Thursday, November 28, 2024

हालात की माँग है कि भारत और चीन के संबंध सुधरें


भारत और चीन के संबंधों को लेकर पिछले कुछ महीनों में हुई गतिविधियों से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंध अब सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं, पर यह साफ नहीं है कि सुधार की पहल भारत की ओर से हुई या चीन की ओर से. या फिर दोनों देश अपने अनुभवों को देखते हुए समझौते की मेज पर आए हैं.

एक महीने पहले 21 अक्तूबर को दोनों देशों ने एलएसी पर टकराव के दो बिंदुओं, देपसांग मैदानों और डेमचोक में गश्त व्यवस्था पर एक समझौता किया है. उसे देखते हुए लगता है कि वहाँ अप्रेल 2020 से पहले की स्थिति या तो बहाल हो गई है, या जल्द हो जाएगी. 

उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच रूस के कज़ान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के हाशिए पर मुलाकात हुई. इन दोनों बातों के अलावा विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों ने रिश्तों को सुधारने की दिशा में कुछ नए कदम उठाने का फैसला किया है. 

चीनी नज़रिया

हाल में भारतीय पत्रकारों की एक टीम को बुलाकर चीन ने उन्हें अपना दृष्टिकोण समझाने की कोशिश की. अंग्रेजी के एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ‘चीनी अधिकारियों, व्यापारिक समुदाय के सदस्यों, तथा सरकारी थिंक टैंकों और मीडिया संगठनों के साथ हुई बैठकों का यह संदेश स्पष्ट था कि चीन रिश्तों को आगे बढ़ाना चाहता है.’

‘अधिकारियों ने अपनी ‘इच्छा-सूची’ बताई: देशों के बीच ‘सीधी उड़ानें’ फिर से शुरू करना, राजनयिकों और विद्वानों सहित चीनी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंधों में ढील, चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध हटें, चीनी पत्रकारों को भारत से रिपोर्टिंग करने दी जाए और चीनी सिनेमाघरों में अधिक भारतीय फिल्में दिखाने की अनुमति मिले आदि.’

Wednesday, November 13, 2024

दक्षिण एशिया की प्रगति के लिए ज़रूरी है ‘आपसी संपर्क’

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर हाल में दो खबरों ने ध्यान खींचा है. पहली है लाहौर के पर्यावरण के संबंध में पाकिस्तान के पंजाब राज्य की कोशिशें और दूसरी दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को फिर से कायम करने के सुझाव से जुड़ी है. एक और खबर भारत-अफगानिस्तान रिश्तों को लेकर भी है.

भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से तनावपूर्ण संबंध हैं, लेकिन जैसे-जैसे ज़हरीली हवा का मुद्दा सामने आ रहा है, दोनों पड़ोसियों को अपनी साझा जिम्मेदारी पर भी विचार करना पड़ रहा है.

Wednesday, November 6, 2024

अमेरिकी-चुनाव की भारतीय संगति और विसंगतियाँ


सब कुछ सामान्य रहा, तो अगले 24 से 48 घंटों में पता लग जाएगा कि अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की कुर्सी किसे मिलेगी. इस चुनाव पर सारी दुनिया की निगाहें हैं. अमेरिका की विदेश-नीति में भले ही कोई बुनियादी बदलाव नहीं आए, पर इस चुनाव के परिणाम का कुछ न कुछ असर वैश्विक राजनीति पर होगा.  

अमेरिकी चुनाव भी दूसरे देशों की तरह जनता की ज़िंदगी और सरोकारों से जुड़ा होता है. इसमें भोजन और आवास, रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमत, और गर्भपात कानून वगैरह शामिल हैं. खासतौर से मुद्रास्फीति और ब्याज की दरें. विदेश-नीति इसमें इसलिए आती है, क्योंकि उसका असर अंदरूनी-नीतियों पर पड़ता है.

Wednesday, October 30, 2024

बेहद जोखिम भरी राह पर बढ़ता पश्चिम एशिया


पहले ईरान के इसराइल पर और अब ईरान पर हुए इसराइली हमलों के बाद वैश्विक-शांति को लेकर कुछ गंभीर सवाल खड़े हुए हैं. एक तरफ लगता है कि हमलों का यह क्रम दुनिया को एक बड़े युद्ध की ओर ले जा रहा है. दूसरी तरफ दोनों पक्ष सावधानी से नाप-तोलकर अपने कदम बढ़ा रहे हैं, जिससे इस बात का संकेत मिलता है कि मौके की भयावहता का उन्हें अंदाज़ा है.

क्या लड़ाई को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है? पश्चिम एशिया में स्थायी शांति की स्थापना क्या संभव ही नहीं है? दुनिया की बड़ी ताकतों को क्या संभावित तबाही की तस्वीर नज़र नहीं आ रही है?

बेशक टकराव जारी है, लेकिन अभी तक के घटनाक्रम से सबक लेकर दोनों पक्ष,  भविष्य में बहुत कुछ सकारात्मक भी कर सकते हैं, जिसका हमें अनुमान नहीं है. लड़ाई के भयावह परिणामों को दोनों पक्ष भी समझते हैं. इसे भय का संतुलन भी कह सकते हैं.

कांग्रेस और राहुल के ‘पुनरोदय’ को लगा धक्का

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव दो कारणों से महत्वपूर्ण थे। जून में लोकसभा चुनाव-परिणामों के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की राजनीति के प्रति जनता का दृष्टिकोण क्या है और दूसरा यह कि कुल मिलाकर भारतीय राजनीति की दिशा क्या लग रही है। इन दोनों राज्यों के परिणामों में काफी कुछ बातें हैं, जिनसे निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। इन चुनावों का प्राथमिक संदेश यह है कि भाजपा मशीनरी अपने मूल वोट-आधार को बनाए रखने में कामयाब है और कांग्रेस को उन क्षेत्रों में भी भाजपा को हराने के लिए जबर्दस्त मशक्कत करनी होगी, जहाँ उसने पैर जमा लिए हैं। यानी राहुल गांधी और कांग्रेस के पुनरोदय को पक्का मानकर चलना नहीं चाहिए।

इन नतीजों से संगठन पर मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दोनों का नियंत्रण बढ़ेगा। दोनों राज्यों के लिए प्रमुख प्रत्याशियों को दोनों ने ही चुना है। भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी के हर फैसले पर दोनों की ही मुहर रहेगी, जिसमें नए पार्टी अध्यक्ष का चयन भी शामिल है। इससे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए भी सकारात्मक संदेश जाएगा, जिनकी जगह नए पार्टी अध्यक्ष को आना है। भाजपा इस वक्त महाराष्ट्र और झारखंड में सीटों के बँटवारे के लिए अपने सहयोगियों के साथ बातचीत कर रही है। इस जीत से उसका हौसला बढ़ेगा।