाता था।

ज़ीरो टॉलरेंस

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, दुनिया को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लगातार नज़र रखी. 

भारत ने इसके माध्यम से संदेश दिया है कि आतंकवादी गतिविधियाँ जारी रहीं, तो हमारी ओर से कार्रवाइयों की कठोरता बढ़ती जाएगी. भारत ने इसबार जो भी कार्रवाई की है, उसे काफी होमवर्क के साथ तैयार किया है, जिसमें प्लान ‘बी’ और ‘सी’ जैसे विचार शामिल हैं. 

पाकिस्तान को समझना चाहिए कि उसका खेल खत्म हो रहा है. भारत की कार्रवाइयाँ तब तक जारी रहेंगी, जब तक हालात किसी निर्णायक मुकाम तक नहीं पहुँचेंगे. खूंरेज़ी और पड़ोस के रिश्ते साथ-साथ नहीं चलेंगे. 

भारत को उकसाया

इसबार की कार्रवाई की तीव्रता बहुत कठोर होने के बजाय कम भी हो सकती थी, पर पाकिस्तानी नेतृत्व ने भड़काऊ बातें करके भारत को उकसाया और एटम बम का इस्तेमाल करने की धमकी तक दे डाली. 

पाकिस्तान के नेतृत्व ने समझदारी का परिचय दिया होता, तो सिंधु जल-संधि के स्थगित होने की नौबत नहीं आती. पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर को प्रवासी पाकिस्तानियों की सभा में ज़हरीली बातें करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. 

ऑपरेशन का नाम रखने और सर्जिकल स्ट्राइक के ठिकानों को तय करने में भारत ने बहुत सावधानी बरती है और उसे पहलगाम हमले पर केंद्रित रखा है. सेना ने पाकिस्तान के किसी भी आधिकारिक सैनिक ठिकाने पर हमला नहीं बोला है, बल्कि जैशे मुहम्मद, लश्करे तैयबा और हिज़्बुल मुज़ाहिदीन के कैंपों को निशाना बनाया है, जो दहशतगर्दी के अड्डे हैं. 

यह अभियान ‘फोकस्ड और सटीक’ था. हमारे पास पहलगाम हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले विश्वसनीय सुराग और सबूत हैं. सटीक हमलों के बाद, भारत ने विश्व के कई देशों से संपर्क किया और वरिष्ठ अधिकारियों को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के बारे में जानकारी दी. 

इन हमलों में नागरिकों को या दूसरे प्रतिष्ठानों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा है. अभी तक सेना ने सीमा पार नहीं की है, बल्कि अपनी सीमा के भीतर रहते हुए गाइडेड मिसाइलों, प्रिसीशन बमों और लॉइटरिंग म्यूनिशंस की मदद से हमला किया है. इसका उद्देश्य कार्रवाई को सीमित दायरे में रखना है.   

पाकिस्तान इस समय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है, जिससे उसकी जिम्मेदारी बढ़ती है. वह जुलाई में एक महीने के लिए परिषद की अध्यक्षता भी उसे मिलेगी. इसका मतलब यह नहीं है कि वह जो चाहे कर लेगा. 

सबूत चाहिए

पाकिस्तान ने भारत से पहलगाम से जुड़े सबूत पेश करने को और इस प्रकरण की निष्पक्ष जाँच करने को कहा है. वस्तुतः सबूत उसे पेश करने हैं कि जिस टीआरएफ ने पहलगाम हिंसा की जिम्मेदारी ली है, उसका लश्करे तैयबा के साथ कोई रिश्ता नहीं है. और यह भी साबित करना है कि लश्कर के अलावा जैशे मुहम्मद और हिज़्बुल मुज़ाहिदीन के कैंप नहीं हैं. 

पहलगाम की हिंसा के फौरन बाद लश्करे तैयबा के पिट्ठू संगठन रेज़िस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने उसकी ज़िम्मेदारी खुद ली थी. पाकिस्तानी नेतृत्व को जब इस बात की गंभीरता का पता लगा, तो उन्होंने कहना शुरू किया कि यह भारत का ‘फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन’ है. 

पाकिस्तान की ओर से इस किस्म का बयान आने के अगले ही दिन टीआरएफ ने अपनी बात वापस ले ली और कहा कि हमारे सोशल मीडिया हैंडल को किसी ने हैक कर लिया था. 

राजनयिक खेल

इसके बाद पाकिस्तान ने चीन की सहायता से 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद का बयान जारी करवाया, जिसमें पहलगाम के आतंकवादी हमले की ‘कड़े शब्दों में’ निंदा ज़रूर थी, पर (टीआरएफ) का नाम नहीं लिया, जिसने हमले की जिम्मेदारी ली थी. 

सुरक्षा परिषद ने इस संगठन का नाम नहीं लिया, तो लश्कर-ए-तैयबा के साथ उसके संबंधों का उल्लेख भी नहीं हुआ, जो संरा द्वारा नामित आतंकवादी संगठन है. उसने भारत सरकार के साथ सहयोग की बात भी नहीं की, जैसा कि अतीत में होता रहा है. गैर-मुसलमानों को निशाना बनाए जाने का उल्लेख भी नहीं. 

सुरक्षा परिषद ने पहलगाम के बाद की परिस्थिति पर सोमवार 5 मई को बंद कमरे में विचार-विमर्श किया, जिसमें बढ़ते तनाव पर चर्चा की गई. इस बैठक का आग्रह पाकिस्तान ने ही किया था, पर इसका कोई लाभ उसे नहीं नहीं मिला. 

कठोर सवाल

प्रेस ट्रस्ट की रिपोर्ट के अनुसार बैठक में राजदूतों ने दोनों देशों से तनाव कम करने का आह्वान किया और पाकिस्तान के सामने कुछ ‘कठोर सवाल’ रखे. क्या थे ‘कठोर सवाल’? पहला सवाल यही है कि पहलगाम की हिंसा के पीछे कौन है? 

इस बैठक का अनुरोध पाकिस्तान ने किया था. सुरक्षा परिषद ने बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया, लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके अपने उद्देश्य ‘काफी हद तक पूरे हो गए’.

बंद कमरे में हुई यूएनएससी की बैठक उनके सामान्य बैठने के कमरे में नहीं हुई, बल्कि उसके बगल में बने परामर्श कक्ष में हुई. इससे इस बैठक की अनौपचारिकता ही साबित होती है. कहा जा सकता है कि स्थिति का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तान की कोशिशें सफल नहीं हुईं. 

अगस्त 2019 में जब भारत ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था, तब भी पाकिस्तान ने चीन की सहायता से सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का प्रयास किया था. तब भी इसी किस्म की अनौपचारिक बैठक हुई थी और परिषद ने तब भी कोई बयान जारी नहीं किया था.

आर्थिक-दबाव

यह मामला केवल सैनिक (काइनेटिक) कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राजनयिक और राजनीतिक-कार्रवाइयाँ भी इसमें शामिल हैं. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने कहा है कि लड़ाई से पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों पर जैसा विपरीत प्रभाव पड़ेगा, वैसा भारत की अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा. 

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पहले से डगमगा रही है, जिसे थामना अब और मुश्किल होगा. उसे चीन का समर्थन हासिल है, पर उसे आर्थिक सहायता के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ के पास ही जाना होता है, जिनकी चाभी अमेरिका के पास है.  

आवाज़ द वॉयस में प्रकाशित