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फ्राइडे टाइम्स से साभार
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इमरान खान के
सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ के भारतीय पत्रकार करन थापर से साक्षात्कार
को न तो भारतीय मीडिया ने महत्व दिया और न भारत सरकार ने। इस खबर को सबसे ज्यादा
महत्व पाकिस्तानी मीडिया में मिला। इसके अलावा भारत के कश्मीरी अखबारों में इस इंटरव्यू का
उल्लेख हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अल जजीरा के अलावा किसी उल्लेखनीय
प्लेटफॉर्म पर यह खबर देखने को नहीं मिली।
सोशल मीडिया पर
जरूर इसका उल्लेख हुआ है, पर ज्यादातर पाकिस्तानी हैंडलों के मार्फत। रेडिट पाकिस्तान में मोईद
युसुफ की तारीफ से जुड़ी कुछ टिप्पणियाँ देखने को मिली हैं। पाकिस्तानी अखबारों
में सम्पादकीय टिप्पणियाँ भी जरूर होंगी। मैंने डॉन की टिप्पणी को देखा है, जिसमें वही घिसी-पिटी बातें हैं,
जो अक्सर पाकिस्तान से सुनाई पड़ती हैं। इनमें सबसे ज्यादा महत्व इस बात को दिया
गया है कि भारत ने पाकिस्तान से बातचीत की पेशकश की है। गुरुवार को भारतीय विदेश विभाग के प्रवक्ता ने इस बात को स्पष्ट कर दिया कि भारत की ओर से ऐसा कोई संदेश नहीं भेजा गया है।
मान लिया कि ऐसी
कोई पेशकश है भी तो यह कम से कम औपचारिक रूप से नहीं है। यदि यह बैकरूम गतिविधि
है, तो मोईद साहब ने इसकी खबर देने की जरूरत क्यों समझी? यह किसी संभावना को खत्म करने की कोशिश तो नहीं
है? इस बात को कैसे भुलाया जा
सकता है कि नवाज शरीफ ने बातचीत के पेशकश की थी, जिसमें पाकिस्तानी सेना ने न केवल
अड़ंगा लगाया, बल्कि नवाज शरीफ के खिलाफ इमरान खान को खड़ा किया। इस वक्त उनका
कठपुतली नरेश राजनीतिक संकट में है और लगता यही है कि इस खबर के बहाने पाकिस्तानी
जनता का ध्यान कहीं और ले जाने की कोशिश है। फिर भी मोईद साहब की बातों पर गौर
करने की जरूरत भी है।
अबतक क्या हुआ?
द वायर ने इस
इंटरव्यू का वीडियो जारी करने के पहले करन थापर का लिखा एक कर्टेन रेज़र जारी किया था, जिसमें
पहला वाक्य था कि पाकिस्तानी एनएसए ने यह रहस्योद्घाटन किया है कि भारत ने
पाकिस्तान से बातचीत की पेशकश की है। साथ ही यह भी कहा कि हम तो बात तभी करेंगे,
जब कश्मीरियों को तीसरे पक्ष के रूप में शामिल किया जाएगा। यहाँ यह याद दिलाना
बेहतर होगा कि 2014 में जब नवाज शरीफ नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे,
तब उन्होंने कश्मीरी प्रतिनिधियों से बात नहीं की थी। उसके बाद सुषमा स्वराज और
सरताज अजीज की प्रस्तावित बात इसीलिए नहीं हो पाई थी, क्योंकि सरताज अजीज
कश्मीरियों से बात करने के बाद ही उस वार्ता में शामिल होना चाहते थे।