हालांकि कोरोना से लड़ाई अभी जारी है और निश्चित रूप से कोई बात कहना जल्दबाजी
होगी, पर इतना साफ है कि अभी तक भारत ही ऐसा देश है, जिसने इसका असर कम से कम होने
दिया है. आबादी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को देखते हुए हमारे देश को लेकर जो
अंदेशा था, वह काफी हद तक गलत साबित हुआ है. पर क्या पिछले एक हफ्ते की तेजी के
बावजूद आने वाले समय में भी गलत साबित होगा? यकीनन हमें सफलता मिल
रही है. तथ्य इस बात की गवाही दे रहे हैं. हालांकि इसकी वैक्सीन तैयार नहीं है, पर
जिन लोगों ने इस बीमारी पर विजय पाई है, अब उनके शरीर में जो एंटीबॉडी तैयार हो गई
हैं, वे मरीजों के इलाज में काम आएंगी.
गत 1 मार्च को भारत में कोरोना वायरस के तीन मामले थे, जबकि अमेरिका में 75,
इटली में 170, स्पेन में 84, जर्मनी में 130 और फ्रांस में 130. एक महीने बाद 1
अप्रेल को भारत में यह संख्या 1998 थी, जबकि उपरोक्त पाँचों देशों में क्रमशः
2,15,003, 1,10,574, 1,04,118, 77,981 और 56,989 हो चुकी थी. भारत में लॉकडाउन
शुरू होने के बाद यह संख्या स्थिर होती नजर आ रही थी, पर पिछले एक हफ्ते में यह
संख्या तेजी से बढ़ी है और अब पाँच हजार के ऊपर है, जबकि 27 मार्च को यह 887 थी. पिछले
तीन-चार दिन की संख्या का विश्लेषण करें, तो पाएंगे कि यह तेजी थमी है.